उदयपुर। भूपाल नोबल्स विश्वविद्यालय की बी एन कन्या इकाई के संगीत विभाग द्वारा ‘वाॅइस कल्चर’ (स्वर संस्कृति) पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का प्रारंभ मां सरस्वती के समक्ष अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ हुआ।
कार्यशाला की मुख्य वक्ता ख्यातनाम संगीतज्ञ सुरमणि महालक्ष्मी शिनाॅय द्वारा स्वर संस्कृति का व्यावहारिक प्रस्तुतीकरण किया गया। उन्होंने प्रस्तुति देते हुए कहा कि कंठ संगीत में स्वर संस्कृति की अपनी विशिष्ट भूमिका है। स्वर संस्कृति के ज्ञान के बिना कंठ संगीत अधूरा है। स्वर संस्कृति संगीत की आत्मा है। उन्होंने कार्यशाला के प्रारंभ में संगीतमय रूप में माँ सरस्वती, ब्रह्मा की स्तुति के साथ कबीर का निरगुणी रामभजन गाया और रामनाम का स्मरण किया।
उन्होंने स्वर संस्कृति के विविध पक्षों पर सूक्ष्मता के साथ प्रकाश डाला। उन्होंने स्वर और भाव के अन्तर्संबंध को गाकर बताया। कंठ संगीत की साधना के प्रमुख तत्वों, बड़ज स्वर की साधना और उसके गायन समय पर विस्तार से चर्चा की। इसके साथ ही विभिन्न स्वरों के मध्य अन्तर्संबंध, उनकी विशेषताओं और आकार, इकाइ उकार आदि स्वरों के उच्चारण के आरोह अवरोह को बारीकी के साथ प्रशिक्षणार्थियों को प्रायोगिक रूप में बताया।
इससे पूर्व महाविद्यालय अधिष्ठाता डाॅ. प्रेमसिंह रावलोत ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यशाला की सफलता की शुभकामनाएं व्यक्त की। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की कार्यशालाओं से निश्चित रूप से विद्यार्थियों को लाभ होता है। संगीत साधना का एक माध्यम होता है। संगीत हमारे जीवन में आनन्द का भाव उत्पन्न करता है।
विश्वविद्यालय के चैयरपर्सन कर्नल प्रो शिवसिंह सारंगदेवोत, विद्या प्रचारिणी सभा के मंत्री डाॅ.महेन्द्र सिंह राठौड़, प्रबंध निदेशक मोहब्बत सिंह राठौड़, कुलसचिव डाॅ. निरंजन नारायण सिंह ने कार्यशाला के सफल आयोजन के लिए शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए इस प्रकार की आयोजन केे महत्व को रेखांकित किया।
कार्यशाला संयोजक और संगीत विभाग की विभागाध्यक्ष डाॅ. रेखा मेनारिया ने जानकारी देते हुए बताया कि इस कार्यशाला में उदयपुर शहर के विभिन्न महाविद्यालयों यथा बीएन विश्वविद्यालय, एमएलएस विश्वविद्यालय, मीरा कन्या महाविद्यालय आदि के संगीत के विद्यार्थियों ने शिरकत की व स्वर संस्कृति के विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी प्राप्त की।
इसके साथ ही डाॅ माधवी राठौड़, डाॅ.अपर्णा शर्मा, डाॅ डीएस सिसोदिया, डाॅ. जेएस भाटी, डाॅ.पामिल मोदी, विभागाध्यक्ष संगीत विभाग सुखाड़िया विश्वविद्यालय, विवेक अग्रवाल एवं संगीत के संकाय सदस्य, महाविद्यालय के संकाय सदस्य आदि उपस्थित थे। हारमोनियम पर हरिओम तिवारी व तबले पर श्याम नागर ने संगत की। कार्यक्रम का संचालन अपेक्षा भट्ट ने किया।
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