उदयपुर। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, अर्चना अगरबत्ती और एम स्क्वायर फाउंडेशन ने अनूठी पहल करते हुए आज केन्द्रीय कारागृह में कैदियों के लिये जेल में ही रोजगार उपलब्ध कराते हुए अगरबत्ती निर्माण की शुरूआत की।
जेल अगरबत्ती पहल का बुधवार को सेंट्रल जेल स्थित हॉल में जिला सेशन एवं न्यायाधीश आर पी सोनी, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव व एडीजे रिद्धिमा शर्मा, एम स्क्वायर फाउंडेशन के अध्यक्ष मुकेश माधवानी व विक्रम माधवानी, बीइंग मानव पहल की संयोजिका कनिष्का श्रीमाली, अर्चना ग्रुप ऑफ कम्पनीज से सौरभ पालीवाल व नेहा पालीवाल, सेंट्रल जेल अधीक्षक सुरेन्द्र सिंह शेखावत, बीना चित्तौड़ा ने इसका विधिवत शुभारंभ कर इसका पोस्टर लॉन्च किया। इसके साथ ही अगरबत्ती निर्माण कार्य प्रारम्भ हो गया।
जिला सेशन एवं न्यायाधीश आर पी सोनी ने बताया कि सेंट्रल जेल में सजा काट रहे कैदियों के लिये इस प्रकार की योजना भविष्य में काफी लाभप्रद रहेगी। उनके द्वारा बनायंे गये उत्पाद आमजन द्वारा खरीदें जानें कैदियों को सजा के दौरान रोजगार तों मिलेगा ही साथ ही उनकी आमदनी भी शुरू होगी। वह पैसा उन कैदियों के घर वालों तक पहुंचेगा ताकि उनके परिवार का पालन पोषण हो सकें। लॉक डाउन के चलते इन कैदियों के परिवारजन बेरोजगार हो गए है और उनके लिए आय के स्त्रोत खुल सके और इनका परिवार बेहतर जिंदगी जी सकें।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव व एडीजे रिद्धिमा शर्मा ने बताया कि सजा पूरी होने के बाद जब यह कैदी बाहर निकलें तो इस हुनर की बदौलत कहीं नौकरी कर सकेंगे या इस आय से अपना कोई स्वरोजगार शुरू कर सकेंगे, ताकि इनका परिवार फिर से बेहतर जिंदगी ओर अग्रसर हो सकें। देश में अनेक जेलों में कैदियों द्वारा इस प्रकार के अनेक उत्पाद बनाकर प्रमोट किये जा रहे है, जिससे कैदियों के जीवन में काफी परिवर्तन देखने को मिला है। यह शुरूआत कैदी और आम लोगों के रिश्ते को एक अलग डोर में बांधने के साथ ही रोजगार के माध्यम से उनकी जिंदगी को एक नई शुरुआत देने का भी काम करेगी।
सेंट्रल जेल अधीक्षक सुरेन्द्र सिंह शेखावत ने बताया कि उदयपुर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, अर्चना ग्रुप ऑफ कंपनीज (अर्चना अगरबत्ती) और एम स्क्वायर फाउंडेशन ने यह अनूठी पहल उदयपुर सेंट्रल जेल के कैदियों के लिए शुरू की है, इसके तहत अर्चना अगरबत्ती की ओर से सेंट्रल जेल कैदियों को कच्ची सामग्री और मशीन उपलब्ध करवाई जाएगी जिसकी बदौलत वे सबसे पहले प्रायोगिक तौर पर अगरबत्ती बनाने का काम शुरू करेंगे, इसके एवज में इन कैदियों को जेल नियमों के तहत दैनिक मजदूरी और लाभ का कुछ अंश भी प्रदान किया जाएगा। एम स्क्वायर फाउंडेशन के साझे में शुरु हुई इस पहल में फाउंडेशन की ओर से इन उत्पादों को लोगों तक पहुंचाया जाएगा और उससे प्राप्त होने वाली राशि को भी सामाजिक सरोकार के कामों में लगाया जाएगा।
कैदियों को देंगे ट्रेनिंग, हुनरमंद भी बनाएंगे
अर्चना अगरबत्ती के सौरभ पालीवाल ने बताया कि कैदियों को मशीन पर काम करने के साथ ही हाथ से अगरबत्ती बनाने का काम भी सिखाया जाएगा। ऐसा इसलिए कि अगर वह बाहर निकल कर भविष्य में कभी रोजगार प्राप्त करने के लिए जाएं तो मशीन पर भी काम कर सके, साथ ही अगर स्वरोजगार के रूप में अगरबत्ती का काम शुरू करना चाहते हैं तो अपने हुनर की बदौलत घर पर ही अगरबत्ती बनाकर आय की शुरुआत कर सकते हैं। इस पहल का मकसद है कि कैदियों के परिवार जो आय के अभाव में जिंदगी जी रहे हैं उनको यह पैसा पहुंचाया जाए, ताकि परिवार का जीवन स्तर ऊपर उठ सके, साथ ही कैदियों को सजा पूरी होने के बाद एक नई जिंदगी शुरू करने का मौका मिल सकें, क्योंकि सजा काट लेने के बाद इन्हें रोजगार मिलना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में यह लोग अपने हुनर की बदौलत अपनी नई जिंदगी शुरू कर सकते हैं।
पहले अगरबत्ती पर हुई शुरुआत, आगे और भी प्रोडक्ट आएंगे - मुकेश माधवानी ने बताया कि पहल के नाम अनुसार ही इन उत्पादों को भी जेल उत्पाद के नामों से मार्केट में बेचा जाएगा ताकि उत्पादों को भी एक नई पहचान मिले और लोगों का कौतूहल भी इन उत्पादों के प्रति बढे। उन्होंने बताया कि इन उत्पादों को राजस्थान पुलिस से भी खरीदवानें की पहल की जा रही है, इसके लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र भेजा गया है कि वे गृह मंत्रालय के जरिए सभी पुलिस अधीक्षकों को जेल उत्पाद खरीदने के लिए लिखें। इसके अलावा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सहयोग से उदयपुर पुलिस को भी आग्रह किया जाएगा कि वह भी हमारी इस पहल में मदद करें।
साथ ही आम लोगों से भी पहल के तहत अनुरोध किया जा रहा है कि आप इस पहल में हमारा सहयोग करते हुए इन उत्पादों को खरीदे। प्रारम्भिक तौर पर मुख्यतः अगरबत्ती को खरीदें ताकि कैदियों को भी आय हो सके और उस से प्राप्त होने वाली राशि को भी सामाजिक काम में लगाया जा सके। यह मुहिम एक पंथ दो काज पर आधारित है जिसमें अगरबत्ती बेचने पर प्राप्त होने वाली आय को सामाजिक सरोकार के कामों में लगाया जाएगा और अगरबत्ती निर्माण का काम कैदियों के द्वारा किया जाएगा। इससे जहां कच्ची बस्ती आदि के जरूरतमंद लोगों तक तो सुविधा पहुंचेगी ही साथ ही कैदियों को भी आय होगी।
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