भूपाल नोबल्स एवं मेडनेक्स्ट बायोटेक में हुआ अनुबन्ध

भूपाल नोबल्स एवं मेडनेक्स्ट बायोटेक में हुआ अनुबन्ध

फार्मेसी संकाय के विद्यार्थियों की उदयपुर में ही ट्रेनिंग, प्रोजेक्ट और रोजगार की अत्याधुनिक सुविधाएँ उपलब्ध हो सकेगी

 
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भारत विश्व मे दवा निर्माण में 13वे स्थान पर आता है और जेनेरिक दवाइयों में तीसरे नम्बर पर

आज भूपाल नोबल्स विश्वविद्यालय जो कि शिक्षा, शोध एवं प्रसार के कार्य में निरन्तर अग्रसर है, साथ ही देश भर के शोध, एवं शैक्षणिक संस्थानों से नित अनुबन्ध हो रहे है। इसी क्रम में आज महाविद्यालय का मेडनेक्स्ट बायोटेक फार्मास्यूटिकल कम्पनी के साथ ट्रेनिंग व रोजगार परक क्षेत्रों को लेकर करार हुआ।

इसमें विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरेश बहादुर सिंह और मेडनेक्स्ट के चीफ एक्जेक्यूटिव ऑफिसर अनिल व्यास के बीच कुछ अनुबन्धों पर हस्ताक्षर किये गये। दोनों के बीच यह एक महत्वपूर्ण पहल है इससे फार्मेसी संकाय के विद्यार्थियों की उदयपुर में ही ट्रेनिंग, प्रोजेक्ट और रोजगार की अत्याधुनिक सुविधाएँ उपलब्ध हो सकेगी।

इस अवसर पर रजिस्ट्रार परबत सिंह राठौड़, फार्मेसी अधिष्ठाता डाॅ. युवराज सिंह, प्राचार्य डाॅ. सिद्धराजसिंह, मेडनेक्स्ट कंपनी के मार्केटिंग हेड प्रमोद वाष्र्णेय, अधिष्ठाता शिक्षा संकाय, डाॅ. भूपेन्द्र सिंह चैहान, छात्र कल्याण अधिष्ठाता डाॅ. राजेन्द्र सिंह शक्तावत, डीन पीजी. डाॅ. देवेन्द्र सिंह सिसोदिया और पी.आर.ओ. डाॅ. कमलसिंह राठौड़ भी उपस्थित थे।

इस अवसर पर प्रो. एन.बी. सिंह ने विश्वविद्यालय में शोध परियोजनाओं की प्रगति को रेखांकित किया और नित नवीनतम मापदण्डों को शामिल करने पर जोर दिया। आज भारत विश्व मे दवा निर्माण में 13वे स्थान पर आता है और जेनेरिक दवाइयों में तीसरे नम्बर पर है, वेक्सीन निर्माण में पहला स्थान है और विश्व मे चीन की दवा निर्माण में प्रभुसत्ता को भारत तगडी टक्कर दे रहा है। भारत मे अमेरिका के बाद सबसे ज्यादा फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफ डी ए) से मान्यता प्राप्त दवा निर्माण प्लांट है और सबसे ज्यादा अंग्रेजी बोलने वाली जनसंख्या यंहा बसती है।

अनिल व्यास ने अपनी कम्पनी के बारे में बताया और उनके व्यापार का दक्षिणी पूर्वी एशियाई और अफ्रीन क्षेत्रों में विस्तार से बताया और कहा कि फार्मेसी में आने वाले समय में जबरदस्त संभावनाएँ है। मेडनेक्सट दक्षिण राजस्थान की सबसे बड़ी फार्मासयुटिकल्स फार्मूलेशन  कंपनी है जो गुड मैनुफैक्चरिंग प्रैक्टिसेज से संचालित होती है, वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन से इनको सर्टिफिकेट मिला है, भारत सरकार ने भी एक्सपोर्ट में एक्सेलेन्ट अवार्ड प्रदान किया है। यंहा टेबलेट्स, कैप्सूलों, क्रीम, पेस्ट, ऑइंटमेंट, सिरप, इंजेक्टेबल आदि दवाओं का निर्माण होता है और 36 देशों में निर्यात किया जाता है।

उन्होंने विद्यार्थियों और शिक्षकों का आव्हान किया कि वे समय के साथ आगे बढ़े, आने वाला समय रोबोटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, प्रिसिशन मेडिसिन, 3 डायरेक्शन मेडिसिन फार्मूलेशन आदि का है, तो अभी से अपने को इस क्षेत्र में पारंगत बनाये, नित नई चीजें सीखते रहे, जागरूक रहे। रजिस्ट्रार परबत सिंह ने कहा कि हम निरंतर देश कई उच्च संस्थानों से अनुबन्ध कर विश्वविद्यालय को फार्मेसी, कृषि, विधि, शिक्षा, खेलों आदि में अग्रणी बनाने के लिए कार्य कर रहे हैं।

प्रमोद वार्ष्णेय ने कहा कि विद्यार्थी अपना एक फील्ड चुन लें और अपनी समस्त ऊर्जा उंसमे झोंक दे तो देश को अच्छे उद्योग पति, मैनेजर, नागरिक मिल सकते है। मेडनेक्सट ने कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के तहत भी बहुत काम किया है और गरीबो को मुफ्त दवाइयां, कपड़े और कोरोना में मास्क बांटे है।

 इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सभी अधिकारियों ने अपनी सहभागिता दर्ज कराई और इस पहल का स्वागत किया और आशा व्यक्त की कि इससे एक-दूसरे के मध्य जानकारियाँ साझा होंगी और फार्मेसी को आगे ले जाने में मदद मिलेगी। हम सहयोग के लिए तैयार हैं रिसर्च सहित अन्य पठन-पाठन में आदान-प्रदान हो सकेगा। वहीं शिक्षक व छात्र एवं इसकी सुविधाओं का लाभ ले सके और इस क्षेत्र में उच्चतम स्तर पर पहुँच सके। फार्मेसी संकाय अधिष्ठाता, डाॅ. युवराज सिंह सारंगदेवोत ने धन्यवाद ज्ञापित किया।  डॉ कमल सिंह राठौड़ ने कार्यक्रम का संचालन किया।

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