राजस्थान शिक्षक एवं पंचायती राज कर्मचारी संघ के दो दिवसीय शिक्षक शैक्षिक अधिवेशन के रेजीडेंसी विद्यालय के सभागार में दूसरे दिवस खुले सत्र में सैकड़ों शिक्षकों ने अपनी भागीदारी रखते हुए शिक्षा, शिक्षक एवं शिक्षार्थी पर मंथन किया।
प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष शेर सिंह चौहान ने बताया कि साथी शिक्षकों ने व्यक्तिगत तथा विभागीय गतिरोध के बारे में आपसी विचार तथा सुझाव साझा करते हुए राजस्थान शिक्षा विभाग के उन्नयन का प्रण लिया। उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण हुए लर्निंग लॉस को दूर करना हम सभी साथी शिक्षकों की जिम्मेदारी है तभी हम सच्चे अर्थ में समाज की सेवा करेंगे।
चौहान ने बताया कि अधिवेशन में चर्चा उपरांत प्रमुख बिंदु निकल कर आए जिन्हें शिक्षा विभाग एवं सरकार को भेज कर समाधान निकाला जाएगा । सरकार विद्यालयों तो क्रमोन्नत कर रही किंतु विद्यालयों के सफल संचालन के लिए शैक्षिक एवं मंत्रालयिक कर्मचारी उपलब्ध नहीं करा रही, अतः सरकार विद्यालयों के सफल संचालन के लिए शैक्षिक एवं मंत्रालयिक कर्मचारी शीघ्र उपलब्ध कराएं । जिम्मेदार सरकार को कोर्ट द्वारा (गणित एवं विज्ञान) तृतीय श्रेणी से द्वितीय श्रेणी डीपीसी के निर्देश प्राप्त होने के बावजूद भी उदयपुर शिक्षा विभाग के अधिकारी सो रहे हैं, सरकार विषय को संज्ञान में लाकर संबंधित अधिकारी को तुरंत निर्देश प्रदान करें ।
एक ही प्रदेश में दो सरकारों जैसा रवैया, जहां एक और सभी शिक्षकों को शिक्षक सम्मेलन हेतु अवकाश दिया जाता है, तो वही आवासीय विद्यालय में कार्यरत शिक्षकों के अधिकारों का हनन करते हुए उन्हें शैक्षिक सम्मेलन में भाग लेने हेतु अवकाश नहीं देकर सम्मेलनों से वंचित किया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत शिक्षकों का सम्मान रखते हुए उन्हें ग्रामीण भत्ता तथा प्रतिबंधित क्षेत्र में कार्यरत शिक्षकों को विशेष भत्ता प्रदान किया जाए। प्रतिबंधित क्षेत्र में कार्यरत शिक्षकों को लंबे समय से अपनी राजकीय सेवा के साथ ही परिवार सेवा के दायित्व को देखते हुए गृह जिले में स्थानांतरण किया जाए। अपनी योग्यता से व्याख्याता पद अर्जित करने वाले शिक्षकों के साथ सरकार दुर्व्यवहार ना कर उन्हें भी 9, 18, 27 वर्षीय एसीपी का लाभ देना सुनिश्चित करें। शिक्षकों को बूथ लेवल अधिकारी एवं गैर शैक्षिक कार्यों से पूर्ण मुक्त रखा जावे जिससे अध्यापन कार्य बाधित ना हो ।
चौहान ने कहा कि जिला स्तर पर कार्यरत शिक्षा अधिकारी अपने स्तर पर अनैतिक निर्णय लेना बंद कर, नीति पूर्ण लेना सुनिश्चित करें अन्यथा लोकतांत्रिक व्यवस्था में सजग शिक्षकों के आक्रोश को झेलने के लिए तैयार रहें। शिक्षक का मूल दायित्व विद्यार्थी के जीवन निर्माण को अपने जीवन का लक्ष्य मान अग्रसर होना होगा इससे उसे शासकीय एवं सामाजिक सम्मान का वह अपना स्वत हकदार होगा। संगठन सरकार के कर्मचारी विरोधी आदेशो के खिलाफ रणनीति बनाकर सरकार को आगाह कर रहा है कि, समय रहते सरकार जरूरी सुधार सुनिश्चित करें अन्यथा शिक्षकों के आक्रोश को झेलने के लिए तैयार रहे।
खुला मंच कार्यक्रम में नवीन व्यास, योगेन्द्र सिंह भाटी, भैरूलाल कलाल, महिमा अग्रवाल, महेन्द्र कुमार पंड्या, धनेश्वरी वैष्णव, वासुदेव पुरोहित, तुलसीराम सुथार, गजेन्द्र शर्मा, पुरुषोंतम गर्ग, देवीलाल बुनकर, गरिमा अग्रवाल, सुरेश गरासिया, घनेश्वरी वैष्णव, कमलेश शर्मा, चन्द्रशेखर परमार, निमेश निमा आदि ने शिक्षक समस्याएं रखी। कार्यक्रम का संचालन रूप लाल मीणा तथा धन्यवाद गोपाल लक्ष्यकार ने दिया।
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