खिलाड़ियों का यौन शोषण-खेल में राजनीति का घालमेल


खिलाड़ियों का यौन शोषण-खेल में राजनीति का घालमेल

महिला खिलाड़ियों के यौन शोषण के मामले पर चर्चा तो खूब होती है लेकिन आरोपियों पर कार्यवाही न के बराबर होती है। कारण बताने की आवश्यकता नहीं

 
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अभी देश में महिला पहलवानो ने भारतीय कुश्ती महसंघ के अध्यक्ष और उत्तरप्रदेश के गौंडा से भाजपा सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए है। जिसे लेकर खेल जगत ही नहीं बल्कि पूरे देश में सनसनी मची हुई है। आरोप लगाने वाली महिला पहलवानो के समर्थन में कोई और नहीं बल्कि भारत के लिए कामनवेल्थ गेम्स और एशियाई खेल में गोल्ड दिलवाने वाली विनेश फोगाट, ओलिंपिक में ब्रॉन्ज़ मैडल हासिल करने वाली साक्षी मलिक और ओलिंपिक और एशियाई गेम्स में परचम फहराने वाले बजरंज पुनियाँ जैसे देश के बड़े पहलवान अखाड़े में उतर गए।

देश में खेल में महिला खिलाड़ियों के उत्पीड़न और यौन दुराचार के मामले यदाकदा सामने आते रहते है। अभी हाल ही में पूर्व हॉकी खिलाडी और हरियाणा की भाजपा सरकार में मंत्री संदीप सिंह पर भी एक महिला कोच ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन के पूर्व कोषाध्यक्ष आनंदेश्वर पांडे पर रेप का मुकदमा हुआ था।

कहीं राजनीति और खेल का घालमेल तो ज़िम्मेदार नहीं 

भारत में अक्सर खेल संघो और खेल बोर्ड के अध्यक्ष खेल के एक्सपर्ट और खिलाडी की बजाय राजनीतिज्ञ पाए जाते है। बीसीसीआई इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। शरद पवार (एनसीपी), जय शाह (भाजपा नेता अमित शाह के पुत्र), राजीव शुक्ला (कांग्रेस), अनुराग ठाकुर (भाजपा), वैभव गहलोत (कांग्रेस नेता अशोक गहलोत के पुत्र), डॉ सीपी जोशी (कांग्रेस नेता) और ढेरो ऐसे बीसीसीआई के पदाधिकारी जिनका क्रिकेट से कोई नाता नहीं है लेकिन राजनैतिक रसूख के चलते उच्च पदों काबिज़ रहे है। 

क्रिकेट ही नहीं हॉकी, फुटबॉल, कुश्ती और अन्य खेलो के पदाधिकारी भी खेल से जुड़े हुए हो न हो लेकिन राजनीति से जुड़े हुए है। ऐसे में खिलाड़ियों का शोषण विशेषकर महिला खिलाड़ियों के यौन शोषण के मामले जब सामने आते है तो चर्चा तो खूब होती है लेकिन आरोपियों पर कार्यवाही न के बराबर होती है। कारण बताने की आवश्यकता नहीं। 

हालाँकि ऐसा नहीं की सभी आरोप सही हो लेकिन राजनेताओ के रसूख के चलते आरोपों की निष्पक्ष जांच संभव नहीं है। ऐसे में आरोपी बेदाग निकलता है तो संशय की गुंजाईश रहती है कि आरोपों की जांच निष्पक्ष हुई है।     

भारत में खेल में यौन दुराचार का इतिहास

जुलाई 2022 में इंडिया अंडर-17 महिला फुटबॉल टीम के सहायक कोच एलेक्स एम्ब्रोस को यूरोप दौरे के दौरान यौन दुराचार के आरोपों के बाद बर्खास्त कर दिया गया था। अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ ने शिकायत दर्ज कराने के दो दिन बाद एम्ब्रोस को तुरंत वापस बुला लिया था।

जून 2022 में एक महिला साइकिल चालक ने स्लोवेनिया दौरे पर मुख्य कोच आरके शर्मा पर यौन उत्पीड़न और दुर्व्यवहार का आरोप लगाया था। कोच आरके शर्मा ने महिला खिलाडी के साथ एक ही कमरे में रहने को मजबूर किया था। कोच ने बहाना बनाया था कि एक कमरे में ही दो लोगों के रहने की व्यवस्था की गई है। केस दर्ज कराने के बाद कोच का करार खत्म कर दिया गया था।

जुलाई 2021 में 7 महिला एथलीटों ने तमिलनाडु के ट्रैक एंड फील्ड कोच पी नागराजन पर दुर्व्यवहार और यौन शोषण का आरोप लगा। 19 वर्षीय महिला एथलीट ने सबसे पहले पी नागराजन के विरुद्ध आरोप लगाया था।

इसी प्रकार जनवरी 2020 में दिल्ली में एक महिला क्रिकेटर ने अपने कोच के खिलाफ छेड़छाड़ का मामला दर्ज करवाया था। जिसके बाद पूर्वी दिल्ली के सांसद और क्रिकेटर गौतम गंभीर की मदद से महिला क्रिकेटर ने एफआईआर दर्ज करवाई थी। 

सितंबर 2014 में एक महिला जिमनास्ट ने कोच के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराई थी। जिम्नास्ट ने अपने कोच मनोज राणा और साथी जिमनास्ट चंदन पाठक पर राजधानी के इंदिरा गांधी खेल परिसर में एक प्रशिक्षण शिविर के दौरान अभद्र टिप्पणी करने का भी आरोप लगाया था।

मार्च 2011 में तमिलनाडु स्टेट एमेच्योर बॉक्सिंग एसोसिएशन के सचिव पर उत्पीड़न, छेड़छाड़ और धमकाने का आरोप लगा था। एक महिला मुक्केबाज ने उन पर राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं के लिए चयन के लिए यौन संबंध बनाने का दबाव बनाने का आरोप लगाया था।

वर्ष 2009 में आंध्र प्रदेश महिला क्रिकेटरों ने आंध्र क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव पर वी चामुंडेश्वरनाथ पर आंध्र महिला टीम में शामिल करने के लिए यौन संबंध बनाने के दबाव बनाने का आरोप लगाया था। 

भारतीय ओलंपिक संघ भी यौन उत्पीड़न के इस तरह के मामलों से अछूता नहीं है। मार्च 2022 में आईओए के पूर्व कोषाध्यक्ष आनंदेश्वर पांडे पर महिला हैंडबॉल खिलाड़ी सीमा शर्मा ने रेप का केस दर्ज कराया था। आनंदेश्वर पांडे हैंडबॉल फेडरेशन ऑफ इंडिया के महासचिव भी थे।

उपरोक्त मामले जो सामने आये है यह तो वह मामले है जहाँ महिला खिलाड़ियों ने हिम्मत दिखाई है। ऐसे कई अनगिनत मामले है जहाँ महिला खिलाडी अपने कैरियर और बदनामी के डर से चुप्पी साध जाती है। 
 

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