पहली कक्षा में प्रवेश आयु 6 वर्ष निर्धारित करने से सरकारी स्कूलों में घटेगा नामांकन


पहली कक्षा में प्रवेश आयु 6 वर्ष निर्धारित करने से सरकारी स्कूलों में घटेगा नामांकन 

राजस्थान पंचायती राज एवं माध्यमिक शिक्षक संघ ने शिक्षामंत्री को ज्ञापन भेज पूर्व की भांति 5 वर्ष की आयु रखने की उठाई मांग

 
Government udaipur schools

उदयपुर 3 जून 2024 । प्रारंभिक शिक्षा निदेशक की ओर से राजकीय एवं निजी विद्यालयों में पहली कक्षा में बालकों की प्रवेश की आयु 6 व 7 वर्ष निर्धारित करने से शिक्षकों में बेहद आक्रोश व्याप्त होने लगा है। 

शिक्षकों का कहना है  इस आदेश से सरकारी स्कूलों में नामांकन में गिरावट आएगी। इस मुद्दे को लेकर राजस्थान पंचायती राज एवं माध्यमिक शिक्षक संघ ने सरकार से सरकारी स्कूलों की बेहतरी के लिए पूर्व की भांति पहली कक्षा में 5 साल के बच्चों को प्रवेश दिलवाने की मांग की है।

संघ के प्रदेश अध्यक्ष शेर सिंह चौहान व प्रांतीय महामंत्री राजेश शर्मा ने शिक्षा मंत्री मदन दिलावर को भेजे ज्ञापन में लिखा है कि राज्य में नई शिक्षा नीति सभी की राय एवं अपेक्षित सुधारों के साथ लागू की जानी चाहिए लेकिन प्रदेश की विषम भौगोलिक परिस्थितियों, वर्तमान शिक्षा के ढांचे व सरकारी स्कूलों में बच्चों के लिए माकूल सुविधा एवं संसाधन विकसित होने तक केवल आयु बढ़ाने के प्रावधान लागू करना न्याय संगत नहीं रहेगा। विभाग के आयु संबंधी नवीन आदेश से प्राइवेट स्कूलों को बढ़ावा मिलेगा और सरकारी स्कूलों में प्रवेश उत्सव अभियान के माध्यम से 10 फ़ीसदी नामांकन बढ़ोतरी के लक्ष्य पूर्ति की बात तो दूर ,हजारों की संख्या में नामांकन में गिरावट आएगी।

प्रदेश अध्यक्ष शेर सिंह चौहान ने बताया कि प्रदेश के कुछ चुनिंदा इंग्लिश मीडियम स्कूलों को छोड़कर किसी भी स्कूल में पूर्व प्राथमिक कक्षाएं संचालित नहीं है। आरटीई के प्रावधानों के तहत अभी भी स्कूलों में पर्याप्त शिक्षक नहीं है। कक्षा- कक्ष ,शौचालय, पेयजल, पंखे कूलर  कम्प्यूटर आदि मूलभूत सुविधाओं की कमी है । यही नहीं प्रदेश में तकरीबन 6249 स्कूल एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। 

ऐसे में केवल आयु के आधार पर आरटीई और नई शिक्षा नीति का हबाला देकर बच्चों के प्रवेश की आयु बढ़ाना तर्कसंगत नहीं है इससे निश्चित रूप से सरकारी स्कूलों में हजारों की तादात में नामांकन में गिरावट आएगी शिक्षकों के पद कम होंगे और हजारों अभिभावकों को अपने बच्चों का प्रवेश निजी स्कूलों में कराने हेतु बाध्य होना पड़ेगा और दूरदराज के ग्रामीण अंचल के सैकड़ों 6 वर्ष से कम आयु के बच्चों को प्रवेश न मिलने की स्थिति में एक साल घर बैठना पड़ सकता है।

स्कूलों का गणित बिगड़ा पहली कक्षा के संचालन नहीं होने के हालात बने 

प्रांतीय महामंत्री राजेश शर्मा ने  ज्ञापन में उल्लेख किया है कि प्रदेश के स्कूलों में पांच वर्ष पूर्ण कर चुके सभी बच्चों का प्रवेश गत शैक्षिक सत्र 2023-24 में हो चुका है। अब वह छह साल के हो गए और दूसरी कक्षा में आ गए हैं। पांच वर्ष से कम आयु के बच्चे इस सत्र में पांच वर्ष पूरी करेंगे। ऐसे में अधिकतर स्कूलों में पहली कक्षा का संचालन नहीं हो पायेगा । इस साल पहली कक्षा नहीं होगी तो अगली साल दूसरी कक्षा भी नहीं चलेगी, यह क्रम आगे तक चलता रहेगा ।संघ ने शिक्षा मंत्री से इस प्रकरण में सकारात्मक हस्तक्षेप करते हुए प्रदेश के हजारों बालको एवं अभिभावकों के हित के साथ प्रदेश की विषम भौगोलिक परिस्थितियों तथा आरटीई नियमों के अनुरूप प्रदेश के सभी राजकीय विद्यालयों में शिक्षकों की तैनाती मूलभूत संसाधन उपलब्ध होने तथा सभी स्कूलों में बाल वाटिकाएं शुरू होने तक पहली कक्षा में प्रवेश हेतु 6-7 वर्ष आयु संबंधी आदेश में संशोधन कराते हुए  5 वर्ष तक के बच्चों को प्रवेश दिलाने के आदेश जारी कराये जाने का आग्रह किया है।

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