सरकार एमएसएमई का बकाया साढ़े पांच लाख करोड़़ दें दे तो भी गाडी चल पड़ेगी

सरकार एमएसएमई का बकाया साढ़े पांच लाख करोड़़ दें दे तो भी गाडी चल पड़ेगी

 
सरकार एमएसएमई का बकाया साढ़े पांच लाख करोड़़ दें दे तो भी गाडी चल पड़ेगी
जरूरत नहीं होगी 376500 करोड़ रूपयें के पैकेज की

उदयपुर। मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर शूरवीर सिंह भाणावत ने कहा कि एमएमसएएमई उद्योग सरकार अपना साढ़े पांच लाख करोड़ रूपया मांग रही है। यदि सरकार उनका बकाया पैसा भी रिलीज कर दे तो हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 20 लाख करोड़ रूपयें के आर्थिक पैकेज के अन्र्तत एमएएसएमई उद्योग के लिये दिये गये 376500 करोड़ रूपये की आवश्यकता नहीं होगी।  

वे आज जैन सोश्यल ग्रुप मेवाड़ रिजन द्वारा एमएसएमई उद्योगों पर ऑनलाईन आयोजित बैठक में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि सरकार एमएसएमई योजनान्तर्गत  376500 करोड़ का पैकेज दिया है। देश में 6 करोड़ 33 लाख 88 हजार उद्योगों है जिनमें 11 करोड़ 9 लाख 79 हजार लोगों को रोजगार मिला हुआ है। सकरार ने उक्त आर्थिक पैकेज में 3 लाख करोड़ रूपयें कोलेट्रोल फ्री लाॅन और 20 हजार करोड़ रूपयें दबाव वाली एमएसएमई को सबोेिर्डनेट डेट, 50 हजार करोड़ रूपयें फडं आॅफ फडं स्कीम, 2500 करोड़ ईपीए तथा 4 हजार करोड़ रूपयें गारन्टी के रूपयें दिये है।

उन्होंने बताया कि आत्मनिर्भर भारत बनाने में जारी की गई योजना में एमएसएमई उद्योगों को लाभ होने की संभावना कम दिखाई देती है क्योंकि बैंको के पास पहले से ही नगदी की पर्याप्त तरलता है लेकिन बाजार में माग न होने के कारण एमएसएमई उद्योग बैंको से ऋण लेनें में रूचि नहीं दिखा रहे है।

उन्होंने बताया कि बैंको के पास पर्याप्त नगदी की तरलता होने एवं मांग में कमी के कारण 4 मई 2020 को आरबीआई को 8 लाख 42 हजार करोड़ रूपयें की अतिरिक्त नगद राशि लौटाई।

प्रो. भाणावत ने बताया कि जनता का अर्थव्यवस्था के प्रति विश्वास उठ रहा है परिणाम स्वरूप मांग में कमी आयी है। जनता बैंको से धन निकाल कर घर में एकत्रित कर रही है। 2019 में देश में जहाँ 2.4 ट्रिलीयन नगदी प्रसार में वृद्धि हुई वंही आश्चर्यजनक रूप से 2020 के प्रथम 4 माह में ही 2.66 ट्रिलीयन नगदी प्रसार में वृद्धि हो गयी जबकि अर्थव्यवस्था ठप्प पड़ी हुई है।

भारत से बाहर जा रहा धन-  उन्होंने बताया कि भारत से पैसा बाहर जा रहा है। जंहा 2019 के 12 माह में आरबीआई की लिबरलाईज रेमिटेन्स स्कीम के तहत 13.78 बिलीयन डालर भारत से बाहर गया वहीं 2020 के प्रथम 4 माह में 18.75 बिलीयन डाॅलर पैसा बाहर चला गया। इसका सीधा अर्थ यह है कि भारतीय जनता विदेशांे में निवेश मंे कर रही है। यहाँ ऐसा लगता है कि जनता में असुरक्षा की भावना घर कर रही है।

कोरपोरेट सेक्टर से विनियोग में आयी कमी -  प्रो.भाणावत ने बताया कि कोरपोरेट सेक्टर से भी विनियोग में कमी देखी गई है। जहाँ 2010-11 में जीडीपी का 15 प्रतिशत कोरेपोरेट सेक्टर विनियोग करता था वहीं यह 2016-17 में घटकर जीडीपी का 2.7 प्रतिशत रह गया है। इसका मुख्य कारण दिसम्बर 2019 में कोरपोरेट क्षेत्र में अपनी क्षमता का 68 प्रतिशत ही उपयोग किया क्योंकि बाजार में मांग नहीं है।  

सरकारी खर्च बढ़ने पर बढेगा रोजगार - ऐसी स्थिति में अब सरकार को सरकारी खर्च को विस्तृत स्तर पर बढ़ाना चाहिये। जिस प्रकार 1999 में वाजपेयी सरकार ने सड़कों के नेटवर्क पर खर्च किया। सरकारी खर्च बढ़ने से देश में रोजगार बढ़ेगा।

उन्होंने बताया कि लाॅकडाउन अवधि में जिन एमएसएमई उद्योगों ने मजदूरों को भुगतान किया है, उन्हें आयकर अधिनियम में अतिरिक्त कटौती या आर्थिक सहायता दी जानी चाहिये। जिन उद्योगों ने बिजली का बिल नहीं चुकाया है उनका आगामी 6 माह तक कनेक्शन न काटा जायें। इस अवसर पर जैन सोश्यल ग्रुप मेवाड़ रिजन के चेयरमैन आर.सी.मेहता,सचिव अरूण माण्डोत ने भी अपने विचार रखें । बैठक में 70 सदस्यों ने भाग लिया।
 

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