शिक्षण संस्थान के स्टाफ का वैक्सीनेशन अनिवार्य किया जाना चाहिए - तीसरी लहर से बच्चों का बचाव इसी तरह सुनिश्चित होगा


शिक्षण संस्थान के स्टाफ का वैक्सीनेशन अनिवार्य किया जाना चाहिए - तीसरी लहर से बच्चों का बचाव इसी तरह सुनिश्चित होगा

जिन स्टाफ का वैक्सीनेशन नहीं हुआ है, उन्हें वैक्सिईनेशन करवाने के लिए प्रतिबंधित करना चाहिए

 
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कोरोना वैक्सीन आने के बाद देश की जनता को काफी रहत मिली है, लेकिन कोरोना की इस जंग को ख़त्म करने के लिए सभी नागरिको का वेक्सीनेट होना आवश्यक है।  कोरोना की दूसरी लहर को ध्यान में रखते हुए त्रिस्तरीय जन-अनुशासन दिशा-निर्देश में सरकार ने कई राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशो ने प्रतिबंधों में थोड़ी छूट देना तय किया है। इसके तहत समस्त कार्यालय, दुकान, क्लब, जिम, रेस्ट्रोरेंट, मॉल एंव अन्य व्यावसयिक प्रतिष्ठानों में कर्मचरियो द्वारा  वैक्सीन का पहला डोज़ लिया जा चूका होना चाहिए।

जिस तरह से हर कार्यालय, दुकान, क्लब, जिम, रेस्टॉरेंट, मॉल एंव अन्य व्यावसयिक प्रतिष्ठानों में प्रतिबन्ध कम करने का निर्णय किया गया है, क्या यह निर्णय शिक्षा संस्थानों पर भी लागू नहीं करना चाहिए? हालाँकि अभी बच्चों के लिए शिक्षण संस्थानों (स्कूल, कॉलेज, ट्यूशन सेंटर, कोचिंग सेंटर) में जाना प्रतिबंधित है, मगर इन संस्थानों में शिक्षक और गैर शैक्षनिक स्टाफ का आना जाना शुरू हो गया है। अगर कुछ हफ़्तों तक संक्रमण कि स्थिति काबू में रही, तो यक़ीनन बच्चों के स्कूल, कॉलेज इत्यादि जाने से प्रतिबन्ध हट जाएगा। उस वक़्त अगर स्कूल ,कॉलेज एवं अन्य संस्थान में पढ़ा रहे शिक्षक और गैर शैक्षनिक स्टाफ अगर वैक्सीनेटेड न हुए तो इन बच्चों में संक्रमण का ज्यादा डर है। 18 साल से कम उम्र वालों की तो वैक्सीन अभी आई ही नहीं है।  इन बातों को ध्यान रखते हुए जल्दी ही शिक्षण संस्थानों में भी यह पाबन्दी तुरंत जारी होनी चाहिए। चूँकि सरकार को इस बात से अनभिज्ञ नहीं है की स्कूलों, कॉलेजों में 18 वर्ष के कम के और 18 वर्ष से अधिक आयु के छात्र अध्ययन करते है।

सरकार को इस बात को सुनिश्चित कर लेना चाहिए की स्कूलों,कॉलेजों एवं अन्य शिक्षण संस्थानों में अध्यापक गण और गैर शैक्षणिक स्टाफ को वैक्सीन की प्रथम डोज़ तो लग ही चुकी हो और साथ ही छात्र छात्राये जो 18 वर्ष से अधिक आयु के है उन्हें कोरोना वैक्सीन की प्रथम डोज़ अनिवार्य तौर पर लग चुकी हो। हालाँकि वेक्सीन लगने के बाद भी हमें सोशल डिस्टेंसिंग मास्क और दो गज की दुरी का मुख्य रूप से ध्यान रखना होगा।

सरकार को स्कूल खोलने की अनुमति तब देनी चाहिए जब स्कूल सुनिश्चत कर दे की उनके सारा स्टाफ पूरी तरह से वैक्सिनेटेड है। चूँकि अभी बच्चों पर प्रतिबन्ध है, इसीलिए यही मौका है की स्कूल, कॉलेज और शिक्षण संस्थानों को तुरंत दिशा निर्देश दिया जाना चाहिए की वह अपने स्टाफ का वैक्सीनेशन सुनिश्चित करवाएं।

इसी तरह से जो अलग अलग प्रतियोगी परीक्षाएं हो रही हैं, वहाँ भी सभी स्टाफ का वैक्सीनेशन सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

कोरोना के मरीज़ो की संख्या में गिरावट से जिस तरफ बाकी संस्थानों पर प्रतिबन्ध कम किया गया है वैसे ही कॉलेजों में इस बात को सुनिश्चित किया जाए की 18वर्ष के आयु वर्ग वाले छात्रों को वेक्सीन लग चूका हो और अध्यापक गण में वैक्सीन के दोनों डोज़ लग चुके हो। शिक्षण संस्थानों में छात्र छात्रों की संख्या अधिक होने पर क्रम के अनुसार यूनिवर्सिटियों में प्रवेश दिया जाए साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क का अनिवार्य रूप से नियम की पालना हो सके।

सभी कॉलेजों और शिक्षण संस्थानों में यह नियम अनिवार्य कर दिया जाये की अध्यापक और स्टूडेंट का टीकाकरण हो चूका हो और कॉलेज प्रवेश के दौरान टीका कारण प्रमाण पत्र देखा जाए साथ ही सुचारु रूप से सोशल डिस्टन्सिंग और मास्क का प्रयोग होता रहे। शिक्षण संस्थानों की समय समय पर सफाई और सेनिटिज़ेशन होता रहे। ताकि संभावित तीसरी लहर आने से रोका जा सके। चूँकि तीसरी लहर बच्चो को प्रभावित कर सकती है इससे बचने के लिए बेहतर है की सर्वप्रथम टीकाकरण हो ताकि शिक्षण संस्थानों को फिर से सुचारु रूप से शुरू किया जा सके।

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