निजी स्कूलों की हठधर्मिता पर राज्य सरकार और प्रशासन गंभीर नही - संयुक्त अभिभावक संघ

निजी स्कूलों की हठधर्मिता पर राज्य सरकार और प्रशासन गंभीर नही - संयुक्त अभिभावक संघ

संघ ने कहा " सुप्रीम कोर्ट के आदेश की धज्जियां उड़वा रही है सरकार और प्रशासन"

 
school fees

आदेश के ढाई महीने बाद भी अभिभावकों को नही मिल रहा न्याय

निजी स्कूलों को लेकर पिछले डेढ़ वर्षो से चल रहे संग्राम को लेकर संयुक्त अभिभावक संघ ने राज्य सरकार पर " निजी स्कूलों को संरक्षण देने एवं सुप्रीम कोर्ट के आदेश की खुलेआम अवमानना" करने का गम्भीर आरोप लगाया है। संघ ने कहा कि राज्य सरकार और प्रशासन निजी स्कूलों की बढ़ती हठधर्मिता के आगे असहाय है बिल्कुल भी गंभीर नही है। स्वयं राज्य सरकार और प्रशासन सुप्रीम कोर्ट के आदेश की धज्जियां उड़वा रही है। 

प्रदेश विधि मामलात मंत्री एडवोकेट अमित छंगाणी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश आये हुए ढाई महीने से ऊपर हो गया है किंतु आज दिनांक तक आदेशों की पालना शिक्षा विभाग और राज्य सरकार द्वारा बिल्कुल भी नही करवाई जा रही है। खुलेआम कानून का अपमान किया और करवाया जा रहा है निजी स्कूलों की हठधर्मिता के चलते ना केवल अभिभावक प्रताड़ित हो रहे बल्कि छात्र-छात्राएं और शिक्षक तक निजी स्कूलों के शिकार बन रहे है। हेल्पलाइन 9772377755 पर पूरे प्रदेशभर से निजी स्कूलों की लगातार शिकायतें प्राप्त हो रही है, जिनकी शिकायत शिक्षा विभाग तक करवाई जा रही है किंतु विभाग के अधिकारी अपने पदों का दुरुपयोग कर रहे है।

संयुक्त अभिभावक संघ प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने राज्य के शिक्षा मंत्री पर भी गम्भीर आरोप लगाते हुए कहा की शिक्षा मंत्री निजी स्कूलों की गोद मे बैठकर अभिभावकों को खिलौना बना रहे है जिसके चलते अभिभावकों के सब्र का बांध टूट रहा है। राज्य सरकार को बुधवार तक के अल्टीमेटम के साथ आठ सूत्रीय मांगों का ज्ञापन दिया गया था जिसकी समय सीमा आज समाप्त हो गई है अगले एक - दो दिन में अभिभावकों के सड़कों पर उतरने का कार्यक्रम निर्धारित कर दिया जाएगा, जिसमे सुप्रीम कोर्ट के आदेश और फीस एक्ट की पालना प्रमुख मांग तो रहेगी साथ शिक्षा मंत्री और शिक्षा अधिकारियों के इस्तीफे की मांग को प्रमुख रखा जाएगा। 

सरकार स्कूल खोलना चाहती है तो खोले किन्तु पहले प्रत्येक बच्चों के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी राज्य सरकार और स्कूल प्रशासन उठावें

प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल और महामंत्री संजय गोयल ने कहा कि "राज्य सरकार निजी स्कूलों के दबाव के चलते लगातार स्कूलो को खोलने की योजना पर कार्य कर रही है राज्य सरकार स्कूल खोलना चाहती है तो खोले किन्तु उससे पहले सरकार खुद और निजी स्कूलों पर स्कूल में आने वाले प्रत्येक बच्चे के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी भी उठावें। 

संघ ने कहा कि कोरोना के चलते 60 % से अधिक अभिभावकों के रोजगार और काम-धंधे समाप्त हो चुके है, उनके पास बच्चों की फीस भरने और परिवार के पालन-पोषण तक के पैसे नही है। अगर ऐसी स्थिति में स्कूल खोले जाते है तो अभिभावकों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ आएगा जिससे निपटने के लिए वह असहाय है। 

केंद्र और राज्य सरकारों के अनुसार तीसरी लहर बहुत खतरनाक है जिसकी चपेट में अधिकतर बच्चे ही आएंगे, दिल्ली जैसे राज्य 1 लाख प्रतिदिन मरीज आने की संभावना जताई जा रही है जिसकी आबादी 2 करोड़ है जबकि राजस्थान की आबादी 8 करोड़ है इसके हिसाब से यहां पर 4 लाख मरीज प्रतिदिन आने की संभावना है। उसके बावजूद भी अगर स्कूल खोले जाते है तो सरकार स्कूल खोल देंवे किन्तु बिना स्वास्थ्य सुरक्षा गारंटी के कोई भी अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल नही भेजेंगा। जबर्दस्ती की गई तो सड़कों पर संग्राम होगा।

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