College of Fisheries में शैक्षणिक पदों के अभाव में रिसर्च ठप


College of Fisheries में शैक्षणिक पदों के अभाव में रिसर्च ठप

रिसर्च ठप एवं रोजगार बढ़ाने की माँग को लेकर एलुमनाई एसोसिएशन ने कुलपति को सौंपा ज्ञापन

 
college of fisheries

उदयपुर 24 अक्टूबर 2024। एमपीयुएटी के संघटक मात्स्यिकी महाविद्यालय के एलुमनाई एसोसिएशन और विद्यार्थी दल ने संयुक्त रूप से विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अजीत कुमार कर्नाटक एवं कुलसचिव सुधांशु सिंह से मुलाकात की और महाविद्यालय में शैक्षणिक और गैर-शैक्षणिक पदों की रिक्तियों को भरने की माँग को एलुमनाई एसोसिएशन द्वारा एक ज्ञापन सौंपा। 

उल्लेखनीय है कि वर्तमान में मात्स्यिकी महाविद्यालय की स्थापना के एक दशक से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी ICAR (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) द्वारा निर्धारित न्यूनतम संकाय मानदंडों के अनुसार महाविद्यालय को चलाने के लिए आवश्यक पर्याप्त टिचिंग एवं नॉन टिचिंग के पदों का आभाव है। छात्रों ने कुलपति से अनुरोध किया कि विश्वविद्यालय प्रशासन राजस्थान सरकार को तुरंत एक प्रस्ताव भेजे जिसमें महाविद्यालय में नवीन टिचिंग और नॉन टिचिंग पदों के सृजन का विवरण हो क्योंकि वर्तमान में यहाँ कई महत्वपूर्ण पद खाली हैं, जिसके कारण छात्रों की शिक्षा और महाविद्यालय के सुचारू संचालन में बाधा आ रही है। इस महाविद्यालय में वर्तमान में मात्र दो पूर्णकालिक प्राध्यापक रह गए है क्योंकि रिटायर होने वाले प्राध्यापकों की संख्या ज्यादा है, शेष अध्यापन कार्य अतिथि शिक्षकों द्वारा पूरा किया जा रहा है। 

एलुमनाई पदाधिकारी नयन चौहान ने बताया की शिक्षकों की नियुक्ति के अभाव मे कॉलेज पर आई. सी. ए. आर. से मान्यता और विद्यार्थियों के भविष्य पर तलवार लटकी है। वहीं छात्रों का कहना है कि इससे पहले भी वे विश्वविद्यालय के अधिकारियों से इस मुद्दे पर मिल चुके हैं, लेकिन अब तक केवल आश्वासन ही दिए गए हैं। रिक्त पदों को शीघ्र भरने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।छात्रों ने इस बार अपनी माँगों को गंभीरता से लेने और जल्द से जल्द पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू करने की अपील की है। 

छात्रों का मानना है कि कॉलेज को ICAR के मानकों के अनुसार चलाने के लिए न्यूनतम संकाय की आवश्यकता पूरी करना अत्यंत आवश्यक है, ताकि छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के बेहतर अवसर प्राप्त हो सकें। फैकल्टी की कमी कों देखते हुए इस महाविद्यालय में पीजी और पी एच डी कोर्सेज को निलंबित किया जा चूका है, जिससे प्रदेश के छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा के लिए अन्य राज्यों मे जाना पड़ता है। इससे राज्य में मत्स्य एवं जलीय पर्यावरण आधारित रिसर्च नहीं होने से जलवायु आधारित मछली बीज चयन, उपयुक्त मत्स्य प्रजातियों, उनके आवासों, एकीकृत मछली पालन, कम कृषि लागत में उत्पादन बढ़ाने जैसी तकनीको पर आधारित शोध कार्य ठप पड़े है। 

देश में एक और जहाँ मत्स्य पालन आधारित तकनिकों का विस्तार चरम पर है वही राज्य में रिसर्च के आभाव से आने वाले समय में विकट परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। छात्रों द्वारा प्रदेश के एकमात्र मात्स्यिकी महाविद्यालय में इस सन्दर्भ में त्वरित गति से कार्यवाही का निवेदन किया गया।

एसोसिएशन द्वारा राज्य में बेचलर ऑफ़ फिशरीज साइंस (BFSc) डिग्रीधारियों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने पर भी चर्चा हुई, क्योंकि BFSc आईसीएआर द्वारा मान्यता प्राप्त एक प्रोफेशनल डिग्री है जो की बीएससी (एग्रीकल्चर/होर्टिकल्चर/फॉरेस्ट्री) के समतुल्य चार वर्षीय पाठ्यक्रम है, अतः इस डिग्री को भी राज्य के कृषि विश्वविद्यालयों में नॉन टिचिंग के पदों (प्रयोगशाला सहायक, प्रोग्राम असिस्टेंट, टेक्निकल असिस्टेंट) पर योग्य घोषित करने का निवेदन किया, क्योंकि यहाँ से डिग्री प्राप्त विद्यार्थी कों राज्य में केवल मत्स्य विभाग में नौकरी के अवसर मिलते है अतः इस कदम से विद्यार्थियों के लिए रोजगार के द्वार खुलेंगे। 

देश के अन्य राज्यों और हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा फ़ूड सेफ्टी ऑफिसर की भर्ती में किये गए संशोधन से BFSc पाठ्यक्रम के छात्रों को FSSAI की भर्ती के लिए योग्य घोषित किया गया है, इसी अनुरूप राज्य में भी कुलपति के माध्यम से इस दिशा में प्रयास किये जाकर B.F.Sc. स्नातकों को योग्यता प्रदान करवाई जानी सुनिश्चित की जावे। 

इस पर कुलपति ने सहमति का आश्वासन दिया जिससे की महाविद्यालय के छात्रों को अन्य कृषि सम्बन्धी डिग्रीधारियों के साथ सामान अवसर मिल सके। कुलपति एवं कुलसचिव ने छात्रों और पूर्व छात्रों की माँगों को गंभीरता से सुना और आवश्यक कदम उठाने का आश्वासन दिया। ज्ञापन देने के दौरान एल्युमनी एसोसिएशन के संयुक्त सचिव नयन चौहान एवं विद्यार्थियों में अनिल सिंह शेखावत, किशन रार आदि कई छात्र मौजूद थे।

To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on   GoogleNews |  Telegram |  Signal