उदयपुर। भारतीय लोक कला मण्डल, उदयपुर, में श्रीमती शैली श्रीवास्तव ने दी ओडिसी नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी।
भारतीय लोक कला मण्डल के निदेशक डाॅ. लईक हुसैन ने बताया कि भारतीय लोक कला मण्डल एवं विरासत एंसबल संस्था के संयुक्त तत्वावधान में देश की प्रसिद्ध ओडिसी नृत्यांगना श्रीमती शैली श्रीवास्तव द्वारा ओडिसी नृत्य की शानदार प्र्रस्तुति दी गई।
उन्होने बताया कि ओडिसी भारत के आठ शास्त्रीय नृत्यों में से एक है। इसकी उत्पत्ति पूर्व में ओडिशा राज्य से हुई है। इसे पुरातात्विक साक्ष्यों के आधार पर भारत का सबसे पुराना जीवित नृत्य माना जाता है। भारतीय नृत्य का शास्त्रीय महाकाव्य, नाट्य शास्त्र बंगाल, बिहार और ओडिशा के एकीकृत क्षेत्र- ओड्रा मागधी को अपना जन्मस्थान कहता है। उदयगिरि की पहाड़ियों (भुवनेश्वर) और कोणार्क मंदिर की प्राचीन मूर्तियां इसकी गवाही देती हैं।
श्रीमती शैली श्रीवास्तव द्वारा आज ओडिसी नृत्य के दौरान नृत्य का इतिहास एंव उसकी विभिन्न शैलियो को नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत किया गया।
कार्यक्रम की शुरूआत नृत्य मय गणपति वंदना से हुई जिससे पूरा सभागार मंत्र मुग्ध हो गया, उसके पश्चात माणिक्य विना मुप्लायंती, आरभी पल्लवी, तो लागी गोपो डांडा एवं वी मोक्ष नृत्य की शानदार प्रस्तुतियाँ दी गई।
कार्यक्रम के अंत में संस्था उपाध्यक्ष रियाज़ तहसीन ने श्रीमती शैली श्रीवास्त्व को स्मृति चिन्ह् भेंट कर उनका सम्मान किया।
डाॅ. हुसैन ने बताया कि भारतीय लोक कला मण्डल में श्रीमती शैली श्रीवास्तव द्वारा दिनांक 2 दिसम्बर से शास्त्रीय नृत्य ओडिसी की नियमित प्रशिक्षण कक्षाओं का आयोजन किया भी किया जा रहा है। ओडिसी नृत्य सीखने की इच्छा रखने वाले प्रतिभागी भारतीय लोक कला मण्डल में कार्यालय समय में आकर पंजीयन करा सकते है ।
इसके साथ ही उन्होने बताया कि भारतीय लोक कला मण्डल में दिनांक 13 से 15 दिसंबर तक राजस्थानी नाट्य समारोह का आयोजन किया जाएगा।
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