उदयपुर-जयपुर वंदे भारत के प्रति लोगों का रूझान कम
मुख्य वजह अधिक किराया और अन्य ट्रेनों के मुकाबले समय लगभग बराबर लगता है
उदयपुर, 11 नवंबर 2023। देशभर में वंदे भारत ट्रेन का संचालन किया जा रहा है। अब तक 408 वंदे भारत ट्रेनसेट बनाकर तैयार हो चुके हैं। फिलहाल राजस्थान सहित अन्य राज्यों में करीब 34 वंदे भारत ट्रेन का संचालन किया जा रहा है। प्रदेश में पिछले दिनों तीसरी वंदे भारत ट्रेन उदयपुर-जयपुर-उदयपुर के बीच शुरू की गई।
25 सिंतबर से उदयपुर-जयपुर-उदयपुर के बीच शुरू हुई प्रदेश की तीसरी वंदे भारत के प्रति लोगों का रूझान नहीं है। शुरुआत के 15 दिन में इसमें औसत ऑक्यूपेंसी (यात्रीभार) 40 फीसदी था। जबकि उदयपुर से जयपुर के बीच चलने वाली अन्य ट्रेनों में फुल चल रही हैं। इसकी मुख्य वजह अधिक किराया और अन्य ट्रेनों के मुकाबले समय लगभग बराबर लगता है। वंदे भारत के प्रति लोगों का रूझान कम होने के पीछे किराया भी एक बड़ा कारण है। वंदे भारत का उदयपुर से जयपुर तक का चेयरकार का किराया 965 रुपए व केटरिंग सहित 1330 रुपए है। एक्जिक्यूटिव कोच का किराया 1920 रुपए व कैटरिंग सहित 2350 रुपए है।
वहीं रोजाना चलने वाली ट्रेन जयपुर-उदयपुर सिटी सुपरफास्ट स्पेशल में एसी चेयरकार का किराया 755 रुपए है। वहीं थर्ड एसी का किराया 995 रुपए है। जबकि वंदे भारत का इससे ज्यादा किराया है। थर्ड एसी में यात्री को स्लीपर की भी व्यवस्था मिलती है। ऐसे में 6 से 7 घंटे के सफर में यात्री लेटकर जाना भी पंसद करते हैं। दूसरी ओर अगर समय की बात करें तो ये ट्रेन सुबह 6 बजकर 15 मिनट पर उदयपुर से निकलती है और दोपहर 1 बजकर 20 मिनट पर जयपुर पहुंचती है। ऐसे में यात्रियों को वंदे भारत से सिर्फ 50 मिनट का फायदा हो रहा है। गौरतलब है कि रेलवे खुद मानता है कि ऑक्यूपेंसी 400 परसेंट से ज्यादा रहती है, तो फायदा होता है। नहीं तो कम से कम 100 फीसदी ऑक्यूपेंसी रहनी चाहिए।
रेलवे के पास किराया कम करने के लिए कोई फॉर्मूला नहीं है
वहीं, रेलवे बोर्ड ने पिछले दिनों एक आदेश जारी किए थे कि वंदे भारत ट्रेन के किराए की समीक्षा की जाए और जिस रूट पर यात्रीभार 50 फीसदी से कम है, उनका किराया विश्लेषण कर कम किया जाए, लेकिन जोधपुर-साबरमती-जोधपुर और जयपुर उदयपुर-जयपुर के बीच औसत यात्रीभार 50% से कम है, लेकिन अभी तक किराया कम नहीं किया। ऐसा इसलिए क्योंकि बोर्ड द्वारा जारी निर्देश में कहा था कि जिस दूरी के बीच यात्रीभार 50% से कम है, उस दूरी के बीच का किराया कम किया जाए। जबकि रेलवे के पास किराया कम करने के लिए ऐसा कोई फॉर्मूला नहीं है।