विज्ञान एवं तकनीक हमारे सभ्याता के आधार स्तम्भ रहे हैं। यह वहीं नीव है जिस पर आधुनिक दुनिया खडी हैं। विज्ञान ने हमारे जीवन को बदलाव के साथ साथ बहुत ही सरल बना दिया हैं। इस विज्ञान को विकसित करने में जितना योगदान पुरूष वैज्ञानिकों का हैं उतना ही स्थान महिला वैज्ञानिकों का भी हैं। परन्तु कहीं न कहीं तकनीकी जगत में महिलाओं के योगदान को अपेक्षाकृत कम आंका जाता हैं।
विश्वपटल पर महिलाओं के योगदान को बढावा देने के लिए कि गीतांजली इन्स्टिटियूट ऑफ़ टेक्नीकल स्टडीज में इलेक्ट्रोनिक्स एण्ड कम्युनिकेशन इन्जिनियरिंग के तत्वाधान में अन्तर्राष्ट्रीय महिला वैज्ञानिक दिवस मनाया गया।
संस्थान के निदेशक डाॅ. एन. एस. राठौड ने बताया कि आज हर क्षेत्र में महिलाएं पुरूषों से कन्धा से कन्धा मिलाकर चल रही हैं। चाहे घर हो या ऑफिस सब जगह के माइक्रो मैनेजमेंट की जिम्मेदारी महिलाओं इन्टेलीजेंस पुरूषों से ज्यादा होती हैं। दुनिया जानती हैं कि महिलाओं में तनाव व पीडा सहने की शक्ति पुरूषों से कही ज्यादा होती हैं। महिलाएं सृजन की जननी हैं। इस कार्यक्रम का उद्देश्य विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में महिलाओं को बेहतर अवसर प्रदान करने के साथ-साथ उनकी भागीदारी सुनिश्चित करना हैं।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के महाराणा प्रताप युनिवसिर्टी ऑफ़ एग्रीकल्चर एण्ड टेक्नोलाॅजी के ह्यमन डवलपमेंट एण्ड फेमिली स्टडीनज की प्रोफेसर एण्ड हेड डाॅ. गायत्री तिवारी एवं रिसार्स मेनेजमेंट एण्ड कन्ज्यूमर साईंस के हेड डाॅ. हेमू राठौड ने बालिकाओं एवं महिलाओं की हर क्षेत्र में राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर खुद की पहचान बनाने तथा सशक्तिकरण पर बल देकर गिट्स के छात्राओं का उत्साह वर्धन किया।
धन्यवाद ज्ञापन इलेक्ट्रोनिक्स एण्ड कम्युनिकेशन इन्जिनियरिंग के विभागाध्यक्ष डाॅ. अर्मुत अनिलराव पुरोहित द्वारा तथा संचालन असिस्टेंट प्रोफेसर शैलेजा राणावत द्वारा किया गया। कार्यक्रम का काॅर्डिनेशन डाॅ. विजेन्द्र कुमार मौर्य एवं डाॅ. अनुराग पालीवाल द्वारा किया गया। सभी विभागाध्यक्ष सहित पूरा गीतांजली परिवार ने इस कार्यक्रम का लाभ उठाया। छात्रा कृतिका कृष्णावत एवं आयुषी लालावत की कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका रही।
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