उदयपुर की जनता इन दिनों वेट एंड वॉच की स्थिति से गुज़र रही है। चाहे वह राजस्थान में सरकार की उठापटक का इंतज़ार हो या उदयपुर अहमदाबाद ब्रॉडगेज लाइन से ट्रैन का इंतज़ार। इन दो बड़े इंतज़ार के अलावा कुछ बड़े बड़े सपनो का इंतज़ार तो मेवाड़ की जनता बरसो से कर रही है। चाहे वह उदयपुर के महाराणा प्रताप एयरपोर्ट से इंटरनेशनल फ्लाइट का हो, चाहे स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के पूरा होने का हो या गुलाब बाग़ की टॉय ट्रैन हो या हाई कोर्ट बेंच का दीर्घकालीन स्वप्न हो या आयड़ नदी के वेनिस बनाने का लॉलीपॉप हो, आइये आज जानते है उदयपुर की जनता को किसका बेसब्री से इंतज़ार है।
मेवाड़ वागड़ के महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट की सभी तैयारी पूरी हो गई है। उदयपुर से लेकर अहमदाबाद तक ट्रेक भी बिछ चुकी है, अब इंतज़ार है तो सिर्फ इस ट्रेक पर दौड़ती रेलगाड़ियों का। पूर्व में सभी मीडिया ने कयास लगाया था की जून में इस पटरी पर रेलगाड़ी चल जाएगी फिर जुलाई में सम्भावना बताई गई उसके बाद सभी को आशा थी की 15 अगस्त को तो इस ट्रेक पर रेलगाड़ी दौड़ ही जाएगी लेकिन अगस्त के बाद सितंबर भी बीत गया। ट्रेक अभी भी ट्रैन का इंतज़ार कर रही है।
राजनैतिक कारणों से कहे या उत्तर रेलवे और उत्तरपश्चिम रेलवे के आपसी सामंजस्य की कमी या ट्रेवल माफिया की दखल अंदाज़ी या नेताओ का श्रेय लेने की होड़ या अन्य किसी और कारण जो भी हो लेकिन उदयपुर ही नहीं दक्षिणी राजस्थान की समस्त जनता इस ट्रेक पर जल्द से जल्द रेलगाड़ियों को भागते देखना चाहती है।
हाल ही में राजस्थान से गुज़रे राजनैतिक बवंडर के बाद एक फिर तूफान के पहले शांति वाली स्थिति बनी हुई है। कांग्रेस की आंतरिक धमाचौकड़ी के बाद उदयपुर ही नहीं समस्त प्रदेश की जनता असमंजस की स्थित में फांसी हुई है की प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा ? जादूगर ही अपनी जादूगरी दिखाते रहेंगे या राजस्थान का विमान पायलट को सौपा जायेगा ? या फिर दोनों की लड़ाई में मेवाड़ के प्रदेश के नेता की लाटरी लगेगी ? यह सवाल सभी के ज़ेहन में कौंध रहा है।
पर्यटन नगरी और झीलों का शहर लेकसिटी के पयर्टन उद्योग को चार चाँद लगाने की दृष्टि से उदयपुर के महाराणा प्रताप हवाई अड्डे से वर्तमान में घरेलु उड़ानों को ही संचालित किया जा रहा है। लेकसिटी के महाराणा प्रताप एयरपोर्ट से इंटरनेशनल फ्लाइट का इंतज़ार ने सिर्फ लेकसिटी के पर्यटन जगत को बल्कि मेवाड़ वागड़ से खाड़ी देशो में कार्यरत अप्रवासियों को भी बेसब्री से इंतज़ार है। यदि लेकसिटी से इंटरनेशनल फ्लाइट्स शुरू हो जाए तो न सिर्फ पर्यटन और व्यापर जगत बल्कि अप्रवासी भी लाभन्वित होंगे।
देश में 100 स्मार्ट सिटी बनाने के लिए उदयपुर का भी चयन किया गया था। इस प्रोजेक्ट पर काम भी शुरू हो गया है। लेकिन तीन साल से अभी भी काम ही चल रहा है। अभी तक तो जनता स्मार्ट सिटी कार्य के चलते शहर को गड्डे से ही दो चार हो रही है। शहर की जनता भी बेसब्री से जैसे तैसे इस प्रोजेक्ट को पूरा होते देखना चाहती है। ऐसे ही शहर में अनेक स्थानों पर फ्लाईओवर, अंडर ब्रिज चौड़ी सड़को का सपना देख रही है देखते है शहर का यह सपना कब पूरा होता है।
मेवाड़ वागड़ की जनता के इस दीर्घकालीन सपने को हकीकत में बदलना फिलहाल संभव नहीं लग रहा है। प्रदेश के सत्ता पर काबिज़ दोनों ही बड़ी पार्टिया इस मुद्दे को चुनावो के समय जनता को झुनझुना तो थमा देती है लेकिन जनता के हाथ अभी भी हाईकोर्ट बेंच से खाली है। इस को लेकर बड़े बड़े आंदोलन भी हो चुके है लेकिन नतीजा सिफर ही रहा है कारण की मेवाड़ के वर्तमान नेतृत्व में दोनों ही पार्टी के कागज़ी शेर इस मुद्दे पर दहाड़ने की ताकत खो चुके है।
चुनाव के समय क्षेत्र के नेता द्वारा दिखाये गए इस दिवास्वप्न पर खर्च तो करोडो का हो चूका है लेकिन आयड़ नदी वेनिस बनना तो दूर अब तो वह नदी भी नहीं रही। इस नदी में पानी में बरसात के मौसम में ही नज़र आता है वह भी तब जब झीलों के केचमेंट में अच्छी बरसात हो। वर्ष पर्यन्त तो इस नदी में शहर का सीवरेज ही बहता नज़र आता है। अब सीवरेज के किनारे रिवर फ्रंट का सपना तो हमारे महान नेता ही दिखा सकते है।
बचपन से उदयपुर के गुलाबबाग में टॉय ट्रैन हुआ करती थी नाम था 'अरावली एक्सप्रेस' जिनमे बैठकर 80-90 के दशक के बच्चे बड़े चाव से सवारी किया करते थे। फिर नगर निगम की कारगुजारियों से इस ट्रेक पर चलती ट्रैन बंद हो गई। एक बार फिर नगर निगम ने इस टॉय ट्रैन को नए सिरे से चलाने के पहले से बिछी हुई पटरिया उखाड़ डाली और नयी पटरियां बिछाने के लिए सैंकड़ो हरे पेड़ो की बलि भी चढ़ा दी लेकिन ट्रेक है बिछने का नाम नहीं ले रही है। और तो और इसी गुलाब बाग़ मसाला पार्क और न जाने कौन कौन से सपने नगर निगम ने दिखा डाले। हां गुलाबबाग में बर्ड पार्क ज़रूर शुरू हो गया लेकिन टॉय ट्रैन अभी कागज़ो में अटकी पड़ी है।
नगर निगम में विपक्ष में बैठी पार्टी लगभग चार साल बाद भी अपना नेता नहीं चुन पाई। जब भी पार्टी के कर्णधार उदयपुर आते है उदयपुर का मीडिया जगत यह सवाल उन पर दाग देता है और जवाब मिलता है जल्द ही आपको निगम में नेता प्रतिपक्ष देखने को मिलेगा लेकिन अभी तक नगर निगम को नेता प्रतिपक्ष का इंतज़ार है।
इसी प्रकार प्रदेश में 2018 में सरकार बदलने के बाद जनता को सत्ता पक्ष के स्थानीय नेता को यूआईटी के नए चेयरमैन के पद का इंतज़ार है। लेकिन एक अनार सौ बीमार वाली स्थिति में लगता नहीं की चुनाव से पहले उदयपुर को यूआईटी का नया चेयरमैन मिलेगा
अगस्त माह में हुई मण्णपुरम फाइनेंस कम्पनी में देश की सबसे बड़ी गोल्ड लूट की घटना के दो माह बाद भी पुलिस के हाथ खाली है। पुलिस के साथ जनता को भी इस केस के खुलासे का इंतज़ार है। इसी प्रकार लगभग एक साल पहले सुंदरवास हत्याकांड में बिहार निवासी हत्यारे पर पुलिस और कानून के लम्बे हाथ नहीं पहुँच पाए है।
इसी प्रकार झीलों की सफाई को लेकर किये गए लाखो करोडो के खर्च के बाद भी झीले स्वच्छ नहीं हो पाई है। यूआईटी तो अब तक फतहसागर स्थित नेहरू गार्डन की दशा सुधारने के लिए टेंडर की प्रक्रिया से ही गुज़र रही है । कुछ दिनों मीडिया में चचित अमराई घाट पर प्रवेश शुल्क का मसला भी अभी सुलझ नहीं पाया। शहर के प्रमुख पर्यटन स्थल और मेवाड़ की आस्था का केंद्र जगदीश मंदिर पर उगे पीपल के खूंटे और मरम्मत भी देवस्थान, इंटेक और एएसआई की फाइलों में अटके पड़े है।
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