उदयपुर 10 अप्रैल 2024 । चैत्र शुक्ल द्वितीया से सिंधी नववर्ष का आरंभ होता है। इसे चेटीचंड के नाम से जाना जाता है। चैत्र मास को सिंधी में चेट कहा जाता है और चांद को चण्डु। इसलिए चेटीचंड का अर्थ हुआ चैत्र का चांद। इस बार यह पर्व 10 अप्रैल, बुधवार को मनाया गया।
सभी त्योहारों की तरह इस पर्व के पीछे भी पौराणिक कथाएं हैं। चेटीचंड को अवतारी युगपुरुष भगवान झूलेलाल के जन्म दिवस के रूप में जाना जाता है।उनका जन्म सद्भावना और भाईचारा बढ़ाने के लिए हुआ था। पाकिस्तान के सिंध प्रांत से भारत के अन्य प्रांतों में आकर बस गए हिंदुओं में झूलेलाल को पूजने का प्रचलन ज्यादा है।भगवान झूलेलालजी को जल और ज्योति का अवतार माना गया है।
इस उपलक्ष पर बुधवार को शहर के प्रमुख चौराहे से होकर एक भव्य जुलूस सिंधी समाज के लोगों द्वारा निकाला गया जिसमें लोगों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और इस भव्य जुलूस में कई झांकियां भी निकल गई लेकिन इस जुलूस में 100 मीटर लंबा तिरंगा वाराणसी से मंगाई गई भगवान राम की मूर्ति इस जुलूस का मुख्य आकर्षण रहे।
इस अवसर पर शहर के सभी मुख्य बाजारों को और जगह-जगह पर रास्तों को फूलों से सजाया गया था साथ जुलूस के रास्ते में भी जगह-जगह पर लोगों द्वारा स्टॉल लगाकर लोगों के लिए शरबत और अन्य इंतेजामत किए गए थे।
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