उदयपुर । मनोचिकित्सा विभाग गीतांजलि आयुर्विज्ञान महाविद्यालय में शनिवार को भारतीय साइकाइट्रिक सोसाइटी की 38वां वार्षिक राज्य स्तरीय दो दिवसीय मनोचिकित्सकीय संगोष्ठी का उद्घाटन हुआ। गीतांजलि ग्रुप के अध्यक्ष जे. पी अग्रवाल, एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर अंकित अग्रवाल तथा वाइस चांसलर डॉ. एफ.एस मेहता भी कार्यक्रम में मौजूद रहे।
मनोचिकित्सा विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. जितेंद्र जीनगर ने कार्यक्रम का संचालन किया तथा पिछली बार के सबसे अच्छे शोध पत्रों को सम्मानित किया गया। गहलोत अवार्ड के लिए एसएमएस मेडिकल कॉलेज से डॉ. महक अग्रवाल को चुना गया। गीतांजलि मेडिकल कॉलेज के डॉ. मनु शर्मा एवं डॉ. सची मेहता को सोलंकी पुरुस्कार दिया गया एवं डॉ. अक्षर पटेल को सर्वश्रेष्ठ शोध पत्र एवं जयपुर अवार्ड के लिए सम्मानित किया गया , जिसमे डॉ. अनिल कुमार कुमावत एवं डॉ. धीरज गोया भी शामिल थे।
इस बार संगोष्ठी में पहली बार Life Fellows की निर्देशिका का विमोचन भी किया गया। संगोष्ठी में जयपुर से डॉ. राघव शाह ने Cannabis के Legalisation के पक्ष एवं विपक्ष के बारे में बताया, दिल्ली AIIMS से डॉ. YPS बल्हारा ने E-cigarette से संबंधित तथ्यों के बारे में जानकारी दी। चंडीगढ़ से डॉ. अश्विन मोहन तथा दिल्ली AIIMS से डॉ. अतुल अंबेकर, डॉ. रविन्द्र राव ने नशामुक्ति केंद्र एवं ड्रग्स के Decriminilization से संबंधित विचार प्रस्तुत किए और कानूनी एवं नैतिक सीमाओं के बारे में बताया।
डॉ. अखिलेश जैन अध्यक्ष पद के लिए चुने गए। Deaddiction Centre को कानूनी तौर पर किस तरह से मरीजों की सुविधा के लिए सुचारू रूप से चलाया जाए जिससे मरीज ठीक हो सके और समाज में वापसी कर सके इस बारे में पैनल चर्चा की गई। रविवार को स्नातकोत्तर विद्यार्थियों ने तथा राज्य के मानसिक रोग विशेषज्ञों विभिन्न श्रेणियों में शोधपत्रों का वाचन किया जिनमें अवार्ड शोधपत्र भी शामिल थे। NIMHANS बेंगलुरू के डॉ. सुरेश बडामठ ने मानसिक रोगों की दवाइयों को मानसिक रोग विशेषज्ञ द्वारा देने में आने वाली कानूनी एवं नैतिक समस्याओं के बारे में अवगत कराया। Valedictory समारोह के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
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