विशिंग, वॉयस विशिंग का संक्षिप्त रूप है, धोखाधड़ी वाले फ़ोन कॉल या वॉयस मैसेज, जो पीड़ितों को लॉगिन क्रेडेंशियल, क्रेडिट कार्ड नंबर या बैंक विवरण जैसी संवेदनशील जानकारी देने के लिए धोखा देने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। फिर इन विवरणों का इस्तेमाल धोखाधड़ी, पहचान की चोरी या वित्तीय चोरी जैसी आपराधिक गतिविधियों के लिए किया जा सकता है। साइबर ठगी करने वालों का सबसे बड़ा हथियार विशिंग कॉल है। इसके जरिए आसानी से लोग उनके झांसे में आते हैं। और लाखों रुपए ठगा जाते हैं।
Source:- Raju & The Forty Theives
साइबर ठग अक्सर बैंक अधिकारी-कर्मचारी बनकर, कस्टमर केयर अधिकारी बनकर या किसी कंपनी का अधिकारी बनकर कॉल करते हैं और लोगों से उनकी बैंक खाता नंबर, क्रेडिट-डेबिट कार्ड, इंश्योरेंस पॉलिसी, आधार कार्ड आदि गोपनीय जानकारी पूछकर ऑनलाइन ठगी करते हैं। कॉल के अलावा वॉयस मैसेज, मैसेजकर लॉटरी, इनाम जीतने, ऑफर आदि के नाम पर झांसा देते हैं। सोशल मीडिया के जरिए भी दोस्ती, मैरेज, कारोबारी आदि के संबंध में मैसेज करके फंसाते हैं।
साइबर फ्राड के तरीके
साइबर ठगों से बचने का तरीका
ऐसे कॉल का जवाब न दें, जिसमें यूजर आईडी, पासवर्ड, डेबिट कार्ड-क्रेडिट कार्ड नंबर, पिन नंबर, सीवीवी नंबर आदि अपडेट करने या वेरीफाइ करने कहा जाए।
किसी क्रेडिट-डेबिट कार्ड के पासवर्ड, पिन, टिन नंबर आदि गोपनीय होते हैं। इसकी जानकारी किसी बैंक अधिकारी-कर्मचारी को भी नहीं रहती है।
-अधिकृत और सुरक्षित वेबसाइटों में ही दिए गए कस्टमर केयरों पर कॉल करें न कि मिलते-जुलते और तकनीकी रूप से असुरक्षित वेबसाइटों में दिए नंबरों पर।
To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on GoogleNews | Telegram | Signal