बाल श्रम से मुक्त करवाए गए 16 बच्चे, 15 नियोक्ताओं के खिलाफ FIR दर्ज

बाल श्रम से मुक्त करवाए गए 16 बच्चे, 15 नियोक्ताओं के खिलाफ FIR दर्ज

राजस्थान बाल आयोग के सदस्य की कोटडा विजिट के दौरान बाल श्रम से मुक्त करवाए गए 16 बच्चे। 15 नियोक्ताओं के खिलाफ FIR दर्ज
 
बाल श्रम से मुक्त करवाए गए 16 बच्चे, 15 नियोक्ताओं के खिलाफ FIR दर्ज
हर वंचित बच्चे को उसका अधिकार दिलवाना हमारी पहली प्राथमिकता - डाॅ. पण्ड्या
बाल श्रम मुक्त समाज की स्थापना में सभी की महत्वपूर्ण भूमिका - डाॅ. पण्ड्या 

उदयपुर 28 जनवरी 2020। राजस्थान बाल आयोग के सदस्य डाॅ. पण्ड्या ने कोटडा एवं गोगुन्दा क्षेत्र का विजिट कर यहाँ से मिली बाल श्रम की परिवेदनाओं की भी जांच करते हुए ब्लाॅक अधिकारीयों को निर्देश देने के साथ स्वयं मौके पर पहुंच कर कुल 16 बाल श्रमिकों को मुक्त करवाने के साथ 15 नियोक्ताओ के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई गई। 

बाल श्रम मुक्त समाज की स्थापना केवल किसी एक व्यक्ति या एजेन्सी के प्रयास से सम्भव नहीं है। बाल संरक्षण हेतु गठित ग्राम पंचायत से राज्य स्तर तक की समितियों एवं प्रशासन के संयुक्त प्रयास से ही बाल मित्र समाज का सपना साकार हो सकता है। राजस्थान बाल आयोग हर वंचित बच्चे को उसका अधिकार दिलवाने हेतु सदैव तत्पर है। उक्त विचार राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग, राजस्थान सरकार के सदस्य डाॅ. शैलेन्द्र पण्ड्या ने अपनी उदयपुर जिले की यात्रा के दौरान कोटडा पंचायत समिति की विजिट में उपखण्ड स्तरीय अधिकारियों एवं स्वयं सेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। 

डाॅ. पण्ड्या ने प्रातः 10ः30 बजे चित्रकुट नगर स्थित बाल कल्याण समिति, उदयपुर के कार्यालय में हाल ही में सुरत से रेस्क्यू कर उदयपुर लाए गए 125 बच्चो की वर्तमान स्थिति एवं प्रत्येक बच्चे की केस फाइल की जांच की। फाइल में मिली कमियों को उन्होंने आगामी 5 फरवरी 2020 तक पूरा करते हुए आयोग को रिर्पोट करने के निर्देश बाल कल्याण समिति, उदयपुर एवं बाल अधिकारिता विभाग को दिए है। 

बाल श्रम मुक्त समाज की स्थापना केवल किसी एक व्यक्ति या एजेन्सी के प्रयास से सम्भव नहीं है। बाल संरक्षण हेतु गठित ग्राम पंचायत से राज्य स्तर तक की समितियों एवं प्रशासन के संयुक्त प्रयास से ही बाल मित्र समाज का सपना साकार हो सकता है। राजस्थान बाल आयोग हर वंचित बच्चे को उसका अधिकार दिलवाने हेतु सदैव तत्पर है। उक्त विचार राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग, राजस्थान सरकार के सदस्य डाॅ. शैलेन्द्र पण्ड्या ने अपनी उदयपुर जिले की यात्रा के दौरान कोटडा पंचायत समिति की विजिट में उपखण्ड स्तरीय अधिकारियों एवं स्वयं सेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। 

कोटडा पंचायत समिति की उप खण्ड अधिकारी आईएएस डाॅ. टी शुभमंगला द्वारा कोटडा एवं आस-पास के क्षेत्रों में बाल अधिकारों के हनन की जानकारी आयोग को करवाते हुए, जिला प्रशासन उदयपुर द्वारा बच्चो के लिए किए जा रहे नवाचारो की जानकारी दी गई। 

राजस्थान बाल आयोग के सदस्य के साथ विजिट में बाल अधिकारिता विभाग की सहायक निदेशक मीना शर्मा, गोगुन्दा ब्लाॅक विकास अधिकारी अर्जुन सिंह, बाल कल्याण समिति के सदस्य जिग्नेश दवे, डाॅ. शिल्पा मेहता, श्रम विभाग के इन्सपेक्टर सज्जाद खान, चाइल्ड लाइन उदयपुर समन्वयक नवनित औदिच्य, आदिवाासी विकास मंच कोटडा के शरफराज शेख, जतन संस्थान से राजेश शर्मा, मैत्रीमन्थन संस्थान एवं चाइल्ड फण्ड इण्डिया के प्रतिनिधी उपस्थित रहे। 

रेस्क्यू में साथ रहे बाल कल्याण समिति के सदस्य जिग्नेश दवे एवं डाॅ. शिल्पा महेता ने रेस्क्यू किए गए 16 बच्चो में से 14 बालकों को श्री आसरा विकास संस्थान एवं 2 बालिकाओं को महिला मण्डल द्वारा संचालित आश्रम गृह में भिजवाया गया। 15 नियोक्ताओं के खिलाफ थ्ण्प्ण्त्ण् गोगुन्दा पुलिस थाने में चाइल्ड लाइन उदयपुर द्वारा करवाई गई। 

डाॅ. पण्ड्या ने समस्त स्थानीय स्वयं सेवी संस्थाओं को बाल श्रम की नियमित ट्रेकिंग रखने का आग्रह करते हुए, अपने-अपने क्षेत्र में इस हेतु जन-जागरूकता फैलाने का आह्वान किया। 
 

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