पर्यावरण और परिंदों के संरक्षण के उठे स्वर


पर्यावरण और परिंदों के संरक्षण के उठे स्वर

उदयपुर बर्ड फेस्टिवल 2020
 
पर्यावरण और परिंदों के संरक्षण के उठे स्वर
नेचर लिटरेचर फेस्टिवल में ख्यातनाम लेखकों की कृतियों पर हुई चर्चा

उदयपुर, 10 जनवरी 2020 । मेवाड़-वागड़ की जैव विविधता से जन-जन को रूबरू करवाने और  लेकसिटी को बेस्ट बर्डवॉचिंग डेस्टिनेशन के रूप में स्थापित करने की दृष्टि से शुक्रवार को शुरू हुए तीन दिवसीय उदयपुर बर्ड फेस्टिवल के तहत पहले दिन शाम को  नेचर लिटरेचर फेस्टिवल का आयोजन किया गया।

ओटीसी सभागार में आयोजित नेचर लिटरेचर फेस्टिवल में ख्यातनाम लेखक  भारतीय वन सेवा के सेवानिवृत अधिकारी, पक्षी विशेषज्ञ व सरिस्का टाईगर फाउण्डेशन के अध्यक्ष एक्सपर्ट लेखक सुनयन शर्मा ने सरिस्का के टाईगर पर लिखी पुस्तक बाघ संरक्षित क्षेत्र में 'फिर से गूंजी दहाड' तथा 'बर्ड्स इन पेरडाईज' पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बाघ संरक्षण व केवलादेव में परिंदों के जलक्रीड़ाओं पर विचार व्यक्त किए। 

इस दौरान सवाईमाधोपुर टाईगर वॉच के निदेशक व वन्यजीव विशेषज्ञ डॉ. धर्मेन्द्र खांडल ने झालाना और रणथंभौर में डॉग्स फैमिली पर लिखी अपनी कृतियों और इसकी विषयवस्तु पर विस्तार से जानकारी दी। 

लिटरेचर फेस्टिवल में ख्यातनाम एंकर श्रीमती स्वाति अग्रवाल ने अतिथि लेखकों से उनकी कृतियों व उनकी विषयवस्तु पर विभिन्न प्रश्नों के माध्यम से चर्चा की।  

सारस क्रेन और फिंच विवर पर दी प्रस्तुति:

नेचर लिटरेचर फेस्टिवल के द्वितीय सत्र में ख्यातनाम पक्षी विज्ञानी डॉ. गोपी सुन्दर ने सारस क्रेन के बारे में एवं बोम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी के डॉ. रजत भार्गव द्वारा फिंच विवर बर्ड (बया) के पहचान, वर्तमान स्थिति और संरक्षण के उपायों पर विस्तार से अपना प्रस्तुतिकरण दिया। 

विशेषज्ञों ने परिंदों के संरक्षण के लिए उच्च स्तर पर गंभीरता बरतने का आह्वान किया। इस मौके पर शोधार्थी नारायण लाल ने इजिप्शियन वल्चर की जनसंख्या पर तथा पुष्कर कुमावत ने जलाशयों में सड़ती वनस्पतियों से जलाशयों की गहराई कम होने व इससे पक्षियों पर होने वाले नकारात्मक प्रभावों के बारे में जानकारी दी। कार्यशाला का संचालन प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी डॉ. सतीश शर्मा ने किया।

इस नेचर लिटरेचर फेस्टिवल में वरिष्ठ आईएफएस और प्रधान मुख्य वन संरक्षक डॉ. एन.सी.जैन, मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) आर के सिंह, उप वन संरक्षक सुगनाराम जाट, सविता दईया, फतेहसिंह राठौड़, सोहेल मजबूर, डूंगरपुर के पूर्व मानद वन्यजीव प्रतिपालक वीरेन्द्र सिंह बेड़सा, बांसवाड़ा के डॉ. कमलेश शर्मा, पक्षी विशेषज्ञ विनय दवे, प्रदीप जोशी, डॉ. विजय कोली, विजेन्द्र परमार, डॉ. राम मेघवाल, तितली विशेषज्ञ मुकेश पंवार सहित बड़ी संख्या में पक्षीप्रेमी मौजूद थे ।

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