उदयपुर। शहर के चर्चित एवं हाई प्रोफाइल केस में मनीष खत्री पुत्र कमल खत्री निवासी भूपालपुरा, उदयपुर व आशीष लोढ़ा पुत्र अशोक लोढ़ा निवासी अशोकनगर, उदयपुर द्वारा इन्दिरा आईवीएफ के कर्मचारी अभिषेक सुखवाल के साथ गंभीर मारपीट व जान से मारने की धमकी का मामला सामने आया।
इस पर भूपालपुरा थाने में एफ.आई.आर. दर्ज हुई थी। कम्पनी के दोनों डायरेक्टर अभिषेक सुखवाल पर पिछले 2-3 महीनों से नई मैनेजमेन्ट को सपोर्ट न करने व नौकरी से त्यागपत्र देने का दबाव बना रहे थे। जब अभिषेक सुखवाल नहीं माना तो उसे ऑफिस के बाहर अपने परिचित की दुकान पर बुलाकर मनीष खत्री व आशीष लोढ़ा ने योजनाबद्ध तरीके से गंभीर चोटें पहुंचाई व जान से मारने व घर में घुस कर हाथ पांव काटने की धमकी देते हुए पुलिस में रिपोर्ट नहीं कराने के लिए दबाव बनाया।
इस पर अभिषेक ने कम्पनी के सी.ई.ओ. डॉ. क्षितिज मुर्डिया को सारे घटनाक्रम की जानकारी दी। इस पर डॉ. अजय मुर्डिया, चेयरमैन इन्दिरा आईवीएफ ने इस शिकायत को उचित जांच हेतु पुलिस अधीक्षक को भेजा।
जब इनके विरुद्ध थाना भूपालपुरा में एफ.आई.आर. दर्ज हुई तब से यह दोनों डॉ. अजय मुर्डिया, नितिज मुर्डिया व डॉ. क्षितिज मुर्डिया (मुर्डिया फेमिली) पर अभिषेक सुखवाल को समझाने व एफ. आई. आर. उठाने का दबाव बनाने लगे। जब मुर्डिया परिवार इनके दबाव में नहीं आया तो, इन्होंने एक गलत तथ्यों से भरी एफ. आई. आर. इन तीनों विरुद्ध का भूपालपुरा थाने में दर्ज करा दी। जिससे वे इन पर दबाव बनाकर अपनी गुंडागर्दी व कम्पनी हथियाने की साजिश पूरी कर सकें।
इस मामले पर पुलिस द्वारा मनीष खत्री व आशीष लोढ़ा दोनों को दोषी मानते हुए न्यायालय में इन दोनों के विरुद्ध चार्जशीट प्रस्तुत की।
सूत्रों के अनुसार जब मनीष खत्री व आशीष लोढ़ा का नितिज, डॉ. क्षितिज व डॉ. अजय मुर्डिया पर दबाव बनाने का मनसूबा सफल नहीं हुआ तो इन्होंने एक झूठी एफ.आई.आर. दर्ज कराई तथा सोशल मीडिया में दबाव डालने व बदनाम करने की दृष्टि से वायरल करना चालू कर दिया।
पुलिस जांच में पाया गया की मनीष खत्री व आशीष लोढ़ा द्वारा नितिज मुर्डिया, डॉ. अजय मुर्डिया व डॉ. क्षितिज मुर्डिया पर एफ. आई. आर. मनगढ़त व झूठे तथ्यों पर आधारित थी। जिसकी फाइनल क्लोजर रिपोर्ट भी न्यायालय में पुलिस ने पेश कर दी तथा यह मुकदमा झूठा पाया गया।
मनीष खत्री व आशीष लोढ़ा ने और दबाव बनाने के लिए कम्पनी (इन्दिरा आईवीएफ), बाहरी निवेशक (टी.ए. एसोसिएट्स) और सभी अन्य डायरेक्टर (नरेश पटवारी, धीरज पोद्दार, डॉ. अजय मुर्डिया, डॉ. क्षितिज मुर्डिया व नितिज मुर्डिया) पर उच्च न्यायालय, जयपुर में भी सिविल रिट दायर की, जो विचाराधीन है।
सूत्रों के अनुसार डॉ. अजय मुर्डिया ने सन् 1988 में इन्दिरा इनफरटीलिटी क्लीनिक की स्थापना की। उनके दोनों बेटों नितिज मुर्डिया व डॉ. क्षितिज मुर्डिया ने वर्ष 2011 में आईवीएफ की शुरूआत की और चंद सालों में उसको शीर्ष पर ले गए ।
मनीष खत्री व आशीष लोढ़ा से निकटता होने के कारण व इनके बार-बार पार्टनर बनने की इच्छा जाहिर करने के कारण डॉ. अजय मुर्डिया ने इनको कम्पनी में हिस्सेदारी देकर आशीष लोढ़ा को एकाउन्टेन्ट व मनीष खत्री को बिल्डिंग मेंटेंनेस का काम दिया। डॉ. अजय मुर्डिया, नितिज मुर्डिया व डॉ. क्षितिज मुर्डिया के मेडिकल काम द्वारा जैसे-जैसे इन्दिरा आईवीएफ का वर्चस्व देश में बढ़ता रहा उससे ज्यादा तेजी से आशीष लोढ़ा व मनीष खत्री की कम्पनी हथियाने की महत्वाकांक्षा बढ़ती रही व इन्होंने धीरे-धीरे निचले स्तर पर
कम्पनी हथियाने का जाल बिछाना चालू किया। इनकी यह नापाक कोशिश तब फेल हो गई जब कम्पनी के सकाी शेयर होल्डर्स व डायरेक्टर ने डॉ. क्षितिज मुर्डिया को इन्दिरा आईवीएफ के भविष्य की बागडौर का प्रतिनिधि मानते हुए मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सी.ई.ओ.) के पद पर नियुक्त किया। इसके उपरान्त मनीष खत्री व आशीष लोढ़ा को लगा कि अब इस तरह कम्पनी हथियाने के मकदस में कामयाब नहीं हो पाएंगे तब उन्होंने अभिषेक सुखवाल से मारपीट कर अपनी गुड़ागर्दी के दम पर कम्पनी व उसके कर्मचारियों पर काय बनाकर अपना वर्चस्व अन्य डायरेक्टर पर कायम करने की नापाक कोशिश की।
सूत्रों के अनुसार आशीष लोढ़ा इन्दिरा आई.वी.एफ. में एकाउन्टेन्ट है और उन्होंने ही लगभग डेढ़ साल पहले टी.ए. एसोसिट्स के अधिवक्ताओं व वकीलों से ई-मेल के द्वारा सारी बातचीत व शेयर होल्डर्स एग्रीमेन्ट के सकाी बिन्दुओं पर विचार विमर्श कर सभी डायरेक्टर्स के शेयर बिकवाएं। सभी डायरेक्टर्स ने अपनी इच्छा से अलग-अलग अनुपात में अपने-अपने शेयर टी.ए. एसोसिट्स को बेचे तथा शेयर बेचने से जो पैसा आया वह सभी डायरेक्टर्स ने अपने-अपने बैंक खातों में जमा किया।
इन्दिरा आईवीएफ के चैयरमेन डॉ. अजय मुर्डिया ने इस मामले पर कोई भी प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया।
7 फरवरी 2020 को कम्पनी की बोर्ड मीटिंग में डायरेक्टर व शेयर होल्डर्स द्वारा डॉ. क्षितिज मुर्डिया को कम्पनी का सी.ई.ओ. नियुक्त किया गया, लेकिन मनीष खत्री व आशीष लोढ़ा उक्त नियुक्ति से खफा थे। कम्पनी के बोर्ड के द्वारा अधिकृत संगठन को नहीं मानते हुए कम्पनी को हथिया कर अपने हिसाब से चलाना चाहते थे। इसलिए उनके मन में हॉस्पीटल के संचालन व प्रबन्धन की बात को लेकर मनमुटाव चल रहा था इसलिए अपनी गुंडागर्दी बताने तथा अन्य कर्मचारियों तथा प्रबन्धन को एक संदेश देने हेतु मारपीट की गई।
उदयपुर के कॉपोरेट इतिहास में शायद यह पहला मामला होगा कि जिसमें डायरेक्टर्स द्वारा कम्पनी के कर्मचारी के साथ जानलेवा मारपीट की गई हो।
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