शहद ने बदली किसान की किस्मत

शहद ने बदली किसान की किस्मत

खादी एवं ग्रामोद्योग मेला जारी  
 
शहद ने बदली किसान की किस्मत
नीमच जिले के छोटे से गांव केलुखेड़ा के युवा किसान अनिल धाकड़ ने बताया कि उन्होंने जिले में पहली बार शहद उत्पादन किया। ग्रामोद्योग से उन्होंने 15 लाख का लोन लेकर यह धंधा शुरू किया। पहली बार 40 बॉक्स लगाएं और 3 महीने में 60 किलो शहद का उत्पादन किया। धाकड़ ने शहद से 3 महीने में अच्छे पैसे कमाएं। आज बड़े पैमाने पर शहद का उत्पादन कर रहे हैं। 

उदयपुर 17 दिसंबर 2019। नगर निगम प्रांगण में चल रहे खादी मेले में नीमच का शहर अफीम के अलावा शहद उत्पादन के रूप में काफी लोकप्रिय हो रहा है। 

नीमच जिले के छोटे से गांव केलुखेड़ा के युवा किसान अनिल धाकड़ ने बताया कि उन्होंने जिले में पहली बार शहद उत्पादन किया। ग्रामोद्योग से उन्होंने 15 लाख का लोन लेकर यह धंधा शुरू किया। पहली बार 40 बॉक्स लगाएं और 3 महीने में 60 किलो शहद का उत्पादन किया। धाकड़ ने शहद से 3 महीने में अच्छे पैसे कमाएं। आज बड़े पैमाने पर शहद का उत्पादन कर रहे हैं। 

जिले के जावर तहसील के गांव केलु खेड़ा के युवा किसान अनिल धाकड़ ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की लेकिन नौकरी ना करते हुए खेती करना शुरू किया।  उन्होने मधुमक्खी पालन के विषय में पड़ा था। कोटा जाकर प्रशिक्षण लिया। प्रशिक्षण लेकर उन्होंने युवाओं का एक समूह बनाया और मधुमक्खी पालन के लिए 40 बक्से बनाये।  इस पर करीब डेढ लाख रूपयें का खर्च आया और शहद उत्पादन शुरू किया। इस दौरान उन्होंने फूलों की खेती भी की। बाजार में 400 रूपयें प्रति किलो बिकता है।

किसान अनिल धाकड़ ने उत्पाद का ट्रेडमार्क ले भी रखा है। फूड लाइसेंस भी है। उन्होंने 11 से 13 अक्टूबर तक दिल्ली में चले अंतरराष्ट्रीय सहकारी व्यापार मेले में अपने उत्पाद की प्रदर्शनी लगाई थी। धाकड़ ने एग्री व्यापार में भी पंजीयन करवा रखा है। उनके उत्पाद ऑनलाइन भी उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि वह हर साल करीब 5 से 6 टन शहद का उत्पादन कर रहे हैं। 

अनिल ने बताया कि उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी की है कुछ समय नौकरी के बाद उन्होंने नौकरी के बजाय खेती को चुना मधुमक्खी पालन कर खेती को लाभ का धंधा बना इसमें सफलता प्राप्त की

मेला संयोजक गुलाबसिंह गरासिया ने बताया कि धाकड़ ने लगातार डिमांड के चलते मधुमक्खी पालन बॉक्स उज्जैन के नजदीक शिवपुरी में लगाए। वहां अजवाइन की फसल अत्यधिक मात्रा में होती है। इससे मधुमक्खी को अजवाइन के फूलों से भरपूर शहद प्राप्त होता है। धाकड़ ने बताया कि उनकी कंपनी अजवाइन हनी ही उत्पादित करती है। अजवाइन औषधीय गुणों से भरपूर है। 

अनिल ने बताया कि नौकरी छोड़कर जब वह गांव लौटे तो उन्होंने पारंपरिक खेती को छोड़कर फूलों की खेती प्रारंभ की। जावद तहसील मे गेंदा फूलों की खेती की। अनिल ने मधुमक्खी प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद स्वयं का समूह बनाकर शहद का उत्पादन करने की प्रेरणा ली और आज वह खुद शहद उत्पादन कर बाजार में नंबर वन बनने की ओर अग्रसर है।  

राजस्थान में अच्छी मांग होने से अच्छा लाभ मिला। इस बीच अनिल के मुलाकात कृषि विभाग के वरिष्ठ अधिकारी यतीन मेहता से हुई। उन्होंने फूलों का उत्पादन कैसे बढ़ाया जाए इसके बारे में जानकारी दी।
 

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