उदयपुर 4 नवंबर 2022। कृषि विश्वविद्यालय का मुख्य उद्देश्य किसानों को नई तकनीकी प्रदान करना और किसानों के हितों का ध्यान रखते हुए उनके आर्थिक स्तर में सुधार करना है यह बात महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति माननीय डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक ने बोली उन्होंने कहा कि आदिवासी क्षेत्र के किसानों के उत्थान के लिए विश्वविद्यालय कटिबद्ध है।
इस क्षेत्र में जनजाति विकास योजना के माध्यम से किसानों के आर्थिक एवं सामाजिक जीवन स्तर में बदलाव लाना है इस योजना के अंतर्गत गांव घोड़ान कला में कृषक गोष्ठी एवं आदान वितरण का कार्यक्रम आगामी 10 नवंबर को रखा गया है। जिसमें माननीय कुलपति महोदय द्वारा किसानों से सीधे वार्तालाप और जनजाति विकास योजना के माध्यम से किसानों को आदान वितरण किया जाएगा। जिसमें सिरोही नस्ल की बकरी, प्रतापधन नस्ल की मुर्गियां एवं पशुओ के संपूर्ण विकास ओर वृद्वि के लिए खनिज लवण का वितरण किया जायेगा। कार्यक्रम में निदेशक अनुसंधान डॉ. शांति कुमार शर्मा, जैविक खेती और प्राकृतिक खेती के बारे में अपने विचार प्रस्तुत करेंगे। डॉ. श्याम सुंदर शर्मा, अधिष्ठाता, राजस्थान कृषि महाविद्यालय, उदयपुर, मशरूम उत्पादन की उन्नत प्रौद्योगिकी के बारे में जानकारी देंगे।
डॉ. आर. ए. कौशिक, निदेशक, प्रसार निदेशालय, उदयपुर के द्वारा फलों उत्पादन एवं सब्जियों की खेती के बारे में जानकारी प्रदान की जाएगी। जनजाति उप योजना के परियोजना प्रभारी एवं अधिष्ठाता, डेरी एवं खाद्य प्रौद्योगिकी, उदयपुर के डॉ. लोकेश गुप्ता, पशु पालन, मुर्गी पालन, बकरी पालन और बटेर पालन के माध्यम से कैसे रोजगार सर्जन कर सकते हैं के विषय पर अपने विचार साँझा करेंगे। जिस से घोड़ान कला गांव के विकास और गांव के आर्थिक प्रगति में सहायक सिद्ध होंगे। विश्वविद्यालय ने पूर्व में मदार गांव में सोलर ट्री लगाकर ग्रामीणों के जीवन स्तर में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है।
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