उदयपुर 30 सितंबर 2024। प्रताप गौरव केन्द्र ‘राष्ट्रीय तीर्थ’ के तत्वावधान में चल रहे दिवेर विजय महोत्सव के तहत रविवार को राज्यव्यापी ऑनलाइन प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। एक घंटे की इस प्रतियोगिता में बहुविकल्पीय 100 प्रश्न पूछे गए। सभी प्रश्न मेवाड़ के इतिहास व वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के जीवन से संबंधित रहे। प्रतिभागियों ने मोबाइल और कम्प्यूटर के जरिये परीक्षा दी।
प्रताप गौरव केन्द्र के निदेशक अनुराग सक्सेना ने बताया कि प्रतियोगिता दो वर्गों में छठी से आठवीं व 9वीं से 12वीं कक्षा समूह में रखी गई। निर्धारित समय से पूर्व ही बच्चों ने लिंक खोल कर एप डाउनलोड करना शुरू कर दिया। सुबह एक बार तो ऑनलाइन प्रणाली को संभाल रहे तकनीकी साथियों को भी मशक्कत करनी पड़ गई। फोन भी सुन्न से पड़ गए। आधे घण्टे में सबकुछ संयत हुआ और निर्धारित समय से पूर्व परीक्षार्थियों की समस्या दूर हो गई। निर्धारित समय पर परीक्षा शुरू हुई। परीक्षा के बाद कई परीक्षार्थियों और उनके अभिभावकों से अनुभव की जानकारी ली गई। सभी ने इसे बच्चों के लिए नया अनुभव बताया। मोबाइल में शॉर्ट्स देखने से ज्यादा उपयोगी होने की बात कही।
ऑनलाइन प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता के संयोजक डॉ. बालूदान बारहठ ने बताया कि प्रतियोगिता के लिए राज्य के सभी निजी व सरकारी विद्यालयों से पूर्व में ही बच्चों का पंजीकरण करा लिया गया था, इसलिए ज्यादा परेशानी नहीं हुई। राज्य के लगभग सभी जिलों की इसमें भागीदारी रही। विद्यालयों को मेवाड़ के इतिहास व महाराणा प्रताप के जीवन से संबंधित जानकारी की सामग्री भेजना भी उपयोगी रहा, इससे यह सामग्री उनके भविष्य में भी काम आएगी।
कुछ ऐसे प्रश्नों से जूझे परीक्षार्थी
प्रतियोगिता में चावण्ड शैली की मेवाड़ी कलम में रंगों का संयोजन कैसा है, महाराणा प्रताप ने चावण्ड को ही राजधानी के रूप में क्यों रखा, हल्दीघाटी युद्ध में भाग लेने वाले ग्वालियर के राजा रामशाह तंवर के तीन पुत्रों के नाम बताइये, भोमट क्षेत्र से कहां के सरदार हल्दीघाटी में लड़ने के लिए आए थे, महाराणा प्रताप ने हकीम खां सूर को सेना के किस हिस्से की जिम्मेदारी दी, मेवाड़ के सैनिकों के पास मानसिंह को मारने का अवसर हल्दीघाटी से पहले कब था, खमनोर के युद्ध का आंखों देखा हाल किस मुगल मौलवी ने लिखा है, खमनोर के मैदान में महाराणा प्रताप की सेना में कितने राजपूत सैनिक थे आदि प्रश्न शामिल किए गए।
अभिभावक भी अभिभूत
अभिभावकों ने कहा कि इन प्रश्नों के उत्तर प्रतियोगिता के बाद भी जारी किए जाएं क्योंकि इतने प्रश्नों के उत्तर जानने के बाद मेवाड़ का इतिहास बच्चों मानस पटल पर अमिट हो जाएगा।
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