IIM उदयपुर ने हेल्थकेयर मैनेजमेंट के डिजिटल सॉल्यूशंस पर केंद्रित वेबिनार का आयोजन किया


IIM उदयपुर ने हेल्थकेयर मैनेजमेंट के डिजिटल सॉल्यूशंस पर केंद्रित वेबिनार का आयोजन किया

800 से अधिक प्रोफेशनल हुए शामिल

 
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भारतीय प्रबंध संस्थान (IIM) उदयपुर ने हेल्थकेयर मैनेजमेंट की दुनिया में डिजिटल सॉल्यूशंस पर केंद्रित डिजिटल हेल्थस्केप वेबिनार का आयोजन किया। इस वेबिनार में देश में प्रभावी हेल्थकेयर मैनेजमेंट के लिए संभावित डिजिटल सॉल्यूशंस पर विचार-विमर्श किया गया। IIM उदयपुर के सेंटर ऑफ हेल्थकेयर और सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन डिजिटल एंटरप्राइज मैनेजमेंट ने संयुक्त रूप से इसका आयोजन किया।

वेबिनार की थीम ‘रिथिंकिंग हेल्थकेयर मैनेजमेंट विद डिजिटल सॉल्यूशंस’ रखी गई और इसमें 800 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इनमें IIM उदयपुर के फैकल्टी, स्टाफ और छात्रों के साथ-साथ हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स, मेडिकल प्रैक्टिशनर्स, मेडिकल रिसर्चर्स और डिजिटल हेड्स थे।

वेबिनार में शामिल लोगों को संबोधित करते हुए, IIM उदयपुर के डायरेक्टर प्रो. जनत शाह ने कहा, ‘‘यह दूसरा ऐसा वेबिनार है जिसका आयोजन IIM उदयपुर कि दशक की सालगिरह समारोह के एक भाग के रूप में किया जा रहा है। हमारा मानना है कि हेल्थकेयर मैनेजमेंट के लिए डिजिटल सॉल्यूशंस एक बहुत ही महत्वपूर्ण क्षेत्र है और अब वो वक्त आ गया है, जब हमें इस विषय पर गहन मंथन करना चाहिए। एक संस्थान के रूप में हम डिजिटल टैक्नोलॉजी के बढ़ते महत्व को पहचानने में सबसे आगे रहे हैं और हमने यह भी देखा है कि किस तरह डिजिटल टैक्नोलॉजी दुनियाभर में न सिर्फ कारोबारों और अर्थव्यवस्थाओं को आकार दे रही है, बल्कि स्वास्थ्य प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही है, हालांकि इस क्षेत्र में बहुत जटिलताएं हैं। इस तरह के प्रयासों के माध्यम से हम अकादमिक मोर्चे पर उत्कृष्ट परिवर्तन करते हुए एक शोध-केंद्रित संस्थान के निर्माण पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।’’

वेबिनार में मुख्य वक्ता के तौर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए आईदृष्टि के सीईओ और फाउंडर और नेशनल हेल्थ अथॉरिटी में एडवाइजर (टैक्नोलॉजी) श्री किरण आनंदमपिल्लई ने कहा, ‘‘स्वास्थ्य सेवा ने हालांकि डिजिटल दौर में प्रवेश कर लिया है, लेकिन इसके सामने अब भी अनेक ऐसी चुनौतियाँ हैं जिन्हें हल करने की आवश्यकता है। एक मरीज के स्वास्थ्य की अपडेट रिपोर्ट/सूचना को मानकीकृत करने के लिए, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और नेशनल हेल्थ अथॉरिटी ने व्यक्तियों और आवास के पीएचआर पते को डिजिटल रूप से जोड़कर आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के माध्यम से स्वास्थ्य रिकॉर्ड साझा करना शुरू कर दिया है। इसके लिए मानकीकृत एफएचआईआर (फास्ट हेल्थकेयर इंटरऑपरेबिलिटी रिसोर्सेज) प्रारूप में रिपोर्ट तैयार की जा रही है। इस पहल के साथ हेल्थ इन्फॉर्मेशन एक्सचेंज एंड कंसेंट मैनेजमेंट सिस्टम भी जुड़ा है। यह सिस्टम लोगों को उनकी जानकारी को प्रदाताओं के साथ साझा करने से संबंधित नियंत्रण और सहमति प्रदान करता है। एनडीएचएम की डिजिटल स्वास्थ्य संबंधी पहल देश में उन्नत किस्म की स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के लिए जमीन तैयार करती है। यह कदम देश को अगली पीढ़ी के डिजिटल हेल्थकेयर इको-सिस्टम में छलांग लगाने में मदद करेगा, जैसे आधार और यूपीआई ने नागरिक पहचान और वित्तीय प्रणाली जैसे डोमेन में किया था। हेल्थकेयर मैनेजमेंट के लिए डिजिटल सॉल्यूशंस को अपनाने से स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में योगदान करने के इच्छुक लोगों को उद्यमशीलता और परामर्श के बहुत सारे अवसर भी मिलते हैं।’’

वेबिनार में ‘हाऊ डिजिटल सॉल्यूशंस कुड हेल्प शेप द फ्यूचर ऑफ हेल्थकेयर इन इंडिया’ विषय पर पैनल चर्चा भी आयोजित की गई। इसमें प्रो. विजय चंद्रू (कमिश्नर, लैंसेट सिटीजन कमीशन ऑन रिइमेजिनिंग इंडियाज हेल्थ सिस्टम), श्री जगदीप गंभीर (सीईओ और को-फाउंडर, कर्मा हेल्थकेयर) और श्री जयदेव वर्मा (हैड ऑफ प्रोडक्ट, एंकोरा हेल्थ, एम्स्टर्डम) शामिल हुए। IIM उदयपुर के प्रोफेसर प्रकाश सत्यवागीश्वरन और प्रो. वेधा पोनप्पन ने इसका संचालन किया।

प्रो. विजय चंद्रू ने मानव जीन के बेहतर विश्लेषण के लिए उपकरण प्रदान करने और जटिल स्वास्थ्य समस्याओं को हल करने में डिजिटल तकनीकों के उपयोग के लिए एक शिक्षाविद से एक उद्यमी बनने की अपनी यात्रा को साझा किया। कर्मा हेल्थकेयर के जगदीप गंभीर ने नर्स असिस्टेंट मॉडल के बारे में गहराई से जानकारी दी, जहां एक फिजिकल क्लिनिक, फार्मेसी और प्रयोगशालाएं बनाई जाती हैं, और एक योग्य चिकित्सक द्वारा वीडियो कॉल के जरिये परामर्श प्रदान किया जाता है। जयदेव वर्मा ने समाज को व्यापक रूप से घेरने वाली तीन समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए अपनी एंकोरा हेल्थकेयर यात्रा साझा की। ये तीन समस्याएं हैं- जनसंख्या स्वास्थ्य समस्या, डिजिटल चिकित्सा विज्ञान की वैल्यू और स्वास्थ्य से जुड़े जीवन शैली संबंधी विकार। उन्होंने कहा कि इन तीनों समस्याओं को पहचाननेे में असमर्थ रहने पर तबाही मच सकती है।

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