लेकसिटी के नाम से विख्यात उदयपुर की पहचान यहां के पर्यटन स्थलों से हैं। लेकसिटी की झीले, प्राकृतिक सौन्दर्य, मंदिर, और भव्य इमारतें पर्यटकों को बेहद आकर्षित करते है। यहां आने वाला पर्यटक यहां की झीलें, घाट, सभी को निहारता है और सोचता है यह शहर कितना सकुन और सुरक्षित शहर है। लेकिन जब हम ही यह सब खो देंगे तो पर्यटक लेकसिटी की क्या छवि लेकर जाएगा क्या आप सोच सकते हैं।
लेकसिटी में पर्यटक प्रवेश करते ही उसके ज़हन में एक ख्याल आता है फतहसागर झील। शहर उदयपुर में यह सबसे बड़ी मानव निर्मित झील हैं। प्रमुख पर्यटन स्थल होने के चलते इस झील के आसपास सैलानियों की भीड़ लगी रहती हैं। इस पानी में बोटिंग करने के लिए भारी संख्या में सैलानी पहुंचते हैं, कहते है फतहसागर लेकसिटी की धड़कन हैं और इस धड़कन में चलती हुई नाव सैलानियों को बेहद आकर्षित करती हैं।
पर्यटकों यहां बोटिंग करना पसंद करता है लेकिन यदि उस बोटिंग को ही खत्म कर दिया जाए तो फिर पर्यटक उदास होकर ही यहां से लौटेगा। फतहसागर झील में 1 अक्टूबर से झील के अंदर से सभी बोट हटा दी गई हैं। बोटिंग कराने वाले ठेका संचालकों को 6 माह की मोहलत के बाद तत्कालीन नगर विकास प्रन्यास के सचिव बाल मुकुंद असावा ने आदेश जारी कर बोट हटाने के लिए कहा है। डीज़ल पेट्रोल संचालित नावों से झीलों का पानी प्रदूषित होता है यह बात बिलकुल सत्य है किन्तु बोटिंग बंद करना इस समस्या का समाधान नहीं है। यूआईटी झील में चप्पू वाली या सोलर नाव शुरू कर सकता है।
हाल ही में दिवाली सीजन है ऐसे में बोटिंग कराने वाले ठेका संचालकों के ऊपर एक बड़ी मार हैं। यहां आने वाला पर्यटक उदास होकर लौट रहा है क्योंकि जो भी सैलानी यहां आते थे वे बोटिंग के बिना नहीं जाते थे। फतहसागर पर लगभग 1000 से ज्यादा लोग बोटिंग करते थे लेकिन अब यहा सन्नाटा नज़र आ रहा हैं।
"फतहसागर झील उदयपुर की रीढ़ की हड्डी कही जाती हैं। लेकसिटी में सभी देशों के पर्यटक घुमने आते के लिए आते हैं। लेकिन फतहसागर में बोटिंग बंद करना हाइकोर्ट के इस फैसला एक छवि खराब करना हैं। त्योहारी सीजन में बोटिंग बंद होने के बाद फतहसागर स्थित मुंबइया बाज़ार पर दोहरी मार पड़ी हैं। फतहसागर पर रोज़ाना बाहर से आने वाले 1000 पर्यटक बोटिंग करते थे। अब इनका आना ही बंद हो गया हैं। हम हाइकोर्ट से गुज़ारिश करते है कि अब वह जो फैसला लेगे वह हमारी भलाई को ध्यान में रखते हुए लेंगे" - बोट संचालक अशोक कुमार
नगर विकास प्रन्यास के तत्कालीन सचिव बाल मुकुंद असावा के आदेश जारी करने के बाद फतहसागर पर बोटिंग बंद कर दी गई है लेकिन निगम ने पिछोला में बोटिंग को लेकर कोई आदेश ज़ारी नहीं किए हैं। वहां न तो कोई रोक टोक लगाई न ही उन्हें रोकने संबंधी निगम की ओर से कोई अंतिम नोटिस दिया गया। ऐसे में आने वाले पर्यटक फतहसागर छोड़कर सभी पिछोला की ओर अपना रुख कर रहे हैं। जहाँ फतेहसागर में डीज़ल पेट्रोल नावों को प्रदूषण का हवाला देकर बंद किया गया क्या यही बात पिछोला में लागू नहीं होती है ?
झीलों के किनारे स्थित होटल एक अलग ही पहचान रखते हैं। पर्यटक चाहता है कि वह दो पल इन झीलों के किनारे बिताएं। लेकिन आज कल इन होटल में पर्यटक सकुन से बैठना तो दूर सुरक्षित भी महसूस नहीं कर रहे हैं। आखिर कर भी कैसे सकता है क्योंकि लेकसिटी की होटलों में इन दिनों रेड की खबरे तो आप सुन ही रहे होंगे। यदि इसी तरह लेकसिटी की होटल्स पर रेड पड़ती रही तो कौनसा पर्यटक यहां आना चाहेंगा? लेकसिटी के होटल व्यवसायियों को भी चाहिए कि वह अपनी होटलो में अनैतिक रूप से संचालित गतिविधियों पर लगाम लगाए ताकि होटलो पर रेड की कार्यवाही न हो और लेकसिटी की होटल अनैतिक गतिविधियों का अड्डा न बने।
"उदयपुर पर्यटन के क्षेत्र में भारतवर्ष में अपनी विशिष्ट पहचान रखता है उस पहचान को बनाए रखने के लिए हम सभी को प्रयत्न करना चाहिए ताकि आने वाले पर्यटक यहां आकर गौरानवित्त महसूस कर सकें।। इसी के साथ ही उदयपुर में बंद पड़े हुए म्यूजिकल फाउंटेन, टॉय ट्रेन को भी प्रशासन को अति शीघ्र प्रारंभ करना चाहिए जिससे कि बाहर से आने वाले पर्यटक इन स्थलों का परिवार सहित भरपूर आनंद ले सके" - राजेश अग्रवाल, उपाध्यक्ष, होटल एसोसिएशन, उदयपुर
"होटल में कोई पर्यटक आता है तो यह होटल संचालको की ज़िम्मेद्दारी है तो उन्हें पूर्ण रूप से संतुष्ट कर कस्टमर केयर और हॉस्पिटैलिटी पर विशेष ध्यान दे। जो निर्धारित दरें पूर्व में तय की गई है उनसे अधिक की वसूली न करे जहाँ प्रशासन सुनिश्चित करे की पर्यटकों के साथ ठगी न हो, वहीँ होटलो को भी कस्टमर से फीडबैक लेना चाहिए और सुझावों पर अमल करना चाहिए। पर्यटकों की शिकायत पर तुरंत एक्शन होना चाहिए। पर्यटको को कोई भी शिकायत हो तो कलेक्ट्रेट के विजिलेंस विभाग में शिकायत दर्ज करवानी चाहिए" - शिखा सक्सेना, उपनिदेशक, पर्यटन विभाग उदयपुर
उदयपुर की सड़कों पर इन दिनों आपको हर एक चौराह पर पुलिस जवान तैनात नज़र आ रहा होगा, वह आपसे हेलमेट और सीट बेल्ट की पहनने और लगाने की गुज़ारिश करता हुआ दिखेगा इसकी पालना न करने पर उस व्यक्ति को चालन थमा दिया जाएगा। यह पुलिस की ओर से अच्छा प्रयास है लेकिन ट्रेफिक वयवस्था का जिम्मा कौन लेगा। लेकसिटी में आने वाला टूरिस्ट चाहता है कि वह शहर में जाए तो उसको ट्रेफिक की समस्या का सामना नही करना पड़े लेकिन शहर में प्रवेश करते ही उसको इस समस्या में उलझना पड़ता हैं। जिस तरह हेलमेट और सीट बेल्ट पर पाबंदी की गई है ठीक उसी तरह ट्रैफिक की समस्या का भी जल्द निस्तरण होना चाहिए।
अमराई घाट एक सकुन अनुभव का प्रवेश द्वार है जो उदयपुर में ओल्ड सिटी कहे जाने वाले क्षेत्र की पुरानी सड़कों से गुज़रता हैं। पहले यहां प्रवेश और किसी भी तरह का टिकिट नहीं लगता था तब यहां पर आपको युवा पीढ़ी ज्यादा नज़र आती थी लेकिन देवस्थान विभाग की ओर से टेंडर देने के बाद यहां प्रवेश शुल्क के नाम पर अवैध वसूली की जा रही हैं। अब यहां युवा पीढ़ी तो दूर कोई भी पर्यटक आना पसंद नहीं करता हैं। यहां प्रवेश के लिए किसी से मंदिर का शुल्क लिया जाता है तो वहीं पर्यटक से मोबाइल ले जाने के 200 रु लिए जा रहे हैं। ऐसे में पर्यटक हैरान है कि प्रवेश शुल्क फीस तो वाजिब है लेकिन मोबाइल ले जाने के 200 रु. आखिर किस बात के पर्यटक से लिए जा रहे हैं।
फतहरसागर के बीच स्थित ऐतिहासिक नेहरु गार्डन की मरम्मत के लिए बस दिलासा ही दिया जाता हैं। वहां किसी भी तरह का काम नहीं शुरु करवाया जाता हैं। यूआईटी की ओर से न तो गार्डन में फव्वारे लगवाए जाते है न ही गार्डन की सुदरंता के लिए फूल वाले पौधे लगाए जाते हैं। ऐसे में जो भी पर्यटक नेहरु गार्डन घूमने जाता है वह ठगा सा महसूस करता हैं।
To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on GoogleNews | Telegram | Signal