लेकसिटी में ‘सुनो ना प्रीत के गीत‘ मुशायरे ने बांधा समां


लेकसिटी में ‘सुनो ना प्रीत के गीत‘ मुशायरे ने बांधा समां

‘‘हाथों के भी गर पांव होते, दुआएं दौड़कर जाती और कुबूल हो आती’’

 
kapil paliwal

उदयपुर 8 जून 2023 । कश्ती फाउंडेशन एवं टीम एन एफर्ट के संयुक्त तत्वावधान में होटल द ललित लक्ष्मी विलास में देर शाम जाने-माने गीतकार एवं शायर कपिल पालीवाल की सीरीज ‘सफर‘ के तहत ‘सुनो ना...प्रीत के गीत‘ एकल प्रस्तुति का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में पालीवाल ने अपनी कविताओं-शायरियों से समा बांध दिया।

पालीवाल ने प्रेम, विरह, माँ, सांप्रदायिक सौहार्द्र, गरीबी का दंश, मानवीय संवेदनाओं आदि पर अपनी प्रतिनिधि रचनाएं प्रस्तुत की। इसके साथ ही उनकी नई विधा ‘सनातनी‘ को सुनने के लिए भी सभी श्रोता उत्साहित दिखे। ‘सनातनी‘ में पालीवाल ने प्रेम से अध्यात्म तक के सफर को शायरियों के माध्यम से प्रस्तुत किया। पालीवाल की प्रेम विरह को लेकर प्रस्तुत गजलों ने भी सभी का मन मोह लिया। इसके अलावा विभिन्न समसामयिक विषयों पर भी अपनी गजलें प्रस्तुत की।

प्रेम और विरह के गीत, जीवन की विडंबनाओं पर हुई प्रस्तुतियां :

इनमें प्रमुख रूप से ‘आज फिर एक सड़क एक खेत खा गई‘, ‘दंगे नहीं देखते मजहब‘, ‘माँ तो बस माँ होती है‘, ‘कोई गरीब बीमार न हो दुआ मेरी ये कहती है‘, ‘थाम रखा है उसने अपना हाथ मेरे हाथ में, मुश्किलों रहना अब अपनी औकात में‘, ‘जब से सुना है तुम भोले हो, राख हो जाता हूँ मैं‘, मुहब्बत का मेरी कद ना नापो पंक्तियों को सुनाकर श्रोताओं को आकर्षित किया। इसी प्रकार पालीवाल ने ‘‘ये फलक जरा सा है.., हां मैं प्रेम का नीलकंठ हूं...ये हलक भरा सा है’’, ‘‘बहुत बड़ी खाई है...अक्षर सिर्फ ढाई है।’’, हाथां के गर पांव होते...दुआएं दौड़ कर जाती और कुबूल हो आती।’’, ‘‘मुहब्बत का मेरी इस तरह मुकाम हो जाए, मैं तुझे याद करूं और उधर अजान हो जाएं’’, ‘‘आ... आकर मेरा हाल देख., मर कर भी जिंदा हूं मेरा कमाल देख...’’, तथा ‘‘बन गई बहुत ऊंची खाई...आंगन में भाई ने जब दीवार उठाई...’’ जैसी पंक्तियां प्रस्तुत कर जीवन की विडंबनाओं को प्रस्तुत किया तो मौजूद श्रोताओं ने करतल ध्वनि से सराहना की।  
मोडरेटर आरजे दामिनी ने कार्यक्रम का संचालन किया और उन्होंने भी अपनी शायरियों-गजलों से कार्यक्रम को एक सूत्र में पिरोये रखा।

शिल्प कलाओं एवं चित्रों ने बढ़ाया आकर्षण

कार्यक्रम में मंच के दोनों ओर जाने-माने आर्टिस्ट डॉ. चित्रसेन एवं चेतन औदीच्य की पेंटिंग को प्रदर्शित किया गया। डॉ. चित्रसेन ने मेवाड़ के भित्ति चित्रों पर नवीन प्रयोग करते हुए शानदार चित्र प्रदर्शित किए वहीं चेतन औदीच्य द्वारा भगवान शिव पर तैयार चित्र भी बेहद आकर्षक लग रहा था। इसके अलावा शिल्पकार हेमंत जोशी ने अपने स्टोन स्कल्पचर प्रस्तुत किए। चित्रकार नीलोफर मुनीर ने समाचार पत्रों की कतरनों एवं यूज्ड पेन्स से तैयार कलाकृतियों को प्रस्तुत किया।

अतिथियों ने कहा-लम्बे अंतराल के बाद हुआ अनूठा कार्यक्रम :

कार्यक्रम के अंत में अतिथियों ने विचार व्यक्त किए। कश्ती फाउंडेशन की श्रद्धा मुर्डिया ने स्थानीय कलाकारों को मंच देने के लिए इस प्रकार के आयोजनों की जरूरत बताई और कहा कि हम सभी का दायित्व है कि आने वाली पीढ़ी को अपनी कला एवं संस्कृति के प्रति जागरूक करें। प्रोफेसर डॉ. विजयलक्ष्मी चौहान ने मंच से कहा कि गीतकार कपिल पालीवाल ने चंद ही समय में काव्य पाठ की समस्त विधाओं को समेट लिया और ईश्वर को साथ जोड़ने से इसमें चार-चाँद भी लग गए। आर्किटेक्ट सुनील लड्ढा व संयुक्त निदेशक डॉ. कमलेश शर्मा ने संगीत के साथ हुए मुशायरे की पहल की सराहना की।

कार्यक्रम में कवि व गीतकार डॉ. जयप्रकाश पण्ड्या ‘ज्योतिपुंज’, रिटायर्ड सीसीएफ राहुल भटनागर, आकाशवाणी के कार्यक्रम अधिशासी महेन्द्रसिंह लालस, डॉ. अनिंदिता, नितीज मुर्डिया, नित्या सिंघल, सोफिया नलवाया, कनिष्का तलेसरा, दीपक दीक्षित, कृष्णेन्दू, डीएस परिहार सहित अन्य बड़ी संख्या में साहित्यप्रेमी प्रबुद्धजन उपस्थित रहे।

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