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मानसून में महकने वाला कुम्भलगढ़ अब हुआ वीरान  

कोरोना की दूसरी लहर आने की वजह से दुर्ग के आसपास स्थित 50 से ज्यादा हाेटलें बंद हाे गई है।

 
मानसून के लुफ्त उठाने वाली कतारें हो गयी लुप्त

उदयपुर जिसे झीलों की नगरी कहा जाता है वही झीलों जिलों की नगरी आज वीरान नज़र आ रही है।  यही की नहीं उदयपुर के अन्य पर्यटन स्थल भी कोरोना की बीमारी के चलते सुनसान नज़र आ रहा है।  कोरोना के इस वैश्विक बीमारी ने लगभग देश के हर पर्यटन स्थलों के कारोबार की नीव को झंझोड़ कर रख दिया है।  उदयपुर संभाग के राजसमंद जिले में स्थित कुम्भलगढ़ में जहाँ पर्यटकों का ताँता लगा हुआ करता था आज वो समय है की वहां अब मानो पर्यटकों के लिए ताला लग गया हो। 

हाेटल एसाेसिएशन अध्यक्ष जमनाशंकर आमेटा ने बताया है की साल 2019 में पर्यटकाें से हाेटल व्यवसाय काे सालभर में करीब 50 कराेड़ रुपए का व्यवसाय हुआ था, लेकिन काेराेना के चलते पर्यटकाें के आगमन न होने से साल 2020 में सिर्फ 15 कराेड़ रुपए का व्यवसाय हाे पाया है। कोरोना की दूसरी लहर आने की वजह से दुर्ग के आसपास स्थित 50 से ज्यादा हाेटलें बंद हाे गई है। 

अप्रैल की शुरुआत में दुर्ग पर एक साथ पांच सुरक्षाकर्मियाें के कोरोना संक्रमित मिलने पर पर दुर्ग 10 दिन तक बंद रहा था। खुलते ही 15 अप्रैल से सरकार ने फिर लाॅकडाउन लगा दिया। काेराेना के कारण दुर्ग पर हाेटल व्यवसाय करीब एक साल से ठप है। जिसके के कारण होटल व्यवसाय पर काफी असर पड़ा है जिससे इसके कारण होटल व्यवसायियों को नुकसान वहन करना पड़ा। 

होटल एसोसिएशन अध्यक्ष आमेटा ने बताया कि काेराेना के कारण हाेटल व्यवसायी एक साल से नुकसान उठा रहे हैं। दुर्ग की हाेटलाें में शादियां पार्टी इवेंट भी होते है,लेकिन काेराेना की वजह से बुकिंग की रेट पर भी काफी असर पड़ा है। पहले वीकेंड पर पर्यटकाें के कारण हाेटलें फुल रहती थी, लेकिन संक्रमण की दूसरी लहर शुरू हाेने से सारी बुकिंग निरस्त हाे गई है।

मानसून के लुफ्त उठाने वाली कतारें हो गयी लुप्त

उदयपुर के मानसून में जून, जुलाई पर दुर्ग पर पर्यटकाें का सीजन रहता है। कई किमी लंबी कतार लगती है, लेकिन पर्यटकाें के वाहनाें की कतारें एक साल से काेराेनाकाल में मानो लुप्त हो गयी हो।