ह्युमन सेपलिंग ने उदयपुर में की भव्य शुरूआत


ह्युमन सेपलिंग ने उदयपुर में की भव्य शुरूआत

मेटावर्स में भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति का पुनर्जीवन

 
human saplings

उदयपुर। अरावली पर्वत श्रृंखला की सुरम्य वादियों के मध्य स्थित भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति को परिलक्षित करने वाले शिल्पग्राम के कलात्मक संगम हाॅल में 'ह्युमन सेपलिंग' भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति का पुनर्जीवन" ने रखा अपना पहला कदम। 

उद्घाटन समारोह  मेवाड़ राजपरिवार की सदस्य निवृत्ति कुमारी  मेवाड़ के विशिष्ट आतिथ्य एवं अध्यक्षता में संपन्न हुआ। समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में रेखा राठौड़ थी, जो "ह्युमन सेपलिंग" की संस्थापिका हितोष्मा सिंह चौहान की नानी माँ हैं। 

ह्यूमन सेपलिंग की सोच हितोष्मा सिंह चौहान की है। जिनका जन्म उदयपुर में हुआ और वर्तमान में वे नीदरलैंड्स के "द हेग विश्वविद्यालय" में इंनफार्मेशन मेनेजमेन्ट विषय की प्राध्यापिका हैं। उन्होंने आहड़ बनास सभ्यता एवं सिंधु सरस्वती सभ्यता का गहन अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि इन सांस्कृतिक एवं साहित्यिक मूल्यों को हमारा समाज अक्सर नजरअंदाज कर देता है।

तत्पश्चात हितोष्मा सिंह ने ह्यूमन सैपलिंग द्वारा समकालीन समाज में इन्ही समृद्ध मूल्यों को पुनः स्थापित करने हेतु सेतू-निर्माण का दृष्टांत दिया। आहड़ संग्रहालय, उदयपुर के परिदर्शन से प्रभावित हो कर हितोष्मा ने 5000 वर्ष पूर्व के उदयपुर, तत्कालीन आहड़ सभ्यता के गौरवमयी इतिहास को जन- जन तक कहानियों एवं चित्रों के माध्यम से परिलक्षित करने का बीड़ा उठाया। इस कार्य को मूर्त रूप देने के लिए ह्युमन सेपलिंग की स्थापना की गई। इसके अंतर्गत अतीत की कहानियों का पुनः संचालन करने की अवधारणा को साकार रूप देने का सुन्दर प्रयास किया है ताकि एक अधिक समावेशी भविष्य का निर्माण किया जा सके । इस परिवर्तनशील यात्रा के सहभागी एवं राजदूत बनने हेतु उन्होंने हर आम और खास व्यक्ति को खुला आमंत्रण दिया। 

ह्यूमन सेपलिंग मात्र एक कहानी संचालन का मंच नहीं अपितु हमारी सामूहिक पहचान का पुनर्क्षेपण और समृद्ध एवं संस्कारवान भविष्य निर्माण हेतु ताना-बाना बुनने का पूर्ण समर्पित प्रयास है। आज यह संस्था एक सेपलिंग के रूप में अंकुरित हुई है और आशा है कि भविष्य में यह पल्लवित एवं पुष्पित हो कर एक गहरी जड़ों वाले विशाल वृक्ष का रूप धारण कर मूल्यों को स्थापित करने में सफलता अर्जित करेगी। 

नानी माँ को समर्पित संस्थान की पहली पुस्तक "एडवेंचर्स ऑफ तारा एण्ड नानी" का पदार्पण नानी के जन्म दिवस 21 अगस्त को अमेज़न पर किया जाएगा।
 

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