आज आदिवासी महासभा भवन उदयपुर में माइनिंग विभाग के पूर्व निदेशक आर के हिरात के अध्यक्षता में विश्व आदिवासी दिवस मनाया गया । इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सीएमएचओ डॉ शंकर बामनिया थे।
बतौर मुख्य अतिथि डा शंकर बामनिया ने बताया कि आज विश्व भर का आदिवासी समाज प्रकृति का सच्चा हितैषी है जल जंगल जमीन का रखवाला है उनको अपना अस्तित्व, संस्कृति और सम्मान बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। इस समय जनजाति को संरक्षण और बढ़ावा देने, इनकी संस्कृति व सम्मान को बचाने के लिए भारत ही नहीं, दुनिया के तमाम हिस्सों में आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं, जिनका रहन-सहन, खानपान, रीति-रिवाज वगैरह आम लोगों से अलग है।
समाज की मुख्यधारा से कटे होने के कारण ये पिछड़ गए हैं. इस कारण भारत समेत तमाम देशों में इनके उत्थान के लिए, इन्हें बढ़ावा देने और इनके अधिकारों की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए कई तरह के कार्यक्रम चलाए जाते हैं।
इसी कड़ी में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने पहली बार 1994 को अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी वर्ष घोषित किया था. इसके बाद से हर साल ये दिन 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता है इसी के संदर्भ में आज उदयपुर के आदिवासी समाज द्वारा विश्व आदिवासी दिवस मनाया गया।
डा बामनिया ने इस अवसर कहा कि यह समय कि मांग है कि आदिवासी समाज को मुख्यधारा में आने के लिए युवाओं को रोजगारपरक शिक्षा, वायवसायिक गतिविधियो में रुचि के साथ सामाजिक कुरुतियो एवम नशे से दूर रह कर अन्य समाजों की तरह अपनी सर्वांगीण विकास हेतु मुख्यधारा में आना होगा तथा पढ़े लिखे शिक्षित व्यक्ति जो शहरो में बसे उन्हें अपने गांव की ओर जाना होगा और समाज के मुख्यधारा से दूर रहे परिवारों को संबल देकर पे बैक टू सोसाइटी के तर्ज सहयोग करना चाहिए।
डॉ बामनिया बताया कि जिस तरह कॉरपोरेट सीएसआर के माध्यम से अपनी दायित्व को निर्वहन करते है ठीक उसी तरह समाज के हर पढ़े लिखे शिक्षित सरकारी कर्मचारी एवम रोजगारपरक व्यक्ति को विकास की मुख्य धारा से पीछे छूट गये लोगो को पीसीआर अर्थात *पर्सनल सोशल रिस्पांसिबिलिटी* कर के उन्हें आगे लाना चाहिए!
अध्यक्षता कर रहे माइनिंग विभाग के पूर्व निदेशक आर के हिरात ने कहा कि आदिवासी समाज को मुख्य धारा में लाने के लिए शिक्षा एवम चिकित्सा पर विशेष ध्यान देना चाहिए तथा सरकार को अनुसूचित जनजाति कल्याण हेतु आरक्षण विसंगतियों जल्द से दूर करना चाहिए तथा संभाग स्तर पर आदिवासी समाज के विद्यार्थियों के लिए प्रशासनिक सेवाओं में चयन हेतु अलग से निशुल्क कोचिंग संस्थान खोलनी चाहिए!
कार्यक्रम को संचालन करते हुए महासभा के महासचिव सीएल परमार ने कहा कि विश्व आदिवासी दिवस का महत्व दुनिया भर में स्वदेशी लोगों के सामने आने वाली चुनौतियों, जैसे भेदभाव, गरीबी और शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच की कमी के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
नर्सिंग एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष रमेश आसोड़ा ने कहा कि यह स्वदेशी लोगों की संस्कृतियों और योगदान का जश्न मनाने का भी एक अवसर है। राजस्थान नर्सिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रवीण चरपोटा ने बताया कि पूरे देश में विश्व आदिवासी दिवस मनाया जा रहा इसका मुख्य कारण वर्ष 1945 में संयुक्त संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना के पश्चात पूरे विश्व में शांति के लिए कार्य किया जा रहा है। इसी दिशा में संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1983 में एक कार्य दल की स्थापना किया जिसका उद्देश पूरा विश्व में जहां-जहां आदिवासी है उनकी स्थिति को सुदृढ़ किया जाएगा। महासभा के सदस्य महेंद्र भनात बताता कि विश्व आदिवासी दिवस पहली बार स्वीटजरलैंड के जेनेवा शहर में 9 अगस्त 1994 को मनाया गया और संपूर्ण विश्व के आदिवासियों को एहसास दिलाया गया की आप लोगों को डरने की जरूरत नहीं है आपके साथ संयुक्त राष्ट्र संघ खड़ा हैं।
इस अवसर संतोष परमार, विकास लट्ठा, राजेश मीणा, कालूराम ताबियाड, ओपी मीणा, फुलवंती डामोर, इंद्रा अहारी, मनीष भानात अपने विचार रखे। कार्यक्रम में 100 अधिक समाजजनों ने भाग लिया। अंत में नारायण डामोर ने सभी अतिथियों को धन्यवाद दिया।
कार्यक्रम का संचालन आरुषि ख़मेसरा ,प्रांजल सिंह एवं जितेंद्र कुमार मीना एवं निशाकर सिंह मीणा ने किया। इस अवसर पर राजस्थान स्टेट पोल्युशन कंट्रोल बोर्ड उदयपुर द्वारा कुल 2100 पौधे प्रदान किए गये जिसमें से विश्वविद्यालय परिसर में अतिथियों एवं छात्रो द्वारा 100 पौधे लगाये तथा 2000 पौधों को छात्रो द्वारा आस पास के गावो में जाकर छात्रो द्वारा किसानों के साथ मिलकर पौधारोपण का संकल्प लिया । कार्यक्रम की रूपरेखा रामलखन, निशाकर सिंह मीना, हरि मोहन मीना, पवन अहारी, तपेश दूदावत, अजय तंवर, प्रदीप सेहरा, आमिर सोहेल, अजय मीना, कल्पना पटेल एवं समस्त एमपीयूएटी के छात्र थे ।
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