रंग पे छिड़ी जंग

रंग पे छिड़ी जंग 

रंग पर जंग उस देश में छिड़ी है जहाँ रंगो का त्यौहार सबसे बड़ा त्यौहार है

 
colour contoversy

90 के दशक में एक फिल्म आई थी नाम था मोहरा जिसमे अक्षय कुमार और रवीना टंडन पर फिल्माया गया गाना टिप टिप बरसा पानी जो बेहद मशहूर हुआ था। उस गाने में रवीना ने भी उसी रंग की साड़ी पहन कर पानी में आग लगाईं थी जिस रंग पर आज जंग छिड़ी हुई है। इसी तरह 2009 में अक्षय कटरीना की फिल्म दे दना दन में कटरीना ने भी उसी रंग की साड़ी पहनी थी। ठीक उसी रंग की आउटफिट्स दीपिका ने भी पठान फिल्म के एक गाने में पहनी है लेकिन बवाल मचा हुआ है। 

akhsay raveena katrina

यह वहीँ रंग है जिन्हे पहनकर बॉलीवुड की कई अभिनेत्रियों ने पूर्व में भी कहर ढाया है। भोजपुरी अभिनेता से नेता बने मनोज तिवारी और रवि किशन भी उसी रंग की साड़ी पहने हुए अभिनेत्रियों के आसपास मंडरा रहे है। 

manoj tiwari ravi kishan

अब विरोध अगर दीपिका के द्वारा पहनी गई ड्रेस से झलकती अश्लीलता पर है तो समझ में आता है हालाँकि यह पहला मौका नहीं की जब हिंदी फिल्मो में अश्लीलता परोसी गई हो। लेकिन अगर कहीं कुछ अश्लील या भावनाओ को आहत करने वाला है दृश्य है तो उस पर कैंची चलाने वाला सेंसर बोर्ड मौजूद है। फिर भी अगर कुछ अश्लीलता, नग्नता या भावनाओं का आहात करने वाला दृश्य है तो विरोध जायज़ है लेकिन यहाँ तो बवाल कपड़ो के रंग को लेकर है। 

विडंबना देखिए रंग पर जंग उस देश में छिड़ी है जहाँ रंगो का त्यौहार सबसे बड़ा त्यौहार है। दुनिया में मौजूद सभी रंगो का जनक भी इस बात से बेखबर रहा होगा कि उनके बनाये तरह तरह के रंगो में से किसी ख़ास रंग पर कोई बवाल मचाएगा। मध्यप्रदेश के एक मंत्री जी को तो रंग के इस बवाल में वोटो की खेती भी दिखाई दे रही है। 

akshay kumar

फिल्मो में क्रिएटिविटी के नाम पर अश्लीलता या नग्नता सभ्य समाज के लिए कतई स्वीकार के योग्य नहीं। उसका विरोध भी होना चाहिए। लेकिन विरोध बेमतलब भी नहीं होना चाहिए। वैसे विरोध का सबसे अच्छा तरीका यही है है की आप जिन्हे नापसंद करते है वह फिल्म न देखे लेकिन दूसरो को देखने के अधिकार छीनने का हक़ किसी का नहीं होना चाहिए। किसी भी फिल्म में कुछ गलत या आपत्तिजनक है तो उसके लिए सेंसर बोर्ड पर्याप्त है। 

इस युग में पहले ही इंसान बहुत बंट चूका है अब कृपया रंगो में तो मत बांटिये। पेड़ के हरे पीले पत्ते भी उतने ही ख़ूबसूरत है जितने उनकी शाख पे खिलने वाले रंग बिरंगे लाल, गुलाबी, नारंगी फल और फूल। आज इस रंग पर आपत्ति है कल किसी और रंग पर आपत्ति होगी। आखिर यह सिलसिला कहाँ थमेगा कोई नहीं जनता।   
     

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