दक्षिण भारत की कलाओं से सतरंगा बना शिल्पग्राम उत्सव

दक्षिण भारत की कलाओं से सतरंगा बना शिल्पग्राम उत्सव
 

शिल्पग्राम उत्सव दिन-6
 
दक्षिण भारत की कलाओं से सतरंगा बना शिल्पग्राम उत्सव
हाट बाजार में खरीद फरोख्त का दौर जारी
 

उदयपुर, 26 दिसम्बर 2019। यहां हवाला गांव स्थित शिल्पग्राम में चल रहे राष्ट्रीय हस्त शिल्प और कला उत्सव ‘‘शिल्पग्राम उत्सव-2019’’ में गुरूवार का दिन देश दक्षिणी भाग की समृद्ध कलाओं के नाना रंगों से शोभायमान रही। जिसमें भरतनाट्यम, कथकली, मोहिनी अट्टम, कुचीपुडी नृत्य के तत्वों व लावण्य का रास सम्मिलित था वहीं पुद्दुचेरी का कोडई कुट्टू ने अपनी प्रस्तुति से समृद्ध कला विरासत को मंच पर जीवंत बनाया। इसके साथ ही शिल्प बाजार में शिल्प वस्तुओं खरीददारी का दौर जारी रहा।

पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित दस दिवसीय उत्सव के छठवें दिन रंगमंच पर दर्शकों को दक्षिण भारत की विभिन्न नृत्य शैलियों को एक मंच पर एक साथ एक अनूठी और सृजनात्मक ब्लैंडिंग के साथ देखने को मिला। 

प्रसिद्ध भरतनाट्यम नृत्यांगना वाणी राजमोहन के नेतृत्व में आये इस दल ने सर्वप्रथम शिव स्तुति प्रस्तुत की। स्वामी दयानन्द सरस्वती के गीत ‘‘भो शंभो... शिव शम्भो...’’ से की जिसमें वाणी और गायत्री जयरामन ने दैहिक भंगिमाओं से भगवान शिव के प्रति रूप को मनोरम ढंग से दर्शाया गया व उनकी स्तुति की गई। इसके बाद वेष्णवी ने कुचीपुड़ी में तरंगम की प्रस्तुति में अपने नर्तन का जौहर दिखाया। इसके उपरान्त नृत्यांगना मेघा नायर और जास्मीन ने मोहिनी अट्टम में शोल्ल कट्ट में अपनी शैली की बारीकियों और भाव सम्प्रेषणता को दर्शाया। 

दर्शकों के लिये सबसे रोमांचकारी रहा कथकली नृत्य जिसके मेकअप में लगभग 4 से छः घंटे लगते हैं आकाश ने अपनी प्रस्तुति में पूरापाड़ का मंचन किया जिसमें हस्त मुद्राओं, नेत्र पलकों से भाव उत्पन्न कर दर्शकों पर अपनी अमिट छवि अंकित की।

कार्यक्रम में ही पुद्दुचेरी के कलाकारों ने कोडई कुट्टू में भगवान श्री कृष्ण के पौत्र अनिरूद्ध के जीवन से जुड़े प्रसंग का मंचन किया। इस अवसर पर महाराष्ट्र के लावणी नृत्य पर दर्शकों ने सीटी बजा कर कलाकारों का उत्साहवर्धन किया। 

महाराष्ट्र की ही मलखम्भ कला में योग मुद्राओं का प्रदर्शन विशेषकर जलती मशाल के साथ मलखम्भ पर योग क्रिया करना दर्शकों को खूब रास आया। 

कार्यक्रम मे ही मध्यप्रदेश का गणगौर नृत्य सुंदर प्रस्तुति रही जिसमें नर्तकियों ने शिव और गौरी की उपासना प्रस्तुत की। इसके अलावा तेलंगाना का माधुरी नृत्य कार्यक्रम की सराहनीय प्रस्तुति रही।

इससे पूर्व गुरूवार को मेले में दिनभर शिल्प वस्तुओं की खरीददारी का दौर चला लोगों ने हाट बाजार में बैठे शिल्पियों के स्टाल्स पर मोलभाव कर अपनी पसंदीदा वस्तुएं खरीदी व मेले का आनन्द उठाया। हाट बाजार के विभिन्न थड़ों पर लोक कला प्रस्तुतियों को लोगों ने चाव से देखा व कलाकारों से कलाओं की जानकारी लेने के साथ फोटो खिंचवाये। मेले में दोपहर में बंजारा रंगमंच पर दर्शक कलाकारों ने कला प्रस्तुतियां दी। इसके अलावा संगम सभागार में आयोजित कला प्रदर्शनी में चित्रों की सृजनशीलता कला रसिकों को खूब भायी।

दस दिवसीय उत्सव में शुक्रवार को भारत के उततरी प्रांतों की कलाओं को देखने का अवसर मिलेगा जिसमें कथक, भपंग के अलावा जम्मू कश्मीर, पंजाब, उत्तर प्रदेश की कलाएं देखने को मिलेगी।


 

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