उदयपुर 13 सितंबर 2020। राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय ने राजस्थान राज्य के पुलिस व चिकित्सा कर्मचारी को छोड़कर शेष शिक्षकों व कार्मिकों के वेतन से प्रतिमाह 1 व 2 दिन का वेतन कटौती करने,मार्च के 16 दिनों के स्थगित वेतन को शीघ्र दिलानें तथा उपार्जित अवकाश के नगदीकरण पर राज्य सरकार द्वारा लगायी गई रोक हटानें व शिक्षकों को भी कोरोना वाॅरीयर्स का दर्जा देने की मांग की है। संघ ने कहा कि राज्य सरकार के इन आदेशों से को लेकर शिक्षको में आक्रोश व्याप्त है।
संघ के महामंत्री अरविंद व्यास ने बताया कि राज्य के शिक्षा विभाग में 4 लाख 5 हजार 633 के करीब शिक्षा विभाग में कार्यरत कार्मिक है। शिक्षकों के कुल वेतन में से 1 माह का वेतन तो आयकर चुकाने में ही चला जाता है शेष 11 माह के वेतन में शिक्षक अपना गुजारा चलाता है और इसमें से भी वेतन स्थगित करना व प्रतिमाह 1 व 2 दिन वेतन कटौती करने निर्णय शिक्षकों की आर्थिक स्थिति को और कमजोर करता है। राज्य सरकार को अपने इस निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिये।
व्यास ने बताया कि राज्य में कार्यरत कार्मिकों में 9710 प्रधानाचार्य, मा.वि. में 2446 प्रधानाध्यापक, 42105 व्याख्याता, 19 कोच, 61679 वरिष्ठ अध्यापक, 6600 उप्रावि प्रधानाध्यापक, 118194 लेवल 1 शिक्षक, 84696 लेवल 2 शिक्षक, 18307 प्रबोधक, 18577 शारीक्षिक शिक्षक, 3294 लेब असिस्टेन्ट, 2194 पुस्तकालयाध्यक्ष, 1409 सहायक प्रशासनिक अधिकारी, 4413 वरिष्ठ सहायक, 12665 कनिष्ठ सहायक, 135 जमादार, 426 लैब बाय, 7947 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, 2450 शिक्षाकर्मी तथा संस्कृत शिक्षा विभाग के शिक्षक तकरीबन 8345 कर्मचारी सहित राज्य में कुल 405633 के करीब कार्मिक कार्यरत है। जिन्हें वेतन कटौती की मार झेलने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
संगठन के प्रदेश उपाध्यक्ष अभय सिंह राठौड़ ने कहा कि एक शिक्षक जो कि लेवल 12 में कार्यरत है उसके मार्च 20 में कोरोना रिलीफ फंड में कटौती राशि 5932 रुपये,माह मार्च के 16 दिनों के स्थगित वेतन 39549 रुपये, डीए फ्रिज 4 प्रतिशत जो कि जनवरी 2020 से माह मार्च 2021 तक कि राशि बनती है 29856 रुपये ,पीएल सरेंडर रोकने के कारण वंचित राशि 34074 रुपये,माह सितंबर 20 से प्रतिमाह वेतन में से 1 दिन की कटौती करने पर 18403 रुपये इस प्रकार एक वर्ष में कुल राशि 127814 रुपये बनती है। इसी प्रकार यदि कोई कार्मिक लेवल 11 में कार्यरत है तो उसके वेतन भत्तों व स्थागित वेतन भत्तों में 92221 रुपये की राशि एक वर्ष में काटी जाएगी। प्रधानाचार्य ,व्याख्याता, शिक्षा अधिकारियों,मावि प्रधानाध्यापक व व्याख्याताओ की यह राशि और भी अधिक आएगी। यदि इन दोनों का औसत निकाला जावें तो यह 110018 रुपयें की मार 1 वर्ष प्रत्येक कार्मिक को झेलनी पड़ेगी। ऐसे में मनमाने तरीके से राशि वसूल कर शिक्षा विभाग के कार्मिको का शोषण करने की कार्यवाही शिक्षक बर्दाश्त नही करेंगे।
संगठन के उपाध्यक्ष माध्यमिक शिक्षा राजकमल लोहार ने कहा कि शिक्षको के वेतन व भत्तो की गणना सरकार द्वारा विभिन्न आयोगों की समीक्षा के उपरांत भी उसमे कटौती करने के बाद स्वीकृत किये जाते रहे है ।शिक्षको के वेतन भत्तो को विधायको की तरह हर दो-तीन साल में ध्वनिमत से पारित करने की व्यवस्था नही है।ऐसे में बढ़ती मंहगाई में शिक्षक अपना व अपने परिवार का जीवन यापन के साथ मकान,वाहन व अन्य पर्सनल लोन के बैंक से लिये कर्जो को कैसे चुका पाएंगे।जितनी कटौती वह अपने लोन चुकाने करता है उसके समान राशि अपने वेतन से प्रतिमाह कटौती करते हुए एवं वेतन स्थगित कर वसूल कर ली जाती है तो शिक्षक कैसे अपने लोन भरेगा और अपना परिवार चलाएगा यह विचारणीय है।
संगठन के उपाध्यक्ष संस्कृत शिक्षा नटवरलाल पंचाल ने कहा कि शिक्षको के पास वेतन के अतिरिक्त कोई आय नही होती तथा प्रत्येक वेतनभोगी कर्मचारी अपने वेतन के अनुसार जीवन स्तर व भविष्य की योजना तैयार करता है।इस आधार पर शिक्षको के मकान,वाहन शिक्षा लोन ले रखे है। इसके अतिरिक्त घरेलू खर्चो के साथ बीमा किश्त भी भरनी होती है। जुलाई 19 के बाद मंहगाई भत्ते में किसी प्रकार की वृद्धि नही किये जाने एवं उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के अनुसार बढ़ती मंहगाई के कारण तुलनात्मक शिक्षको की आर्थिक क्षमता कम हुई है। अतः वेतन कटौती के आदेश वापस लिए जावे एवं स्थगित वेतन का भुगतान कर शिक्षकों को राहत प्रदान की जावें,ताकि राज्य कर्मचारियों में सरकार के प्रति विश्वास बना रहे।
संगठन के मंडल संयुक्त मंत्री राजेंद्र सिंह सारंगदेवोत ने कहा कि शिक्षक पद कोई तकनीक विशेषज्ञ का पद नही है ऐसे में शिक्षको के पास पृथक से प्रेक्टिस कर अतिरिक्त आय अर्जित कर पाने जैसा अन्य कोई आधार नहीं है। वह अपने परिवार के जीविकोपार्जन के लिए वह अपने मासिक वेतन पर पूर्णतया निर्भर है। ऐसे में सौतेले व भेदभावपूर्ण तरीके से वेतन कटौतियां,वेतन भत्ते स्थगित करना अन्ययपूर्ण कदम है।
राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय व पूर्व वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुंदरलाल जैन ने बताया राज्य में पुलिस व चिकित्सा कार्मिको को छोड़कर शेष समस्त कर्मचारियों व शिक्षको के वेतन कटौती करने तथा वेतन भत्ते स्थगित करने में भेदभाव व सौतेला व्यवहार किया जा रहा है।
पूर्व में वेतन से 5,4,3,2,1 दिन के वेतन कटौती की जा चुकी है और 16 दिनों के वेतन, बकाया मंहगाई भत्ते व सरेंडर रोका दिया गया। शिक्षको के लिए 1 दिन व व्याख्याताओ, प्रधानाचार्यो व शिक्षा अधिकारियों के लिए 2 दिन वेतन कटौती के आदेश भी भेदभावपूर्ण है।
शिक्षकों के वेतन से औसतन 3 से 6 हजार रुपये प्रतिमाह कटौती किये जानें एवं 3 से 6 हजार रुपये प्रतिमाह आयकर चुकाने के बाद शेष रहे वेतन पर शिक्षको अपने परिवार के जीविकोपार्जन के लिए निर्भर रहना पड़ेगा।जो अन्यायपूर्ण कदम है।
राज्यभर में संगठन की समस्त उपशाखाओं द्वारा संबंधित उपखंड अधिकारियों के माध्यम से मुख्यमंत्री,शासन सचिव एवं शिक्षा मंत्री को हाल ही में गत 7 सितंबर को ज्ञापन सौंपे गये। 8 से 15 सितंबर 20 तक शिक्षकों द्वारा मेल कर कटौतियों का विरोध किया जा रहा है। 10 सितंबर को शिक्षको ने काली पट्टी बांधकर राज्य के हजारों शिक्षकों ने विरोध दर्ज करवाया। आज संगठन के मत को प्रस्तुत करते हुए वेतन भत्तो को स्थगित करने व प्रतिमाह वेतन कटौती के आदेश वापस लियें जायें अन्यथा प्रान्त की स्थाई समिति के निर्णय के बाद आगामी समय मे उग्र आन्दोलन किया जावेगा।
इस अवसर पर प्रदेश महामंत्री अरविंद व्यास प्रदेश उपाध्यक्ष अभय सिंह राठौड़ उपाध्यक्ष माध्यमिक शिक्षा राज कमल लोहार उपाध्यक्ष संस्कृत शिक्षा नटवरलाल पंचाल जिला अध्यक्ष उदयपुर प्रथम भेरुलाल तेली, जिला अध्यक्ष उदयपुर द्वितीय प्रदीप सिंह चैहान, जिला मंत्री उदयपुर प्रथम चंदनमल बागड़ी, उदयपुर द्वितीय डायालाल कलाल, जिले के संगठन मंत्री पुरुषोत्तम दवे, कोषाध्यक्ष राकेश मेनारिया, पूर्व मंडल उपाध्यक्ष एवं वरिष्ठ कार्यकर्ता सुंदरलाल जैन, पूर्व जिलाध्यक्ष जसवंत पंवार, चित्तौड़गढ जिलाघ्यक्ष तेजपाल सिंह शक्तावत के अतिरिक्त और भी कार्यकर्ता उपस्थित थे।
To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on GoogleNews | Telegram | Signal