उदयपुर 2 अक्टूबर 2021 । सेवन होर्सेस मोशन पिक्चर्स एल एल पी के बैनर तले बनने वाली एतिहासिक फिल्म महाराणा प्रताप-हिंदुस्तान का गौरव को लेकर शुक्रवार को प्रताप शोध प्रतिस्ठान, भूपाल नोबल्स विश्वविद्यालय उदयपुर के तत्वाधान में मेवाड़ के ख्यात नाम इतिहासकारों के साथ महाराणा प्रताप के जीवन से जुड़े हुए इतिहासिक तथ्यों एवम भूगोलिक स्थलों को लेकर एक परिचर्चात्मक बैठक की।
फिल्म के निर्देशक विक्की राणावत व् फिल्म के निर्माता सुनील जैन, कवलजीत सिंह राणावत ने बताया कि भूपाल नोबल्स संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष प्रदीप सिंह पुरावत, परामर्श दाता प्रताप सिंह झाला तलावदा, बलवंत सिंह झाला, सरल राणावत, गुणवन्तसिंह झाला, मारुती नंदन पचौरी, लाइन प्रोडूसर सुभाष सोरल, मेवाड़ के ख्यातनाम इतिहासकार विशेष कर जिन्होंने महाराणा प्रताप के इतिहास पर शोध कार्य किया,उनके साथ प्रशनो के माध्यम से खुली और विस्तृत चर्चा की गयी।
इस चर्चा में निदेशक प्रताप शोध प्रतिष्ठान के डॉ. मोहब्बत सिंह राठोड़, डॉ. देव कोठारी, प्रो. गिरीश नाथ माथुर, डॉ. राजेंद्र नाथ पुरोहित, डॉ.जे.के.ओझा, डॉ. विवेक भटनागर, डॉ. अजय मोची, डॉ.मनीष श्रीमाली, डॉ. भानु कपिल, डॉ.कुलशेखर व्यास, डॉ. जी.एल.मेनारिया, विनोद चौधरी, प्रियदर्शी ओझा ने भाग लिया एवं महाराणा प्रताप के जीवन से सम्बंधित सभी पहलुओं को लेकर विस्तार से जानकारी दी।
विकी राणावत ने बताया कि प्रातः स्मरणीय वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप पर एक ऐसी ऐतिहासिक और वास्तविकता से ओतप्रोत फिल्म बनेगी जो निर्विवादित और तथ्यों पर आधारित होगी। फिल्म की ज्यादातर शूटिंग भी उन ऐतिहासिक स्थलों पर ही होगी जहां पर वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप ने अपना संघर्ष का दौर गुजारा और ऐतिहासिक युद्ध लड़े। फिल्म में महाराणा प्रताप के जन्म काल से लेकर उनके देवलोक गमन तक के सफर को बड़ी ही बारीकी के साथ प्रस्तुत किया जाएगा। महाराणा प्रताप पर करीब 7 साल तक रिसर्च किया और फिर डॉ. राजशेखर व्यास से चर्चा हुई। यकायक उनका स्वास्थ्य खराब हो गया और हॉस्पिटल में भर्ती रहें।
उन्होंने बताया कि फिल्म में महाराणा प्रताप के जीवन के ऐसे छुए पहलुओं को भी प्रस्तुत किया जाएगा जिनके बारे में आम आदमी को अभी तक पता नहीं है। फ़िल्म शूटिंग में वीएक्सएफ का इस्तेमाल किया जाएगा ताकि 500 साल पुराना परिदृश्य उपस्थित हो सकें। इतिहास धीरे धीरे पाठ्यक्रमों से कम होता जा रहा है। प्रयास रहेगा कि उसको फ़िल्म में दिखाया जा सके। 500 साल का इतिहास 3 घंटे में बता पाना असंभव है लेकिन फिर भी उनके जीवन के प्रमुख उद्देश्य, घटनाएं शामिल की जाएगी।
उन्होंने कहा कि यह फिल्म बनाना बहुत ही ऐतिहासिक और मेहनत का कार्य है क्योंकि इस फिल्म में 500 साल पहले के वह ऐतिहासिक स्थल, वह परंपरा, और भाषा को जीवन्त कर पर्दे पर उतारना बड़ी चुनौती होगी। महाराणा प्रताप तो फादर ऑफ द हिस्ट्री हैं। हालांकि महाराणा प्रताप ने अपने जीवन काल में कई युद्ध लड़े लेकिन तीन प्रमुख युद्ध हल्दीघाटी का युद्ध चित्तौड़ का युद्ध और दिवेर का युद्ध मुख्य है। उनकी शूटिंग करना बहुत ही ऐतिहासिक कार्य होगा।
फ़िल्म निर्माण में ध्यान रखेंगे क्योंकि सिर्फ राजपूत या मेवाड़ की ही नही विश्व के सर्व समाज की भावनाएं इससे जुड़ी हुई हैं। फ़िल्म की तैयारियां जोरों पर है।
उन्होंने बताया कि फील को 70 एमएम पर्दे पर ही रिलीज़ किया जाएगा। मार्च 2022 तक शूटिंग शुरू होगी और वर्ष 2023 में प्रदर्शित कर दी जाएगी। मेवाड़ और जयपुर में शूटिंग की जाएगी। साथ ही स्थानीय कलाकारों को भी मौका दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि मैं स्वयं राजपूत हूं, इसलिए मुझे ध्यान है कि वेशभूषा, चाल-ढाल कैसी होनी चाहिए। फिल्म के लिये ऑडिशन्स का काम जोरों पर जारी है। कथा डॉ.राजशेखर व्यास,पटकथा विकी राणावत, सरल राणावत व राजशेखर व्यास द्वारा लिखी गई है।
फ़िल्म के सलाहकार झाला मान के वंशज प्रतापसिंह तलावदा ने बताया कि अध्यात्म जगत में मीरा बाई, महाराणा प्रताप का नाम आज विश्व के इतिहास में लिया जाता है। परंपरा के खिलाफ उन्होंने आज तक कभी कोई अवज्ञा नहीं की। मेवाड़ के इतिहास का विश्व में सर्वाेच्च स्थान है। मेवाड़ राजपरिवार के महेंद्रसिंह से भी इस बारे में बात हो चुकी है। जो यथार्थ है वैसा ही फ़िल्म में प्रदर्शित किया जाएगा। चरित्र जैसा है वैसा ही हो। भोगौलिक स्थानों पर ही शूट किया जाए। तथ्यों के साथ फिल्माकर उसे प्रदर्शित किया जाए।
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