एससीएमस तथा संगम विश्वविद्यालय में समझोता, देश का प्रथम विश्वविद्यालय जिसने एससीएमएस से किया समझोता

एससीएमस तथा संगम विश्वविद्यालय में समझोता, देश का प्रथम विश्वविद्यालय जिसने एससीएमएस से किया समझोता

एमओयू का मुख्य उद्देश्य माइनिंग क्षेत्र में प्रशिक्षु के रूप में वोकेशनल कोर्स को संचालित किया जा सकेगा

 
sangam university

अगले शैक्षणिक सत्र 2022 -23 से डिप्लोमा इन माइनिंग इंजिनियरिंग वोकेशनल तरीके में प्रारंभ किया जाएगा

भीलवाड़ा,स्थानीय संगम विश्वविधालय तथा स्किल काउंसिल फॉर माइनिंग सेक्टर (एससीएमएस) में समझोता(एमओयू) हुआ। समझोता एससीएमएस के सीईओ संजय शर्मा तथा संगम विश्वविधालय के रजिस्ट्रार प्रो राजीव मेहता के बीच हस्ताक्षर करके समझोता हुआ। सीईओ संजय शर्मा ने बताया की एमओयू का मुख्य उद्देश्य माइनिंग क्षेत्र में प्रशिक्षु (अप्रेंटिसशिप) के रूप में वोकेशनल कोर्स को संचालित किया जा सकेगा। समझोता के अवसर पर कुलपति प्रो करुणेश सक्सेना ने  बताया की एससीएमएस जो को मिनिस्ट्री ऑफ माइनिंग,भारत सरकार द्वारा अधिगृहीत है,निश्चित ही इस समझौते से माइनिंग सेक्टर में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

नवीन शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत जो कौशल आधारित शिक्षा देने का प्रण संगम विश्वविद्यालय ने किया है, इस क्रम में संगम विश्वविधालय ने कदम आगे बढ़ाते हुए  हमने स्किल काउंसिल फॉर माइनिंग सेक्टर (एससीएमएस) जो कि मिनिस्ट्री ऑफ स्किल डेवलपमेंट एंटरप्रेन्योरशिप, भारत सरकार  के द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थान के साथ एक समझौता किया है। सबसे महत्व पूर्ण यह है कि विश्वविद्यालय को भारत के पहले शैक्षणिक संस्थान होने का गर्व है जिसने एससीएमएस के साथ में एमओयू किया है और इस एमओयू के तहत अगले शैक्षणिक सत्र 2022 -23 से डिप्लोमा इन माइनिंग इंजिनियरिंग वोकेशनल तरीके  में प्रारंभ किया जाएगा। इस पाठ्यक्रम में बच्चों को प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया जाएगा और बाद में उनके रोजगार के अवसर भी अच्छे होंगे।

रजिस्ट्रार प्रो राजीव मेहता ने बताया की संगम विश्वविद्यालय का विजन हमेशा से रहा है कि जो आसपास के क्षेत्र के  बच्चे हैं उनको रोजगार उन्मीखी शिक्षा दी जाए और भीलवाड़ा क्षेत्र जो है एक माइनिंग क्षेत्र के रूप में जाना जाता है और मेवाड़ क्षेत्र में अगर हम आसपास के जिलों की भी बात करें तो माइनिंग सेक्टर के अंदर असीम संभावनाएं हैं, यहां के बच्चों को माइनिंग सेक्टर में अच्छा रोजगार मिले , उसी को देखते हुए हमने यह समझोता किया है,और इस समझौते के अंतर्गत जो बच्चे हैं वह 2 साल तो विश्वविद्यालय में शिक्षा लेंगे,तथा अंतिम वर्ष प्रशिक्षु के रूप में अलग अलग माइनिंग सेक्टर ,कंपनी में प्रशिक्षण के लिए भेजे जाएंगे! इससे आसपास के क्षेत्र में माइनिंग सेक्टर में प्रशिक्षित युवाओं की कमी दूर होगी! 

डीन,स्कूल ऑफ इंजिनियरिंग प्रो विनेश अग्रवाल ने बताया की माइनिंग सेक्टर में अधिक संभावनाओं को देखते हुए विश्वविद्यालय एससीएमएस के साथ ट्रेनिंग पार्टनर के रूप में भी जुड़ना चाह रहा है,ट्रेनिंग पार्टनर के रूप में आसपास की सभी उद्योगिक इकाई में जो हमारे ट्रेनर है उन प्रशिक्षु को ट्रेनिंग देंगे। जनसंपर्क अधिकारी लेफ्टीनेंट राजकुमार जैन ने बताया की समझोता साक्षी के रूप में एससीएमएस के सुदर्शन,विश्वविद्यालय के डिप्टी रजिस्ट्रार बीएल पारीक, माइनिंग विभाग हेड आनंद शर्मा,टीपीओ हेड अनुराग शर्मा,मार्केटिंग हेड अमित जैन आदि उपस्थित थे।

To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on   GoogleNews |  Telegram |  Signal