उदयपुर 16 जून, 2021। डाॅ. पी.के सिंह, प्राध्यापक, प्रौद्योगिकी एवं अभियांत्रिकी महाविद्यालय, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर ने अधिष्ठाता, सी.टी.ए.ई का कार्यभार ग्रहण किया। जबकि डाॅ. एन. के. जैन, प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, प्रसंस्करण एवं खाद्य अभियांत्रिकी विभाग, सी.टी.ए.ई. ने एम.पी.यू.ए.टी. के डेयरी एवं खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता का कार्यभार 15 जून को ग्रहण किया।
डाॅं सिहं, मृदा एवं जल अभियांत्रिकी विभाग के विभागाध्यक्ष भी रह चुके है। डाॅ सिंह को फुलब्राइट फेलोशिप के अन्तर्गत फ्लोरिडा अंर्तराष्ट्रीय विश्वविद्यालय अमेरिका मे विजिटिंग प्रोफेसर रह चुके है तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो पुरूस्कार प्राप्त कर चुके है।
डाॅ. सिंह को महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय द्वारा वर्ष 2003 एवं 2019 में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक पुरूस्कार एवं अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद, नई दिल्ली सेजी पुरूस्कार से भी सम्मानित हो चुके है।
डाॅ. सिंह ने जलग्रहण परियोजनाओं में राजस्थान सरकार में तकनीकी सलाहकार के रूप में भी काम किया है। डाॅ. सिंह ने कृषि अभियांत्रिकी विषय में 10 पुस्तकें भी लिखी है जो कृषि अभियांत्रिकी के विद्यार्थियों को पढ़ाई जा रही है। इनमे सें 3 पुस्तकों का प्रकाशन युनेस्को एवं स्वीस एजेंसी द्वारा किया गया है।
डाॅ. सिंह ने अपने अघ्यापन काल में एम.टेक. (कृषि अभियांत्रिकी) 40 विद्यार्थियों एवं 8 पी.एच.डी. विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया है। वर्तमान में डाॅ. सिंह कई शैक्षणिक संस्थाओं के सदस्य है। डाॅ. सिंह के द्वारा वर्षा जल संग्रहण के लिए कम लागत की बनाई गयी संरचना दक्षिणी राजस्थान तथा देश के अन्य अर्ध शुष्क क्षेत्रों में प्रभावी रूप से सरकारी तथा गैर सरकारी संस्थाओं उपयोग में ली जा रही है।
डॉ एन. के. जैन बने डेयरी एवं खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता
डाॅ. एन. के. जैन, प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, प्रसंस्करण एवं खाद्य अभियांत्रिकी विभाग, सी.टी.ए.ई. ने एम.पी.यू.ए.टी. के डेयरी एवं खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता का कार्यभार 15 जून को ग्रहण किया।
डाॅ. जैन विगत 33 वर्षों से विश्वविद्यालय में प्रसंस्करण एवं कटाई उपरान्त तकनीकी विषयों पर शोद्य व अध्यापन कर रहे है। इनके नेतृत्व में कई किसानोपयोगी मशीनों व तकनीकियों पर उल्लेखनीय कार्य किया गया है। जिसमें ग्वार पाठा, किनोवा, अदरक, लहसुन, दलहन प्रसंस्करण प्रमुख है।
हाल ही में इनको आत्मनिर्भर भारत अभियान की 1000 करोड़ रूपये की पंचवर्षीय PMFME (प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग) परियोजना में राज्य सरकार द्वारा नामित किया गया है एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों हेतु प्रशिक्षण के लिए डाॅ. जैन को खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा मास्टर ट्रेनर भी नियुक्त किया गया है।
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