उदयपुर, 12 जनवरी। दूर तलक फैले अनार के बाग के बीच अनार तोड़ती महिलाओं की तस्वीर कोई जम्मू कश्मीर या हिमाचल प्रदेश के फॉर्म हाउसों की नही बल्कि राजस्थान और गुजरात के रेगिस्तानी क्षेत्रों की है। राजस्थान के रेगिस्तान में खेती करना अपने आप में मुश्किल काम है। पानी की कमी, मौसम की अनिश्चितता जैसी मुश्किलों से जूझते हुए रेगिस्तान में अनार की खेती से किसान मालामाल हो गए है। जहां वर्षों पूर्व पानी के लिए ग्रामीणों को मशक्कत करनी पड़ती थी, आज अनार जैसे फलों की खेती होने लगी है ।
इन दिनों बाज़ार में जगह-जगह अनार की बिक्री हो रही है। बड़ी मात्रा में अनार आने से ये 40 से लेकर 100 रुपए तक बिक रहे हैं। इन दिनों उदयपुर में प्रतिदिन 15 से 20 टन अनार की बिक्री हो रही है। फल विक्रेता ने कहा कि दस साल पहले उदयपुर में नासिक और शोलापुर आदि क्षेत्रों से ही अनार आते थे। कच्छ, भूज से लेकर बाड़मेर, जैसलमेर आदि क्षेत्रों में पानी पहुंचने के बाद वहां भी अनार की खेती होने लगी। ऐसे में गत 10 साल से इस क्षेत्र से भी अनार की आवक होने लगी है। गत कुछ वर्षों से इन क्षेत्रों के अनार एक्सपोर्ट भी होने लगे हैं।
30 रुपए से 120 रुपए किलो तक बिक रहे है अनार
अनार तीन-चार कैटेेगरी में आता है। ए कैटेगरी के अनार की होलसेल रेट 70 से 80 रुपए किलो चल रही है। वहीं बी, सी और डी कैटेगरी के अनार की होलसेल रेट 20 रुपए से 50 रुपए तक है। बाज़ार में अनार 30 रुपए से 120 रुपए किलो तक बिक रहा है। इन दिनों बाजार में बड़ी मात्रा में अनार की बिक्री हो रही है। अच्छी आवक होने के चलते प्रमुख मार्गों, चौराहों आदि पर ठेलों में भी अनार बेचे जा रहे हैं।
अनार के सेवन के फायदे
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