शैक्षणिक संस्थाओं में डिजिटल नेटवर्किंग आज की महती आवश्यकता-डॉ नरेंद्र सिंह राठौड़

शैक्षणिक संस्थाओं में डिजिटल नेटवर्किंग आज की महती आवश्यकता-डॉ नरेंद्र सिंह राठौड़

शैक्षणिक संस्था में पुस्तकालय एक अहम इकाई होती है जिसको वैश्विक सूचना केंद्र के रूप में स्थापित किया जाना चाहिए

 
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कार्यक्रम सूचना एवं प्रौद्योगिकी के प्रयोग द्वारा पुस्तकालय प्रबंधन में भी उपयोगी सिद्ध होगा

 महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय उदयपुर के संघटक सामुदायिक एवं व्यवहारिक विज्ञान महाविद्यालय के  द्वारा "नेटवर्क्स डिजिटल वातावरण में ज्ञान प्रबंधन" दो दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट कार्यक्रम का उद्घाटन समारोह किया गया जिसमें महाविद्यालय के 30 शिक्षकों ने सक्रिय रूप से भाग लिया कार्यक्रम के मुख्य अतिथि माननीय कुलपति डॉ नरेंद्र सिंह जी राठौड़,महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने कहा कि नई शिक्षा नीति मैं अनुकूलित मिश्रित सहयोगात्मक ज्ञान पर विशेष जोर दिया गया है जो कि डिजिटल  नेटवर्किंग के द्वारा ही संभव है उन्होंने कहा कि किसी भी शैक्षणिक संस्था में पुस्तकालय एक अहम इकाई होती है जिसको वैश्विक सूचना केंद्र के रूप में स्थापित किया जाना चाहिए उन्होंने शिक्षकों से आह्वान किया  कि वे पुस्तकालय में उपलब्ध शैक्षणिक सामग्री का अधिक से अधिक अन्वेषण करें इस हेतु इंटरनेट पर उपलब्ध विभिन्न ऑनलाइन अध्ययन एप्स को काम में ले।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ के वीरांजनेयुलु, लाइब्रेरियन एवं विभागाध्यक्ष, सेंट्रल लाइब्रेरी, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, वारंगल ने प्रतिभागियों को कृषि एवं संबंधित विज्ञान में ई संसाधनों, सामुदायिक विज्ञान में ओपन एक्सेस, संसाधन शोध पत्रों का प्रकाशन, प्लेजेरिजम, नवीन शोध तकनीक जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक जानकारी दी मुख्य वक्ता ने कहा कि आधुनिक युग में पुस्तकालय उपयोगकर्ता के पास जाते हैं और 24x7x365 उपलब्ध होते हैं। आज कल , पुस्तकालय ज्ञान प्रबंधन केंद्रों में बदल गए हैं। आज का शैक्षिक क्षेत्र ऑनलाइन शिक्षा और स्वयं सीखने पर निर्भर करता है। वर्तंमान में पुस्तकालय कई विशेषताओं द्वारा चिह्नित है जैसे ऑटोमेशन, ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर, डिजिटलाइजेशन, ई-लर्निंग आदि । कोरोना काल में  भारतीय उच्च शिक्षा में  स्वयं, मूक , ई पीजी पाठशाला और कई अन्य पोर्टलों को शामिल करने के लिए नेतृत्व किया है।

कार्यक्रम के आरंभ में महाविद्यालय की अधिष्ठाता डॉ मीनू श्रीवास्तव ने अतिथियों का स्वागत करते हुए  बताया कि इस तरह दो दिवसीय कार्यक्रम में शिक्षकों को गुणवत्ता पूर्वक,  शोध पत्रों का प्रकाशन तथा इंटरनेट पर उपलब्ध विभिन्न ई प्लेटफॉर्म्स जैसे सेरा, कृषि प्रभा, कृषिकोष, एग्रीगेट, आइडियल आदि के बारे में विस्तृत जानकारी विषय विशेषज्ञ द्वारा प्रदान की  जाएगी साथ ही यह कार्यक्रम सूचना एवं प्रौद्योगिकी के प्रयोग द्वारा पुस्तकालय प्रबंधन में भी उपयोगी सिद्ध होगा। कार्यक्रम की आयोजन सचिव डॉ रुपल बाबेल सह आयोजन सचिव डॉ ध्रति सोलंकी, संयोजक डॉ रेनू मोगरा डॉ सोनू मेहता डॉ अर्पिता जैन एवं डॉ स्नेहा जैन थे।कार्यक्रम के अंत में डॉ रेनू मोगरा ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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