मोहिनी अट्टम एवं कत्थक नृत्यों की रंगारंग प्रस्तुतियाँ हुई

मोहिनी अट्टम एवं कत्थक नृत्यों की रंगारंग प्रस्तुतियाँ हुई

भारतीय लोक कला मंडल

 
mohini attam

उदयपुर।   भारतीय लोक कला मण्डल के 73 वें स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर भारतीय लोक कला मण्डल में रंगपृष्ठ संस्था के संयुक्त तत्वावधान में ‘‘शास्त्रीय नृत्य संध्या’’ का आयोजन किया गया। जिसमें कोलकोत्ता की प्रसिद्ध नृत्यांगना मोमिता पाॅल द्वारा मोहिनी अटृम एवं रंगपृष्ठ संस्था के कलाकारों ने कत्थक नृत्यों की रंगारंग प्रस्तुतियों से दर्शकों का मन मोह लिया।

भारतीय लोक कला मण्डल के निदेशक डाॅ. लईक हुसैन ने बताया कि भारतीय लोक कला मण्डल की स्थापना पद्मश्री देवीलाल सामर द्वारा 22 फरवरी 1952 को आदिम एवं लोक कलाओं तथा शिल्प के संरक्षण, प्रचार-प्रसार एवं विकास के उद्धेश्य से की गई थी। भारतीय लोक कला मण्डल कि स्थापना को आज 73 वर्ष हो चुके है

 इस वर्ष भारतीय लोक कला मण्डल के 73वें स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर संस्था में रंगपृष्ठ संस्था के संयुक्त तत्वावधान में ‘‘शास्त्रीय नृत्य संध्या’’ का आयोजन किया गया। जिसमे कोलकोत्ता से आई मोमिता पाॅल द्वारा भारत के प्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्य मोहिनी अट्टम एवं रंगपृष्ठ संस्था के कलाकारों द्वारा कत्थक नृत्यों की प्रस्तुतियाँ दी गई।

कार्यक्रम के प्रारम्भ में गणमान्य अतिथियों एवं संस्था के मानद सचिव सत्य प्रकाश गौड़ ने दीप प्रज्जवलित कर एवं भारतीय लोक कला मण्डल के संस्थापक पद्मश्री देवीलाल सामर कि तस्वीर पर माल्यापर्ण कर कार्यक्रम की शुरूआत की उसके पश्चात् कोलकोत्ता की प्रसिद्ध नृत्यांगना मोमिता पाॅल द्वारा गणेश वंदना की प्रस्तुति दी गई गणेश वंदना के पश्चात मोमिता पाॅल द्वार ही पाहि पर्वता नंदिनीः की प्रस्तुति दी गई पाहि पर्वता नंदिनी नृत्य महाराजा स्वाति तिरुनल कीर्तनम पर आधारित नृत्य है जिसमें देवी पार्वती (हिमालय की बेटी) जो हमारे लिए शक्ति और सुंदरता लाती है, वह नदी के किनारे रहती है और शेर पर सवार है। वह पूर्णिमा के चंद्रमा के समान सुंदर है और उसकी आंखें कमल की पंखुड़ी के समान सुंदर हैं। इनकी वाणी सौम्य और मधुर होती है, उसकी सुंदर चाल एक हिरण की चाल से मिलती जुलती है, राजसी हाथी, राजा और उनकी सारी प्रजा उन्हें साष्टांग दण्डवत् करती है उसे शुभता का आशीर्वाद प्राप्त है। उसके गुण अनंत हैं। इस नृत्य में राग - आराभि और ताल - आदी थी।

इसी क्रम में मोमिता पाॅल द्वारा अष्टपदी नृत्य की प्रस्तुति दी गई अष्टपदी नृत्य जयदेव की गीता गोविंदा का अंश है जिसमें उनकी कल्पना में प्रेम में डूबी राधा को दर्शाया गया है। वह भगवान कृष्ण को अन्य महिलाओं की संगति में देखती है। राधा अपनी सखियों सेे अन्य महिलाओं के साथ भगवान कृष्ण की कामुक लीलाओं का वर्णन करती है और बिंदी पर टिप्पणी करती है जिसे भगवान कृष्ण उसके माथे पर सजा रहे हैं तथा जिन फूलों से वह उसके बालों को सजा रहे हैं, वह उसे शोभा नहीं देते हैं। यहां राधा अपनी सखी से कह रही है। प्रिय सखी, जब भगवान कृष्ण उसकी संगति में आनंद ले रहे हैं, लेकिन मैं इस हरे कुंज में हमेशा उनकी प्रतीक्षा करूंगी। इस नृत्य को राग-सुधा हिंडोलम और बागुधारी, ताल - आदि में प्रस्तुत किया गया जिसमें गीत जयदेव का था।  

इसके बाद रंग पृष्ठ संस्था के कलाकार प्रग्नेश पण्डया एवं ज्योति माली ने कत्थक नृत्य की शैली में अर्द्ध नारीश्वर एवं अनुशा शर्मा ने द्रोपदी चीर हरण की प्रस्तुतियाँँ श्रीमती शिप्रा चटर्जी के निर्देशन में दी गई।

डाॅ. हुसैन ने बताया कि भारतीय लोक कला मण्डल के 73 वें स्थापना दिवस पर दिनांक 24 से 28 फरवरी 2024 तक दी परफोरमर्स कल्चरल सोसायटी, उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में 20 वाॅ पद्मश्री देवीलाल सामर स्मृति राष्ट्रीय नाट्य समारोह का आयोजन होगा। जिसमें देश के प्रसिद्ध नाट्य निर्देशक एवं अभिनेता केवल धालीवाल द्वारा निर्देशित तीन नाटक हिन्दी, उर्दू एवं पंजाबी भाषा में नाटक मंचित किये जाएगें, रंग केवल धालीवाल में मंच-रंगमंच सस्था, अमृतसर द्वारा दिनांक 24 फरवरी 2024 को वारिस शाह द्वारा लिखित नाटक ‘‘हीर वारिस शाह’’ दिनांक 25 फरवरी 2024 को बुल्ले शाह के जीवन पर शाहिद नदीम द्वारा लिखित नाटक  ‘‘बुल्ला’’  तथा दिनांक 26.02.2024 को जर्मनी के प्रसिद्ध नाटककार बर्तोल्त ब्रेख्त द्वारा लिखित नाटक कोकेशियन चैक सर्किल का भारतीय संस्करण ‘‘मिटृी ना हावे मतरेई’’ जो राजनैतिक एवं सामाजिक व्यवस्था पर करारे प्रहार के साथ सशक्त व्यंग पर आधातिर है का मंचन होगा तो इसी क्रम में समारोह दिनांक 27 फरवरी 2024 दी परफोरमर्स कल्चरल सोसायटी, उदयपुर द्वारा जयवर्धन द्वारा लिखित एवं प्रबुद्ध पाण्डे द्वारा निर्देशित नाटक ‘‘ ‘‘आख़िर एक दिन’’ का मंचन होगा। तथा समापन समारोह के अंतिम दिन दिनांक 28 फरवरी 2024 को दि परफोरमर्स कल्चरल सोसायटी संस्था द्वारा प्रबुद्ध पाण्डे के निर्देशन में वसुधैव कुटुम्बकम नाटक का मंचन किया जाएगा।  

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