ऋतु वसंत - बड़ौदा के छात्रों ने संगीत, नृत्य और नाट्य से जीवन्त किया होरी पर्व

ऋतु वसंत - बड़ौदा के छात्रों ने संगीत, नृत्य और नाट्य से जीवन्त किया होरी पर्व

कार्यक्रम की शुरूआत सरस्वती वंदना से हुई इसके पश्चात छात्रों ने स्व साम्राज्ञी भारत रत्न लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि स्वरूप उनके लोक प्रिय गीत सुनाये
 
ritu vasant

उदयपुर। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित शास्त्रीय संगीत व नृत्य उत्सव ‘‘ऋतु वसंत’’ की शुरूआत रविवार केा हुई जिसमें महाराजा सायाजी राव विश्वविद्यालय बड़ौदा के छात्र-छात्राओं ने शास्त्रीय, उपशास्त्रीय संगीत, लोक तथा नाट्य से ‘‘होरी पर्व’’ पर्व को ‘‘रंगोत्सव’’ में अभिव्यक्त किया। प्रस्तुति में एक ओर जहां संगीत था वहीं इसमें कथक, भरतनाट्यम तथा गुजराती भवाई के अंश भी दर्शकों को देखने को मिले।

शिल्पग्राम के मुक्ताकाशी रंगमंच पर आयोजित ‘ऋतु वसंत’ के पहले दिन महाराजा सायाजी राव विश्वविद्यालय के फेकल्टी ऑफ पारफॉर्तिंग आर्ट के 51 छात्र छात्राओं ने अपनी प्रस्तुति से दर्शकों का दिल जीत लिया। कार्यक्रम की शुरूआत सरस्वती वंदना से हुई इसके पश्चात छात्रों ने स्व साम्राज्ञी भारत रत्न लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि स्वरूप उनके लोक प्रिय गीत सुनाये। 

इस प्रस्तुति में केतकी जासकिया व स्वरित केलकर ने अपने कंठ से लता जी के लोक प्रिय गीत सुनाये। उनमें ‘रहे ना रहे हम’, पिया तो से नैना लागे, एहसान तेरा होगा मुझ पर, अल्ला तेरो नाम सुनाये। वहीं स्वरित केलकर ने लता जी के कुछ गीतों पर दर्शकों से भी गाने का आग्रह किया तो दर्शक दीर्घा में बैठे दर्शकों ने गीत ‘लग जा गले’ व सावन का महिना पवन करे शोर’ पर स्वर साधे। प्रस्तुति के आखिर में केतकी ने आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में लता जी का गाया लोक प्रिय गीत ‘‘ए मेरे वतन के लोगों...’ सुना कर दर्शकों में देश भक्ति के जज्बे का संचरण किया।

इसके पश्चात ‘‘रंगोत्सव’’ की प्रथम प्रस्तुति में राग काफी होरी पर आधारित रचना ‘होरी के रंग’ की प्रस्तुति अत्यंत मधुर बन सकी। बड़ौदा की ही छात्राओं ने भरतनाट्यम शैली में होरी के पद का प्रस्तुतिकरण में भारतीय शास्त्रीय शैलियों निहित भाव भाव भंगिमाओं व नृत्य संरचनाओं का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। 

इसके बाद इसी दल के कला नेत्रियों ने उत्त्र भारत की कथक नृत्य शैली में होरी का पद प्रस्तुत किया जिसमें कथक के मूल तत्वों के साथ अभिनय पक्ष श्रेष्ठ व लुभावना बन सका। शास्त्रीय संगीत और नृत्य की इस सुंदर प्रस्तुति के बाद दर्शको को गुजरात का भवाई लोक नाट्य का रंग भी देखने को मिला। ‘ता थैया ता थैया ता थैया’’ की लयकारी ध्वनि के साथ नाट्य विभाग के छात्रों ने ‘‘होली का वेश’’ प्रस्तुत किया।

इस अवसर पर 51 कला दल द्वारा राजस्थान के घूमर तथा गुजरात के गरबा के प्रयोग से एक अनूठी प्रस्तुति दी गई जिसमें दोनों राज्यों की संस्कृति के अनूठे रंग देखने को मिले। कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति के रूप में राग यमन पर आधारित ‘‘सुर ताल चक्र’’ की प्रस्तुति ने दर्शकों को रोमांचित सा कर दिया। रंगोत्सव की प्रस्तुति को डॉ. राजेश केलकर, डॉ. केदार मुकादम, डॉ. प्रीति दामले, डॉ. दिव्या पटेल, कु. तृप्ती गुप्ता तथा राकेश मोदी द्वारा एक सूत्र में पिरोया गया।

इससे पूूर्व मुख्य अतिथि मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अमरीका सिंह, केन्द्र निदेशक किरण सोनी गुप्ता एवं डॉ. राजेश केलकर ने दीप प्रज्जवलित कर चार दिवसीय उत्सव का उद्घाटन किया। इस अवसर पर कुलपति प्रो. अमरीका सिंह, निदेशक किरण सोनी गुप्ता तथा डॉ. राजेश केलकर द्वारा मोहन लाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के डॉ. पियूष भादविया द्वारा रचित पुस्तक ‘‘होली’’ का विमोचन किया गया।

ऋतु वसंत के दूसरे दिन सोमवार को दर्शकों का शेखावाटी अंचल का ‘‘चंग’’ की धमाल देखने को मिलेगी वहीं सोमवार को ही वृंदावन के बड़े ठाकुर जी व उनके समूह की फूलो की होली देखने का अवसर मिलेगा।
 

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