उदयपुर। भूपाल नोबल्स विश्वविद्यालय के कुंभा सभागार में भारत नेपाल के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों पर संगोष्ठि का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों का राजस्थानी परंपरा के अनुसार पेचा, उपरणा व माल्यापर्ण के साथ स्वागत सत्कार किया।
संगोष्ठि के मुख्य अतिथि नेपाल के पूर्व उप-प्रधानमंत्री विमलेन्द्र निधि ने भारत नेपाल संबंध पर अपने विचार अभिव्यक्त करे
संगोष्ठि का प्रारंभ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलन से हुआ। संगोष्ठि के मुख्य अतिथि नेपाल के पूर्व उप-प्रधानमंत्री विमलेन्द्र निधि ने भारत नेपाल संबंध पर अपने विचार अभिव्यक्त करते हुए कहा कि ‘‘भारत नेपाल संबध के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध जनता द्वारा निर्मित है, जो कभी भी टूट नहीं सकते है । भारत और नेपाल अनेक दृष्टियों से समानताऐं रखता है भारत के विकास के साथ नेपाल का विकास भी जुडा हुआ है। भारत जहां लोकतंत्र में विश्वास रखता है, जहां प्रजातांत्रिक शासन व्यवस्था है नेपाल में भी राजनीतिक दृष्टि से वही व्यवस्था है। भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में नेपाल के नेताओं और जनता का भी अमूल्य योगदान रहा है जिसको कभी भूलाया नहीं जा सकता वही भारत ने भी नेपाल के लोकतंत्र की मजबूती के लिए अपना पूरा योगदान किया है। व्यापक दृष्टि से देखें तो भारत एवं नेपाल का राजनीतिक दर्शन एक समान है। भारत की सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक मान्यताऐं समानता लिए हुए है। उन्होने अपने उद्बोधन में नेपाल और मेवाड़ के संबंधों को भी रेखांकित किया है इस संबंध में उन्होंनें थारू समूदाय का उल्लेख किया है, जो राजस्थान के थार से वंहा गए थे। उन्होनें कहा कि किसी भी देश के समग्र विकास में वहां के विश्वविद्यालयों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विश्वविद्यालय ऐसे ठोस उपकरण होते है जो क्रांति और विकास को नया आयाम प्रदान करते है।
राम मंदिर के लिए नेपाल द्वारा हजारों लाखों वर्ष पुरानी शालीग्राम शीला भेंट की है
इससे पूर्व भूपाल नोबल्स संस्थान के कार्यवाहक अध्यक्ष प्रो. कर्नल शिवसिंह सारंगदेवोत ने भारत नेपाल संबंध पर अपने विचार रखते हुए कहा कि भारत नेपाल के सांस्कृतिक संबंध पौराणिक काल से रहे है तो हम कह सकते है कि धार्मिक एवं संस्कृतिक की दृष्टि से भारत और नेपाल का गहरा जुडाव है । भारत में बनने वाले राम मंदिर के लिए नेपाल द्वारा हजारों लाखों वर्ष पुरानी शालीग्राम शीला भेंट की है। उन्होनें पूरे विश्वास के साथ यह कथन कहा कि भारत नेपाल संबंध सदैव मजूबत थे और रहेंगें। इससे पूर्व संस्थान के सचिव डाॅ. महेन्द्र सिंह आगरिया ने संस्थान का विस्तृत परिचय देते हुए अतिथियों का स्वागत अभिनंदन किया। संस्थान के प्रबन्ध निदेशक मोहब्बत सिंह राठौड़ द्वारा अतिथियों को स्मृति चिन्ह् भेंट कर सम्मान किया गया ।
यह सभी उपस्थित थे
इस संगोष्ठि में नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री की पत्नी अनामिका उपासक निधि, बृजेश त्रिपाठी, निशा त्रिपाठी, संस्थान वित्तमंत्री शक्ति सिंह कारोही, संयुक्त सचिव राजेन्द्र सिंह ताणा, कार्यकारिणी सदस्य नवल सिंह जूड़, करण सिंह उमरी, महेन्द्र सिंह पाखण्ड़, डाॅ. युवराज सिंह राठौड़, ओल्ड बाॅयज ऐसोसिऐशन के सचिव भानू प्रताप सिंह झीलवाडा, विद्या प्रचारिणी सभा के सदस्य, संकाय के अधिष्ठाता, आचार्य व विद्यार्थी उपस्थित थें ।
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