सिर्फ बाक़ी रह गया बेलौस रिश्तों का फ़रेब, कुछ मुनाफिक हम हुए, कुछ तुम सियासी हो गए

सिर्फ बाक़ी रह गया बेलौस रिश्तों का फ़रेब, कुछ मुनाफिक हम हुए, कुछ तुम सियासी हो गए

पायलट गहलोत की खींचतान में हल्का सा हवा का झोंका कब सियासी बवंडर में बदल जाए इसका अंदाज़ा तो मौसम विशेषज्ञो को नहीं चल पाता है

 
gehlot pilot conflict

"सिर्फ बाक़ी रह गया बेलौस रिश्तों का फ़रेब, कुछ मुनाफिक हम हुए, कुछ तुम सियासी हो गए" शायर निश्तर खानकाही के यह शे'र  राजस्थान में कांग्रेस के गहलोत पायलट के रिश्ते पर सटीक बैठता है। एक तरफ जहाँ राहुल गाँधी की भारत जोड़ो यात्रा चल रही है वहीँ राजस्थान में गुलाबी सर्दी की दस्तक के साथ ही सियासी रेत फिर से गर्म हो रही है। रेतीले प्रदेश में न चाहकर भी रह रह कर बवंडर उठ ही जाते है। कांग्रेस में पायलट गहलोत की खींचतान में हल्का सा हवा का झोंका कब सियासी बवंडर में बदल जाए इसका अंदाज़ा तो मौसम विशेषज्ञो को नहीं चल पाता है।  

लगभग एक माह बाद राहुल गाँधी की भारत जोड़ो यात्रा में प्रदेश में प्रवेश करेंगी। जबकि डेढ़ माह पहले गहलोत के केंद्रीय राजनीती में जाने और उसके बाद के सियासी बवाल के बाद थोड़ी शांति थी। खड़गे जी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से पहले ही इस सियासी बवाल के योद्धाओ (गहलोत समर्थक महेश जोशी, शांति धारीवाल और धर्मेंद्र राठौड़) को नोटिस दे दिया गया था।  बवाल भी तब हुआ था जब खड़गे जी पर्यवेक्षक बनकर आये थे और उन्हें यहाँ से बैरंग लौटना पड़ा था। 

अब चूँकि खड़गे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए है तो पायलट और उनके समर्थको को भरोसा था कि इन तीनो पर कार्रवाही जल्द होगी। हालाँकि अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।  पायलट अब तक इंतज़ार ही कर रहे थे कि अचानक मानगढ़ में मोदीजी ने गहलोत की तारीफ कर पायलट को गहलोत की खिंचाई करने का तोहफा दे डाला। 

पीएम मोदी ने मंगलवार को मानगढ़ में कहा था की "गहलोत और मैंने सीएम के रूप में साथ काम किया है। वह मंच पर बैठे सभी सीएम में सबसे वरिष्ठ है।"  

पायलट ने हाथो हाथ इस बयान को लिया और पीएम द्वारा गहलोत की तारीफ की तुलना गुलाम नबी आज़ाद से कर डाली। उल्लेखनीय है की सदन में पीएम मोदी ने गुलाम नबी आज़ाद की भी तारीफ की थी और उसके बाद के घटनाक्रम में आज़ाद ने कांग्रेस छोड़कर अपनी नयी पार्टी बना ली। पायलट ने तंज कसते हुए कहा कि "प्रधानमंत्री ने जो तारीफ की, मैं समझता हूँ वह बड़ा दिलचस्प डेवलपमेंट है, प्रधानमंत्री ने इसी तरह सदन में गुलाम नबी आज़ाद की तारीफ की थी और उसके बाद क्या हुआ ? हम सबने देखा। इसलिए इस तारीफ को हल्के में नहीं लेना चाहिए"

पायलट के इस हमले के जवाब में राजनीती के जादूगर ने फिलहाल इतना ही जवाब दिया कि संगठन महामंत्री के सी वेणुगोपाल ने एडवाइज़री जारी कर कहा था की बयानबाज़ी न करे। अभी हमारा फोकस महंगाई, हिंसा जैसे मुद्दों पर केंद्र सरकार पर दबाव बनाने और प्रदेश में सरकार रिपीट करने पर होगा" वहीँ कांग्रेस की सुप्रिया श्रीनेत ने उसी मानगढ़ के मंच से गहलोत के बयान का समर्थन किया जहाँ उसने कहा था कि "पीएम दुनियां में जहा जाते है उनका सम्मान गांधीजी और नेहरू की वजह से होता है।" कांग्रेस ने इस बयान को मोदी को आईना दिखाने वाला बयान करार दिया है।  

गहलोत हालाँकि शांत है लेकिन उनके योद्धा फिर से बयान की तलवार लेकर मैदान में कूद पड़े है। गहलोत सर्मथक महेश जोशी ने पयलट को अपने गिरेबान में झाँकने की बात कही है तो गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा ने 'ठहरे हुए पानी में कंकड़ न मार' का ट्वीट किया। 

सितंबर के सियासी मैच में बैक फुट पर बल्लेबाज़ी कर रहे पायलट अचानक से फ्रंट फुट पर आ गए है।  पायलट चाहते है की जिन्हे नोटिस दिया था उन पर एक्शन लिया जाये लेकिन आलाकमान की दुविधा यह है की एक तरफ जहाँ राहुल गाँधी की भारत जोड़ो यात्रा दक्षिण से उत्तर की तरफ बढ़ रही है वहीँ दूसरी तरफ गुजरात हिमाचल के चुनाव सामने है। गुजरात चुनाव में गहलोत को बड़ी ज़िम्मेदारी भी सौंपी गई है। ऐसे में क्या करे, क्या न करे की स्थिति में है पार्टी और उनका नेतृत्व।    

आने वाले दिनों में यह नया तूफान कितना बखेड़ा खड़ा करता है यह तो समय बताएगा लेकिन इतना तय है की अब सब कुछ शांत हो जाये ऐसी संभावना कम ही है। एक तरफ जहाँ पायलट का सब्र का बांध टूटता दिख रहा है वहीँ गहलोत क्या नया जादू दिखाते है यह तो खड़गे जी भी नहीं जानते। खड़गे के सामने एक तरफ कुआँ है तो दूसरी तरफ खाई।             

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