भारत में अस्पताल व स्वास्थ्य सेवा देने वाले संस्थानों का "नेशनल अक्क्रेडिटशन बोर्ड ऑफ़ हॉस्पिटल्स एंड हेल्थ केयर इंस्टीटूट्स " (एन ए बी एच) व क्वालिटी कौंसिल ऑफ़ इंडिया द्वारा मूल्याङ्कन एवं प्रत्यायन (अक्क्रेडिटशन) किया जाता है। इस प्रक्रिया में डॉक्टर्स, नर्स व फार्मासिस्ट की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। दवाओं के भण्डारण, वितरण, समुचित उपयोग व स्वास्थय सेवाओं की गुणवत्ता में क्लीनिकल फार्मेसी की महत्ता पर प्रकाश डालने के लिए गीतांजलि यूनिवर्सिटी के गीतांजलि इंस्टिट्यूट ऑफ़ फार्मेसी द्वारा वर्चुअल राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया।
वेबिनार में ऍम ऍम यूनिवर्सिटी व हॉस्पिटल मुलाना, हरियाणा के क्वालिटी डिपार्टमेंट के हेड डॉ तरुण सिंह ने "फार्मासिस्ट व एन ए बी एच अक्क्रेडिटशन ऑफ़ हॉस्पिटल्स: चैप्टर 3 मैनेजमेंट ऑफ़ मेडिकेशन" शीर्षक पर एक महत्वपूर्ण व्याख्यान दिया। इसमें उन्होंने दवाओं के समुचित इस्तेमाल के विभिन्न पहलुओं पर व अस्पताल के एन ए बी एच प्रत्यायन में इसकी महत्ता पर चर्चा की।
वेबिनार में देश के विभिन्न राज्यों के 45 से अधिक शिक्षा एवं स्वास्थय संस्थानों के 370 से अधिक प्रतिभागियों ने अपना पंजीकरण कराया एवं वेबिनार में शिरकत की ।
संस्था के प्रधानाचार्य डॉ महेंद्र सिंह राठौड़ ने गीतांजलि यूनिवर्सिटी व अस्पताल द्वारा दी जा रही स्वास्थय एवं शिक्षण सेवाओं की जानकारी दी एवं अक्क्रेडिटशन प्रोसेस में फार्मेसी शिक्षा व फार्मासिस्ट की भूमिका पर प्रकाश डाला। गीतांजलि अस्पताल के सीईओ श्री प्रतीम तम्बोली, गीतांजलि यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार श्री भूपेंद्र मंडलिया व कुलपति डॉ ऍफ़ ऐस मेहता ने वेबिनार की व्यापक सफलता के लिए शुभकामनाएं प्रेषित की।
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