जून 2021 से पूर्व वेक्सीन का बाजार में आना मुश्किल - डॉ डी पी सिंह
ऑनलाइन शिक्षा के बढ़ते प्रभाव से बच्चो को लाभ कम नुकसान अधिक - डॉ आर एल सुमन
कोरोना के कारण 60 प्रतिशत लोगों में मानसिक तनाव के लक्षण आ रहे है - डॉ मिक़दाद हुसैन बोहरा
वेजीटेरियन को दालें, सीड्स,सोया, नाॅन वेजीटेरियन को फिश, चिकन लेना चाहिये - डॉ रिद्धिमा खमेसरा
उदयपुर 4 अक्टूबर 2020। आरएनटी मेडिकल काॅलेज के पूर्व प्राचार्य एंव मेडिसिन विभागाध्यक्ष डाॅ. डी.पी.सिंह ने कहा कि विश्व में 240 वेक्सीन पर कार्य चल रहा है। जिसमें से 9 अतिम चरणो में है। इसके बावजूद जून 2021 से पूर्व वेक्सीन का बाजार में आना मुश्किल है। ऐसे में बचाव ही कोरोना से लड़ाई का अंतिम हथियार है। कोरोना रोगी का ईलाज करते समय उसकी पूर्व में चल रही बीमारियों के ईलाज का भी ध्यान रखना चाहिये। डायबिटीज, ब्लड प्रेशर के रोगियों को इस कोरोनाकाल मे अधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
वे आज भारतीय पत्रकार संघ की जिला इकाई उदयपुर द्वारा गूगल मीट पर कोरोनाकाल में स्वास्थ्य की देखभाल विषय पर आयोजित संगोष्ठी में देश भर से जुड़े पत्रकारों एवं आमजन को जानकारी देते हुए बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि शरीर में ऑक्सीजन लेवल 94 से कम आने पर उसे तुरन्त अस्पताल में भर्ती कराना चाहिये। 90 से कम ऑक्सीजन लेवल होने पर उसे कृत्रिम ऑक्सीजन देने की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि महामारी से हमें अपने आपको 2 गज की दूरी, बार-बार हेण्ड वाॅश, सेनेटाईजर का उपयोग एवं हर समय मास्क लगाये रखनें को प्राथमिकता देनी होगी तभी हम इस बीमारी से जीत पायेंगे।
आरएनटी मेडिकल काॅलेज के अधीक्षक एवं बाल रोग विशेषज्ञ डाॅ. आर.एल.सुमन ने कहा कि पूर्व में भारत में ऑनलाइन शिक्षा पद्धति इतनी विकसित नहीं थी लेकिन कोरोना ने यहाँ इसे विकसित किया। ऑनलाइन शिक्षा के बढ़ते प्रभाव से बच्चो को इसका लाभ कम और नुकसान अधिक हो रहा है।
उन्होंने कहा कि बच्चों में ऑनलाइन शिक्षा से मसल्स, ज्वॉइंट पेन, नेत्र रोग बढ़ रहे है। ऑनलाइन शिक्षा के दौरान बच्चों में होने वाली बीमारी का यदि समय पर ईलाज नहीं लिया जाय तो आगे जा कर बड़ी बीमारी में तब्दील हो जाती है। लम्बे समय तक ऑनलाइन बैठने वालें बच्चों को अनेक बीमारियों का समाना करना पड़ेगा। बच्चों को देर रात तक मोबाईल का उपयोग नहीं करना चाहिये। बच्चों को प्रतिदिन 6 से 8 घंटे ऑनलाइन शिक्षा के लिये बैठना पड़ता है, इसलिये बाकि समय में बच्चों को मोबाईल व कम्प्यूटर का उपयोग नहीं करना चाहिये।
इस अवसर पर कनाडा के चिकित्सक डाॅ. मिकदाद हुसैन बोहरा ने कहा कि देश में वर्तमान में साढ़े तीन करोड़ लोग इससे ग्रसित हो चुके है तो यह भी चैन की बात है कि इससे करीब ढाई करोड़ लोग रिकवर भी हो चुके है। कोरोना ने आर्थिक, सामाजिक,राजनीतिक, धर्म, रोजगार,पर्यटन आदि को काफी हद तक प्रभावित किया है। इसका सीधा असर मनुष्य के मस्तिष्क पर पडा है। इससे वह मानसिक तनाव में आ गया है।
सोशल मीडिया पर घूम रहे संदेश हमें गुमराह कर रहे है। कोरोना ने मनुष्य को स्वयं, उसके परिवार एवं देश को काफी नुकसान पंहुचाया है। कोरोना के कारण हेल्थ वर्कर्स की कमी आ रही है। तनाव के कारण गम,दुख,घबराहट एवं उसके व्यवहार में काफी नलकारात्मक बदलाव आया है। कोरोना के चलते तनाव के कारण मनुष्य गलत आदतों में पड़ चुका है। कोरोना के कारण 60 प्रतिशत लोगों में मानसिक तनाव के लक्षण आ रहे है।
संगोष्ठी में बोलते हुए आहार विशेषज्ञ डाॅ.रिद्धिमा खमेसरा ने कहा कि हम अपने खान-पान से ही अपने भीतर की इम्युनिटी सिस्टम्स को बेहतर बना सकते है। उन्होंने कहा कि शरीर को स्वस्थ रखने के लिये प्रतिदिन 12 गिलास पानी पीना चाहिये ताकि शरीर के भीतर 70 प्रतिशत पानी होने पर वह बाहर की 30 प्रतिशत बीमारियों से लड़ने के लिये शरीर को तन्दुरूस्त रख सकता है।
उन्होंने कहा कि कोरोना ग्रस्त हो कर कमजोर हो चुके लोगों को अपनी कैलोरीज पर पूरा ध्यान लगाना चाहिये। प्रोसेस्ट फूड, ब्रेड, पास्ता आदि को न ले कर प्रोटीन युक्त खाना लेना चाहिये। वेजीटेरियन को दालें, सीड्स,सोया, नाॅन वेजीटेरियन को फिश, चिकन लेना चाहिये। गला खराब रोगियों को दही, काॅफी, कोल्ड ड्रिक्सं नहीं लेना चाहिये। हल्दी, विटामिन सी व विटामिन डी का भरपूर उपयोग करना चाहिये। नेचुरल फाईबर,त्रिफला का सेवन करना चाहिये।
भारतीय पत्रकार संघ, शहर का यह ऐसा पहला संगठन है जिसने जनहित में इस प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन किया। जिसमें देशभर 150 से अधिक पत्रकार एवं आमजन जुड़ें।
प्रारम्भ में जिलाध्यक्ष दिनेश गोठवाल ने सभी अतिथियों एवं संगोष्ठी में दिल्ली, नोएडा, बिहार, झारखण्ड, झाबुआ, इन्दौर, रांची सहित देश के 22 राज्यों से भाग लेने वाले प्रतिभागियों का स्वागत किया। अंत में संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष विक्रम सेन ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम में तकनिकी सपोर्ट उदयपुर टाइम्स ने दिया।
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