...यह निष्कर्ष राजस्थान के पांच जिलों - उदयपुर, राजसमन्द, चित्तौड़, भीलवाड़ा तथा अजमेर के चौसठ स्कूलों में सात दिन काम करने बाद दिल्ली विश्वविद्यालय की शोध छात्राओं ने प्रस्तुत किया है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न कालेजों से आये 42 वालंटियर कक्षा 10 वीं के विद्यार्थियों के शीतकालीन अवकाश में सात दिनों तक साथ रहे। सभी वालंटियर ने शिक्षा संबल कार्यक्रम के तहत विज्ञान, गणित व अंग्रेजी विषय पर कार्य किया।
शनिवार, 1 जनवरी को सभी ने विद्या भवन शिक्षा संदर्भ केंद्र में आयोजित संगोष्ठी में अपने अनुभव साझा कियेI
इस अवसर पर केंद्र की निदेशिका प्रीति मिश्रा तथा हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड सीएसआर हेड अनुपम निधि मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
दिल्ली की इन छात्राओं ने बताया कि अवकाश के दिनों में भी विद्यार्थियों की कक्षाओं में भागीदारी उनके सीखने की चाहत को अभिव्यक्त करती हैI जो विद्यार्थी सहपाठियों के अनुरूप सीखने का स्तर हासिल नहीं कर पायें हैं, उनमे भी सीखने की क्षमता दिखी, बस उनके आत्मविश्वास को बढ़ाने की आवश्यकता है। अध्यापक व विद्यार्थी के सम्बन्ध बेहतर करके इसे हासिल किया जा सकता हैI
दिल्ली के इस समूह का मत था कि विद्यार्थियों को अध्यापकों द्वारा सकारात्मक संबल दिए जाने की जरुरत हैI विद्यार्थियों के मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य पर काम किये जाने की जरुरत हैI लिंगभेद को कक्षाओं से ख़त्म करने पर काम करना होगाI विद्यार्थियों में भाषाई क्षमता के विकास पर भी काम किये जाने की आवश्यकता हैI बहुस्तरीय कक्षा एक प्रमुख चुनौती है जिस पर योजना बनाकर प्रयास करना जरूरी है।
मुख्य अतिथि अनुपम निधि ने कहा कि इन विद्यार्थियों के मदद के लिए वीडियो व टीएलएम के निर्माण किया जा सकता है। लिंग भेद को ख़त्म करने पर हमें काम करना होगाI
प्रीति मिश्रा ने बताया कि शिक्षा संबल कार्यक्रम समझ के साथ पढ़ने और बेहतर बोर्ड परीक्षा परिणाम हासिल करने के लिए विद्याभवन शिक्षा संदर्भ केंद्र तथा हिदुस्तान जिंक द्वारा सफलता पूर्वक संचालित किया जा रहा हैI इस कार्यक्रम के तहत प्रतिवर्ष लगभग 7000 विद्यार्थी लाभ उठा रहे हैI
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