MLSU में "एक ज़िला एक उत्पाद " विषय पर ऑनलाइन कार्यशाला

MLSU में "एक ज़िला एक उत्पाद " विषय पर ऑनलाइन कार्यशाला

सुविवि विश्वविद्यालय के उद्यमिता विकास प्रकोष्ठ, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण शिक्षा परिषद एवम्  शिक्षा विभाग भारत सरकार के संयुक्त तत्वाधान में ऑनलाइन कार्यशाला

 
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मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उद्यमिता एवं कौशल विकास की दिशा में निरंतर सक्रिय : कुलपति प्रोफेसर अमेरिका सिंह 

सुखाड़िया विश्वविद्यालय के उद्यमिता विकास प्रकोष्ठ,महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण शिक्षा परिषद एवम् शिक्षा विभाग भारत सरकार के संयुक्त तत्वाधान में एक ऑनलाइन कार्यशाला का आयोजन 24 मार्च को किया गया। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो अमेरिका सिंह ने बताया की विश्वविद्यलय उद्यमिता एवम् कोशल विकास के क्षेत्र में निरंतर कार्य कर रहा है। इसी कड़ी में "एक जिला एक उत्पाद " विषय पर यह कार्यशाला 24 मार्च को आयोजित हुई। 

कार्यशाला का उद्देश्य नई शिक्षा नीति 2020 में वर्णित परिणाम आधारित शिक्षा, अनुभव आधारित शिक्षा एवम् विद्यर्थियो के क्षमता विकास को बढ़ावा देना है। इस कार्यशाला में विश्वविद्यालय एवम् इससे संबंधित सभी महाविद्यालय के प्रतिनिधियो ने भाग लिया। 
 

प्रो सिंह ने यह भी जानकारी दी कि वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट कॉन्सेप्ट का उद्देश्य देश के प्रत्येक ज़िले को एक्सपोर्ट हब में बदलना है। इससे न केवल निर्यात बल्कि जिले में विनिर्माण और सेवा उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा। इससे राज्य और स्थानीय आबादी के लिए जिले में अधिक रोजगार भी पैदा होगा।

कार्यशाला के ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी एवम् उप समन्वयक उद्यमिता प्रकोष्ठ, डॉ सचिन गुप्ता ने बताया कि  कार्यशाला के मुख्य वक्ता महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण शिक्षा परिषद के निर्देशक प्रो चेतन चित्तालकर रहे तथा कार्यशाला के कन्वेनर डॉ हनुमान प्रसाद समन्वयक उद्यमिता विकास प्रकोष्ठ रहे।

डॉ हनुमान प्रसाद ने अपने वक्तव्य में कहा कि जिलों को उनकी पूरी क्षमता तक पहुँचने में मदद करना, आर्थिक और सामाजिक-सांस्कृतिक विकास को बढ़ावा देने और विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करने में एक जिला एक उत्पाद मील का पत्थर साबित होगा। वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट योजना का उद्देश्य भारत के प्रत्येक जिले को उसके उत्पाद के प्रचार के माध्यम से निर्यात हब में बदलना है जिसमें जिला विशेषज्ञता रखता है। न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में अपने 'विशेष' उत्पाद की पहुंच का विस्तार करने के लिए देश के प्रत्येक जिले के लिए एक जिला एक उत्पाद कार्यक्रम। प्रोफेसर प्रसाद ने बताया कि इस योजना का उद्देश्य आत्मानिर्भर भारत के लक्ष्यों को बढ़ावा देने के लिए जिला स्तर पर औद्योगीकरण और विनिर्माण को बढ़ावा देना है

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