डूंगरपुर ब्लाक शिक्षा कार्यालय बिछीवाड़ा तहसील के अंतर्गत आने वाले पाल पादर के खानीमाल के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय बदहाल स्थिति में है। एक तरह से सरकार द्वारा शिक्षा को बढ़ावा देने, देश को डिजिटल युग की तरफ अग्रसर करने के सभी दावे इसको देखने के बाद बेमानी से लगते हैं।
जी हाँ ! क्यों की यह विद्यालय बीते दो दशक से एक केलुपोश मकान में संचालित है। अब केलूपोश जैसे मकान में बने रसोई घर के केलू और लकड़ीयां कोई चुरा ले गया है। ऐसे में अब केलूपोश स्कूल भवन के पास दो कमरे और एक बरामदा बचा हुआ है। कुछ ही दिनों में नया शैक्षणिक सत्र 2022-23 शुरू होने वाला हैं। बच्चों को इसी केलूपोश मकान में बैठकर अध्ययन करना होगा। उनके लिए शौचालय, सुविधाघर, खेल मैदान, रसोईघर सहित सभी सुविधाएं उपलब्ध नहीं होगी। सिर्फ दो केलूपोश कमरे और एक बरामदा होगा।
डूंगरपुर ब्लाक शिक्षा कार्यालय बिछीवाड़ा तहसील के अंतर्गत आने वाले पाल पादर के खानीमाल के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय बदहाल स्थिति में है। एक तरह से सरकार द्वारा शिक्षा को बढ़ावा देने, देश को डिजिटल युग की तरफ अग्रसर करने के सभी दावे इसको देखने के बाद बेमानी से लगते हैं।
जी हाँ ! क्यों की यह विद्यालय बीते दो दशक से एक केलुपोश मकान में संचालित है। अब केलूपोश जैसे मकान में बने रसोई घर के केलू और लकड़ीयां कोई चुरा ले गया है। ऐसे में अब केलूपोश स्कूल भवन के पास दो कमरे और एक बरामदा बचा हुआ है। कुछ ही दिनों में नया शैक्षणिक सत्र 2022-23 शुरू होने वाला हैं। बच्चों को इसी केलूपोश मकान में बैठकर अध्ययन करना होगा। उनके लिए शौचालय, सुविधाघर, खेल मैदान, रसोईघर सहित सभी सुविधाएं उपलब्ध नहीं होगी। सिर्फ दो केलूपोश कमरे और एक बरामदा होगा।
आश्चर्य की बात तो यह हैं की यहां पर पीईईओ पालपादर बिछीवाड़ा मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी, मुख्यालय के मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी कई बार निरीक्षण के लिए आ चुके हैं इसके बावजूद भी भवन निर्माण के लिए कोई ठोस कार्रवाई अब तक नही हुई। चाहे कड़ाके की सर्दी हों या गर्मी या फिर बारिश हर मौसम में बच्चों को केलूपोश मकान में ही बैठकर पढ़ाई करनी पडती है।
यही हाल इसी ग्राम पंचायत में राप्रावि रोजेला का भी हैं जो की केलूपोश में संचालित होता है। हालांकि इस स्कूल के लिए इसी वर्ष 54 लाख का बजट स्वीकृत हुए है। पाल पादर ग्राम पंचायत का स्कूल होता फला में इसके पास भी पिछले करीब 20 सालों से कोई पक्का भवन नही हैं।
भवन के मालिक गंगा राम खराड़ी ने बताया की 22 साल पहले 2001 में उनसे ये कमरा (भवन) केवल दिन तक स्कूल चलाने के नाम पर लिया गया था लेकिन आज 22 साल हों गये हैं भवन को खाली नही किया गया ना ही उन्हें कोई किराया मिला हैं आज तक।
गंगाराम के रिश्तेदार गौतम कुमार ने बताया की शुरूआती दिनों में गंगाराम 2 गधों पर पास की नदी से पानी की कैन भर कर लाया करते थे ताकी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को दिन भर पीने के लिए पानी मिल सकें। ना पानी की सुविधा, ना शौचालय और ना ही बिजली की कोई सुविधा उपलब्ध थी इस स्कूल में। गंगा राम इस सोच से पानी और अन्य चीजों का इंतजाम करते की स्कूल में पढ़ने वाले गांव के बच्चों को कोई तकलीफ ना देखनी पड़े लेकिन आज 22 सालों के बाद भी हालात कुछ ऐसा ही हैं।
गांव के रहने वाले एक युवा का कहना हैं की कई बार प्रशाशनिक अधिकारीयों और जन प्रतिनिधियों को इस बारे में अवगत कराया गया लेकिन कोई सुनवाई नही हुई, लोग चाहते हैं की जल्द से जल्द स्कूल भवन के लिए भूमि आवंटन हों, स्कूल का निर्माण हों जहां गांव और आस पास के इलाकों के बच्चे पढ़ाई करने के लिए आ सकें। स्कूल में सभी मुलभुत सुवधायें भी उपलब्ध हों।
जिला प्रारम्भिक शिक्षा अधिकारी (District Elementary Education Officer) राजेश कटारा के अनुसार स्कूल के लिए जमीन आवंटन भी हों चुकी हैं और बजट भी पास हों गया हैं। लेकिन ग्रामीणों के आपसी विवाद के चलते स्कूल का निर्माण नही हों पा रहा हैं।
कटारा का कहना हैं की जहां जमीन आवंटित हुई हैं वहां एक सड़क जा रही हैं, इसको लेकर कुछ लोग चाहते हैं की उस सड़क को बंद करके स्कूल का निर्माण कर दिया जाये तो वहीं कुछ ग्रामीण ऐसे भी हैं जो सड़क बंद होने के खिलाफ हैं इसी के चलते निर्माण लंबित हैं। कटारा ने कहा की इसी क्षेत्र में एक और ऐसा स्कूल हैं इसके निर्माण के लिए करीब 40 लाख रूपए का बजट मिला हैं लेकिन ठेकेदार की परेशानी की वजह से वहां भी अभी तक काम शुरू नही हों पाया हैं।
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