भारत देश आने वाले वर्षों में फिनटेक में विश्व की राजधानी होगा- संस्थापक इंडिया ब्लॉकचेन अलाइंस

भारत देश आने वाले वर्षों में फिनटेक में विश्व की राजधानी होगा- संस्थापक इंडिया ब्लॉकचेन अलाइंस

ब्लॉकचेन तकनीक को शिक्षण संस्थाओं के पाठ्यक्रम में शामिल करना वर्तमान समय की मांग-प्रोफेसर अमेरिका सिंह

 
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ब्लॉकचैन का उपयोग निकट भविष्य में फार्मा, कृषि, शिक्षा, ऊर्जा, सरकारी लेखांकन आदि हर क्षेत्र में किया जाएगा

उदयपुर। मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के लेखा और व्यवसायिक सांख्यिकी विभाग ने आज  माननीय कुलपति महोदय प्रोफेसर अमेरिका सिंह के निर्देशन में "लेखांकन में ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी :  चुनौतियां एवं संभावनाएं"  पर ऑनलाइन अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी श्रृंखला- 4 का आयोजन किया। इस संगोष्ठी मेंउद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि प्रो. बी.पी. शर्मा, ग्रुप प्रेसिडेंट, प्लानिंग एंड कंट्रोल, पैसिफिक ग्रुप ऑफ यूनिवर्सिटीज, उदयपुर, राजस्थान  थे।

उन्होंने कहा कि ब्लॉकचेन में सूचना के कई ब्लॉकों को जोड़ने और उन्हें आपस में जोड़ने की क्षमता है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत 20 साल पहले से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में है और विश्वविद्यालयों को अपने शोध प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए अच्छी क्षमता वाले कंप्यूटर सिस्टम अपनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि ब्लॉकचेन का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों जैसे यातायात प्रबंधन, रक्षा धोखाधड़ी की रोकथाम आदि में किया जा सकता है।

 कुलपति प्रोफेसर अमेरिका सिंह ने अपने बधाई संदेश में कहा कि ब्लॉकचेन तकनीक को शिक्षण संस्थाओं के पाठ्यक्रम में शामिल करना वर्तमान समय की मांग है। अध्यक्षीय भाषण प्रो. पी.के. सिंह, डीन और अध्यक्ष, वाणिज्य संकाय, निंदिया और उन्होंने ब्लॉकचेन तकनीक पर चर्चा की और  और कहा कि ब्लॉकचेन पर आधारित विभाग द्वारा संचालित  परियोजना निश्चित रूप से गर्व का क्षण लाएगी। विश्वविद्यालय के लिए यह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और एक बड़ी सफलता होगी।

कार्यक्रम की शुरुआत में वेबिनार के निदेशक और विभागाध्यक्ष प्रो. शुरवीर एस. भाणावत ने स्वागत भाषण दिया और वेबिनार के विषयों और उद्देश्यों पर चर्चा की और “ब्लॉकचेन अकाउंटिंग: एन एक्सप्लोरेटरी रिसर्च” नामक विभाग परियोजना के बारे में संक्षेप में चर्चा की। उन्होंने ब्लॉकचेन तकनीक को लेखांकन के क्षेत्र में गेमचेंजर कहा। उन्होंने यह भी बताया कि ब्लॉकचैन की चुनौतियां स्केलेबिलिटी, ब्लॉक स्थायीता और स्मार्ट अनुबंध अपरिवर्तनीयता हैं। उन्होंने कहा कि ब्लॉकचैन का उपयोग निकट भविष्य में फार्मा, कृषि, शिक्षा, ऊर्जा, सरकारी लेखांकन आदि हर क्षेत्र में किया जाएगा।

विभाग की सहायक आचार्य तथा संगोष्ठी की आयोजक सचिव डॉ. शिल्पा वर्डिया ने संचालन किया एवं कहा कि ब्लॉकचेन तकनीक लेखांकन के क्षेत्र में लेखाकारों एवं अंकेक्षको को अपने पेशे में न केवल कई नए अवसर प्रदान करेगी वरन् कई चुनौतियां भी उत्पन्न करेगी उन्होंने यह भी बताया कि आने वाले निकट भविष्य में वित्तीय प्रतिवेदनों  एवं उनके अंकेक्षण को ब्लॉकचेन तकनीक प्रतिस्थापित नहीं कर सकती है।

कुलपति के बधाई संदेश का वाचन सहायक प्रोफेसर डॉ आशा शर्मा द्वारा किया गया। समारोह के अंत में सहायक प्रोफेसर डॉ शिल्पा लोढ़ा ने धन्यवाद दिया तकनीकी सत्र में, अध्यक्ष डॉ. अरिंदम गुप्ता, प्रोफेसर, वाणिज्य विभाग, विद्यासागर विश्वविद्यालय, मिदनापुर, पश्चिम बंगाल ने  कहा कि ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी के व्यापक अनुप्रयोग हैं। शुरुआत में यह बिटकॉइन और डिजिटल करेंसी से जुड़ा था लेकिन भविष्य में यह तकनीक राज करने वाली है। उन्होंने कहा कि सरकार को इस तकनीक से संबंधित कानून बनाने की जरूरत है.

पहले मुख्य वक्ता डॉ ओंकार नाथ, सूचना सुरक्षा, जोखिम प्रबंधन, साइबर सुरक्षा, डिजिटल फोरेंसिक और आईएस ऑडिट के लिए रणनीतिक स्तर पर सलाहकार, ने व्यक्त किया कि ब्लॉकचैन की आत्मा ब्लॉक के भीतर छिपी हुई है और हैश ब्लॉक की आत्मा है। उन्होंने यह भी कहा कि लेन-देन का आश्वासन और संपत्ति के अधिकारों का हस्तांतरण ब्लॉकचेन और स्मार्ट अनुबंध दृष्टिकोण द्वारा किया जाएगा। उन्होंने इस तकनीक से जुड़े जोखिमों और पार्टियों के बीच विश्वास की कमी को ब्लॉकचेन तकनीक की चुनौतियों के रूप में उल्लेख किया। 

दूसरे मुख्य वक्ता श्री राज ए कपूर, इंडिया ब्लॉकचैन एलायंस के संस्थापक और कई ब्लॉकचेन कंपनियों के सलाहकार बोर्ड के सदस्य ने कहा कि ब्लॉकचेन एक सूचना प्रौद्योगिकी नहीं है, यह एक संस्थागत तकनीक है। उनका यह भी कहना है कि ब्लॉकचेन डिस्ट्रीब्यूटेड लेजर अकाउंटिंग के अमिताभ बच्चन की तरह है जिसे हर कोई जानता है। ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग वित्त में जारी करने, फंड लॉन्च करने, परिसंपत्ति संपार्श्विककरण आदि के लाभ प्राप्त करने के लिए किया जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि ब्लॉकचेन तकनीक को मानव त्रुटि मुक्त तकनीक कहा जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि ब्लॉकचेन के अनुसंधान में भारत अग्रणी है एवं भविष्य में भारत फिनटेक में विश्व की राजधानी होगा। उन्होंने ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी की चुनौती के रूप में इंटरऑपरेबिलिटी का उल्लेख किया। उन्होंने यह कहते हुए निष्कर्ष निकाला कि भविष्य में प्रौद्योगिकी से निपटने के लिए, लेखाकारों को एक विशेषज्ञ सलाहकार के रूप में अपना प्रोफ़ाइल बदलना होगा।

सम्मेलन में विषयों और विभिन्न उप विषयों पर कुल 10 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए‌। इस समारोह में महाविद्यालय के प्रोफेसर मुकेश माथुर, अध्यक्ष बैंकिंग एवं व्यवसायिक अर्थशास्त्र विभाग, प्रोफ़ेसर मंजू बाघमार, अध्यक्ष व्यवसाय प्रशासन विभाग, वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ राजेश्वरी नरेंद्र, डॉ देवेंद्र श्रीमाली डॉ शैलेंद्र सिंह राव, डॉ सचिन गुप्ता, डॉ रेनू शर्मा,  डॉ विनोद मीणा  एवं श्री पुष्प राज मीणा उपस्थित थे।

तकनीकी सत्र का संचालन विभाग की सुश्री अमरीन खान एवं डॉ समता ओड़िया प्रोजेक्ट फेलो द्वारा किया गया, तकनीकी कार्य का संचालन विभाग के शोधार्थी  चारु शर्मा,  प्रभुती राठौर, बाबू लाल गेदार, अनीमा चोर्डिया, गौरव सुराणा और नेहा बंशीवाल द्वारा किया। और प्रतिवेदक मनीषा सोनी और अंतिमा शर्मा थीं।  डॉ.  निशा कालरा, पोस्ट डॉक्टरल फेलो, ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।

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