उदयपुर 17, अगस्त, 2022 महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर और आईईसीआर के मुंबई स्थित केंद्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान - (सीआई एफ ई) के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। 17 अगस्त, 2022, बुधवार अपराह्न 4 बजे एमपीयूएटी प्रशासनिक कार्यालय में महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के कुलपति डॉ. नरेंद्र सिंह राठौड़ और केंद्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान (डीम्ड यूनिवर्सिटी) मुंबई के कुलपति एवं निदेशक डॉ रविशंकर सी एन ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
डॉ. नरेंद्र सिंह राठौड़, कुलपति, एमपीयूएटी, उदयपुर ने कहा कि एमपीयूएटी राजस्थान का पहला विश्वविद्यालय है और यहाँ की सभी कॉलेज आई सी ए आर से मान्यता प्राप्त हैं l हमारी यूनिवर्सिटी ने आई सी ए आर रैंकिंग मे भी आभूतपूर्व सुधार कर संपूर्न भारत मे 15 वां स्थान हासिल किया है साथ ही हमारे विश्व विद्यालय मे प्रदेश का प्रथम मत्स्यकी महाविद्यालय कार्यरत है जिसने राज्य मत्स्यकी विभाग मे अनेक अधिकारी दिये हैं l उच्च कोटि के शोध प्रकाशनों के कारण विश्वविद्यालय का एच इंडेक्स 60 तक पहुँच गया है l यह समझौता ज्ञापन एमपीयूएटी के मत्स्यकी छात्रों को मत्स्यकी विज्ञान, जलकृषि और प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में एक्शन रिसर्च, संयुक्त अध्ययन, संकाय / छात्र विनिमय में मदद करेगा। उन्होंने कहा की संयुक्त समझौते के अंतर्गत सी आई एफ ई के शोध छात्र एम पी यू ए टी मे अपना शोध अध्यन कर सकेंगे l
डॉ. रविशंकर, कुलपति, सी आई एफ ई ने कहा कि उनका संस्थान मत्स्यकी शिक्षा एवं अनुसंधान मे देश का अग्रणी संस्थान है और सक्रिय रूप अपने 5 क्षेत्रीय स्टेशन के साथ मत्स्यकी शिक्षा और अनुसंधान में शामिल है। उन्होंने कहा कि एमपीयूएटी के साथ हम छात्रों और फैकल्टी के क्षमता निर्माण के लिए काम करेंगे। इस समझौते के अंतर्गत यहां चल रहे मत्स्यकी महाविद्यालय में बी एफ एस सी, एमएफएससी एवं पीएचडी शिक्षा एवं अनुसंधान में की मत्स्यकी संसाधन प्रबंधन, जलीय पर्यावरण प्रबंधन, जलीय पशु स्वास्थ्य प्रबंधन, मछली जैव प्रौद्योगिकी, मत्स्य पोषण प्रौद्योगिकी, मत्स्य विस्तार, मछली पालन अर्थशास्त्र के क्षेत्रों में छात्रों को अपने पाठ्यक्रम एवं अनुसंधान कार्य नवाचारों के साथ पूर्ण करने में सीआईएससी द्वारा खुले दिल से मदद दी जाएगीl इससे पहले महाविद्यालय मे मत्स्यकी के विधार्थियों को संबोधित करते हुए उन्होंने बताया की यह 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से बढ़ने वाला ऐसा क्षेत्र है जिसमे रोजगार अनुसंधान, उच्च शिक्षा और स्वरोजगार की अपार संभावनाएं हैं l इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सरकार भी निरंतर प्रयासरत है l कार्यक्रम मे उपस्थित सी आई एफ ई के संयुक्त निदेशक एवं प्रमुख वैज्ञानिक डॉ एम पी साहु ने भी विधार्थियों को संबोधित कर उनका उत्साह वर्धन किया तथा नयी शिक्षा नीति मे मत्स्यकी शिक्षा के उज्ज्वल भविष्य की बात कही l
मत्स्यकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ बीके शर्मा ने बताया कि इस समझौते के अंतर्गत दोनों विश्वविद्यालयों के छात्रों और शिक्षकों के लिए मत्स्यकी के क्षेत्र में अग्रिम ज्ञान साझा करने का अवसर मिलेगा। दोनों संस्थानों के छात्र और वैज्ञानिक संयुक्त रूप से सहयोगी अनुसंधान परियोजनाओं को प्राप्त करने के लिए काम करेंगे और एमपीयूएटी और सी आई एफ ई के साथ उपलब्ध उन्नत सुविधाओं से लाभान्वित होंगे।
समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के दौरान डॉ. एस. के. शर्मा, निदेशक अनुसंधान, डॉ. महेश कोठारी, निदेशक आयोजना, डॉ. आर.ए. कौशिक, निदेशक प्रसार शिक्षा, डॉ. डॉ. लोकेश गुप्ता, डीन, सीडीएफटी, डॉ. बी. एल. बाहेती, निदेशक, आवासीय निर्देशन, डॉ. मुर्तजा अली सलोदा, छात्र कल्याण अधिकारी, डॉ. मीनू श्रीवास्तव, डीन, सीसीएएस, श्री मुकेश कुमार, रजिस्ट्रार और वित्त नियंत्रक श्रीमती मंजु बाला जैन, ओ एस डी डॉ एस एस राठौड़, डॉ वीरेंद्र नेपालिया, सी टी ए ई से डॉ नवीन चौधरी, एवं मत्स्यकी महाविद्यालय से विभागाध्यक्ष एवं पी आर ओ डॉ सुबोध शर्मा और डॉ एम एल ओझा उपस्थित थे।
डॉ. वीरेंद्र नेपालिया ने सभी सदस्यों का स्वागत किया और बताया कि एम पी यु ए टी ने आज 65 वें समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं उन्होंने कार्यक्रम की कार्यवाही का संचालन किया तथा अनुसंधान निदेशक डॉ एस के शर्मा ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।
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