सेंट्रल चमड़ा रिसर्च इंस्टीट्यूट (CLRAI) आम के गूदे से चमड़ा बनाने की तकनीक इजाद की है। इसमें किसी भी जानवर का इस्तेमाल नहीं किया जाता है । ऐसे में इसे शाकाहारी चमड़े का नाम दिया गया है। सीएलआरआइ नई तकनीक से भारतीय सेना के लिए दस्ताने और बैग बना रही है।
सीएलआरआइ के वैज्ञानिकों के अनुसार 50% आम के गूदे और बायोपॉलिमर के मिश्रण से चमड़ा बनाया जा रहा है। यह सिंथेटिक चमड़ा पर्यावरण के अनुकूल है। मुख्य वैज्ञानिक डॉ. पी. थानिकाइवेलन ने बताया की यह सामग्री पॉलीयुरेथेन चमड़े की तुलना में तेज़ी से नष्ट होती है। इसके निर्माण की लागत चमड़े की मौजूदा कीमत से 60% कम है। इससे एक ओर हम पर्यावरण की रक्षा कर पा रहे है वहीँ दूसरी ओर पैसे की भी बचत हो रही है।
फैशन जगत में आ सकती है क्रांति
सीएलआरआइ के वैज्ञानिकों ने शाकाहारी चमड़ा बनाने के लिए तरल और पाउडर दोनों रूपों में बायोपॉलिमर के साथ आम के गूदे को मिलाया। बाद में मिश्रण को शीट में बदल दिया । बैग और लैपटॉप स्लीव्स जेसे उत्पाद बनाने के लिए इस सामग्री का उपयोग किया गया। इससे जल्द ही फुटवियर बनाने की भी योजना है। डॉ. थानिकाइवेलन ने कहा की आम से चमड़ा बनाने की तकनीक फैशन उद्योग में क्रांति ला सकती है।
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