भारतीय लोक कला मंडल के लोकानुरंजन मेले का समापन


भारतीय लोक कला मंडल के लोकानुरंजन मेले का समापन

कल से 19 वॉ पद्मश्री देवीलाल सामर स्मृति नाट्य समारोह

 
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उदयपुर 24 फरवरी 2023 । भारतीय लोक कला मण्डल के 72वें स्थापना दिवस पर आयोजित किये जा रहे लोकानुरंजन मेले के अंतिम दिन कलाकारों ने बड़े ही जोश और जुनुन के साथ रंगा-रंग प्रस्तुतियों दी तथा भारी मन से अगले साल आने की उम्मीद के साथ दर्शकों से विदा ली।

आज से 19 वॉ पद्मश्री देवीलाल सामर स्मृति नाट्य समारोह प्रारम्भ होने जा रहा है। आज पंजाब की ‘‘मंच-रंगमंच’’ संस्था का नाटक ‘‘दुश्मन’’ जिसका निर्देशन प्रसिद्ध नाट्य निर्देशक केन्द्रीय संगीत नाटक अकादमी अवार्डी एवं पंजाब संगीत नाटक अकादमी के अध्यक्ष केवल धालीवाल ने किया है एवं यह नाटक अंग्रेज़ी  में Adaptation of Henrik Ibsen के आलेख An enemy of the people पर अधारित कहानी की प्रस्तुति से नाट्य समारोह की शुरूआत होगी। 

यह नाट्य समारोह मार्च 02, 2023 तक चलेगा इसमें 26 फरवरी 2023 को भी केवल धालीवाल द्वारा निर्देशित एवं डॉ. स्वराजबीर द्वारा लिखित नाटक ‘‘अदाकर-आद अंत की साखी’’ का मंचन होगा तो 27 फरवरी 2023 को अभिनय रंगमंच-हिसार के मनीष जोशी द्वारा लिखित एवं निर्देशित नाटक ‘‘पतलून’’ की प्रस्तुति होगी। 28 फरवरी 2023 को विजयकुमार्स ट्रेवलिंग बॉक्स थिएटर, गोवा के विजय कुमार नाईक द्वारा निर्देशित एवं कविन्द्र देसाई द्वारा लिखित नाटक ‘‘ताबूत ज़िन्दगी’’ दिनांक 01 मार्च 2023 को हिसार की रंगरूट थियेटर कम्पनी द्वारा अनूप विश्नोई के निर्देशन एवं कामतानाथ द्वारा लिखित नाटक ‘‘संक्रमण’’ की प्रस्तुति होगी एवं 19 वें पद्मश्री देवीलाल सामर स्मृति नाट्य समारोह के अंतिम दिन 2 मार्च 2023 को उदयपुर के युवा एवं उदीयमान रंगकर्मी एवं फिल्म अभिनेता कविराज लईक़ के निर्देशन में राजस्थान के वयोवृद्ध नाट्य निर्देशक, नाटककार सरताज माथुर द्वारा लिखत नाटक ‘‘अभिशप्त’’ दी परफोरमर्स कल्चरल सोसायटी, उदयपुर का मंचन होगा।

संस्था निदेशक डॉ. लईक हुसैन ने बताया कि भारतीय लोक कला मण्डल के 72 वें स्थापना दिवस के लोकानुरंजन मेले के समापन अवसर पर संस्था के मानद सचिव सत्य प्रकाश गौड़ ने मुख्य अतिथी कलेक्टर ताराचन्द मीणा, अतिरिक्त आयुक्त एवं माणिक्यलाल वर्मा आदिम जाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान के निदेशक श्रीमती अंजली राजोरिया एवं गणमान्य अतिथियों का स्वागत किया।

डॉ. लईक हुसैन ने बताया कि समारोह के अंतिम दिन गुजरात से आए कलाकारों ने राठवा नृत्य, पंजाब के कलाकारों ने भांगडा, हिमाचल के कलाकारों ने झमकड़ा नृत्य, जम्मु कश्मीर के रउफ एवं गोवा से आए लोक कलाकारों ने देखनी डांस दिखाकर लोगों का मन जीत लिया एवं रंगा रंग प्रस्तुतियों से भारतीय लोक कला मण्डल, में लोक रंगों की बारिश कर एक दूसरे को अलविदा कहा।

लोकानुरंजन मेले के समापन पर ताराचन्द मीणा द्वारा सभी लोक कला दलों के दल नायकों को शोल पहनाकर एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।  

इसके अतिरिक्त लोकानुरंजन मेले में विविध राज्यों से आये शिल्प कलाकारों ने अपनी कला की प्रदर्शिनी संस्था परिसर में आयोजित किये जा रहे शिल्प मेले में भी दिन भर दर्शकों की काफी भीड़ रही शिल्प प्रदर्शनी में जयपुर के पत्थरों के आभूषण, आकोला की ब्लोक प्रिंट, मोलेला कि मिठ्ठी की कारीगरी (राजसमंद)  एवं अन्य प्रांतो से आने वाली शिल्प वस्तुएँ भी इस श्ल्पि मेले में आने वाले दर्शको को लुभा रही है।

उन्होने बताया कि कला, साहित्य, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग-राजस्थान सरकार, दी परफोरमर्स कल्चरल सोसायटी, उदयपुर, उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र-पटियाला, पंजाब संगीत नाटक अकादमी- चंडीगढ़, हरियाणा कला परिषद-कुरूक्षेत्र, पंजाब फोक आर्ट सेन्टर, गुरदासपुर, कला एवं संस्कृति विभाग-गोवा, खेल युवक सेवा एवं सांस्कृतिक प्रवृति विभाग- गाँधी नगर, अयोध्या शोध संस्थान एवं साहित्य कला परिषद्-उत्तराखण्ड के सहयोग से आयोजित किये जा रहे है।
 

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